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अफ्रीकी संघ सूडान मामले पर बशीर के साथ

६ मार्च २००९

सूडान के राष्ट्पति ओमर अल बशीर को गिरफ़्तार करने का आदेश दे दिया है. बदले में बशीर ने कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों को देश छोडंने को कहा है. उधर अफ्रीकी संघ का मानना है कि बशीर बेकसूर है.

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सूडान में बदहालीतस्वीर: AP

4 मार्च को अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत ने सूडान के राष्ट्रपति ओमर अल बशीर को गिरफ़्तार करने के लिए वारंट जारी किया था. लेकिन अफ़्रीकी संघ का मानना है कि बशीर बेकसूर है और सूडान में उनके रहने से देश में शांति आ सकती है. संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की मदद लेकर अफ्रीकी संघ अब अंतरराष्ट्रीय अदालत से बशीर की गिरफ्तारी पर रोक लगाना चाहता है. अफ़्रीकी संघ का मानना है कि सूडान में शांति का दायित्व केवल राष्ट्पति बशीर ही निभा सकते हैं. मिस्र में सूडान के दूत इद्रिस सुलैमान कहते हैं, "अफ़्रीकी संघ, अरब लीग, अफ़्रीकी प्रशांत और कैरेबियाई देशों के संगठन और वह सारे गठबंधन, जिनका सुडान सदस्य है,- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र महा सभा से अपील करेंगे, कि वे अपने निर्णय को लागू न करें."


इस बीच सूडान की सरकार ने देश में विकास का काम कर रहे 13 अंतरराष्ट्रीय ग़ैर सरकारी संगठनों को देश से निकाल बाहर कर देने का फैसला किया है. इनमें सेव द चिलरन और डॉक्टर्स विताउट बॉरडर्स जैसी संस्थाएं भी शामिल हैं. संयुक्त राष्ट्र ने आज सूडान की सरकार को चेतावनी दी कि इस हरकत से 10 लाख लोग भुखमरी और बीमारी का शिकार बन सकते हैं.


सूडान सरकार का दावा है कि इन संगठनों ने अंतरराष्ट्रीय अदालत को बशीर के ख़िलाफ सबूत दिए हैं, और अदालत का बशीर के ख़िलाफ़ फ़ैसला ज़मीनी हक़ीकत के बजाय राजनीतिक आधार पर लिया गया है. अंतरराष्ट्रीय सहायता संस्थाएं दारफूर के अलावा नील नदी के आसपास इलाकों में सक्रिय रही हैं. इन इलाकों में उनरे अरबों डॉलर के प्रोजेक्ट हैं और इनके चले जाने से लोगों के लिए राहत के आसार भी धुंधले पड़ गए हैं. फिल्हाल लोगों के ज़ेहन में बशीर की सज़ा को लेकर बहस नहीं है, उनकी मुख्य चिंता तो अपनी बदहाली से निपटने की है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी ये बात सुनिश्चित करनी होगी कि मुश्किल में फंसे लोगों को मदद मिलती रहे.