बच्चियों का शोषण, लाचार प्रशासन
७ सितम्बर २०२१मामला मध्य प्रदेश के दमोह जिले के एक आदिवासी बहुल गांव का है. बारिश काफी कम होने की वजह से इलाका सूखे से जूझ रहा है. भारत में ग्रामीण इलाकों में अक्सर ऐसा होने पर स्थानीय मान्यताओं के अनुसार कई टोटके किए जाते हैं. माना जाता है कि इन टोटकों से बारिश होगी.
लेकिन दमोह के इस गांव के यह अंधविश्वास छोटी बच्चों के शोषण में बदल गया. मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि बारिश करवाने के लिए कम से कम छह नाबालिग लड़कियों को निर्वस्त्र कर गांव में घुमाया गया.
सामूहिक स्वीकृति
मीडिया रिपोर्टों से संकेत मिल रहे हैं कि इस रिवाज को गांव के सभी लोगों की सामूहिक स्वीकृति भी थी. इनमें इन लड़कियों के माता पिता भी शामिल थे. जिला कलेक्टर एस कृष्ण चैतन्य ने मीडिया संस्थानों को बताया है कि इस मामले में किसी भी गांव वाले से कोई शिकायत भी नहीं मिली.
उल्टे कलेक्टर ने एक बयान में प्रशासन की बेबसी व्यक्त की है. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार चैतन्य ने कहा है, "ऐसे मामलों में प्रशासन सिर्फ गांव वालों को बता सकता है कि ऐसा अंधविश्वास बेकार है और उन्हें समझा सकता है कि इससे मनचाहा परिणाम नहीं मिलता है."
मीडिया रिपोर्टों की वजह से इस घटना के सामने आने के बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग ने मामले का संज्ञान लिया है और कलेक्टर को नोटिस भेजा है. आयोग ने कलेक्टर को 10 दिनों के अंदर लड़कियों की उम्र का प्रमाण पत्र और मामले में की गई कार्रवाई का ब्यौरा देने के लिए कहा है.
प्रशासन की बेबसी
दमोह के पुलिस अधीक्षक डीआर तेनीवार ने मीडिया को बताया कि पुलिस को घटना की जानकारी मिली है और इसकी जांच की जा रही है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर वाकई में पाया गया कि लड़कियों को जबरन निर्वस्त्र कर घुमाया गया था तो कार्रवाई की जाएगी.
मामले के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर चल रही हैं, लेकिन इस पर अभी तक राज्य सरकार या केंद्रीय सरकार का ध्यान नहीं गया है.