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अमेरिका को यूरोप की चेतावनी

२५ अक्टूबर २०१३

अमेरिकी जासूसी कांड पर विवाद और बढ़ता जा रहा है, ब्रिटिश अखबार गार्डियन की खबर के मुताबिक दुनिया के 35 शीर्ष नेताओं की बातचीत रिकॉर्ड की गई है. उधर ब्रसेल्स में यूरोपीय नेताओं का सम्मेलन इसी विवाद की भेंट चढ़ गया है.

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तस्वीर: Reuters

ओबामा प्रशासन को जल्दी ही कुछ और सरकारों की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है. ब्रिटिश अखबार गार्डियन ने कहा है कि उसे एक गोपनीय मेमो हासिल हुआ है जिससे पता चला है कि अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) ने दुनिया के 35 शीर्ष नेताओं की बातचीत 2006 में रिकॉर्ड की. इस मेमो से साफ जाहिर है कि एनएसए ने अमेरिकी राष्ट्रपति के दफ्तर, रक्षा विभाग और दूसरे एजेंसियों के बड़े अधिकारियों को इस बात के लिए बढ़ावा दिया कि वो अपने संपर्कों का ब्यौरा एनएसए को दे दें जिससे कि विदेशी नेताओं के फोन को खुफिया एजेंसी अपने निगरानी कार्यक्रम में शामिल कर सके. गार्डियन ने यह साफ नहीं किया है कि किन लोगों की बातचीत सुनी गई.

उधर ब्रसेल्स में यूरोपीय नेताओं का सम्मेलन में जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने कह दिया कि ओबामा प्रशासन पर से विश्वास हिल गया है और अटलांटिक पार के देशों से रिश्ते पर इसकी आंच पड़ी है. एनएसए ने फ्रांस में सात करोड़ से ज्यादा टेलीफोन टैप किए. जर्मन चांसलर का मोबाइल भी टैप किए जाने की खबरों से फ्रांस और जर्मनी की सरकारों का गुस्सा भड़क उठा है. गुरुवार को दोनों देशों के नेताओँ ने ब्रसेल्स में अपनी नाराजगी जाहिर की.

Bundeskanzlerin Merkel NSA Überwachung Obama
तस्वीर: picture-alliance/dpa

मैर्केल ने गुरुवार को जिस अंदाज में अपनी बात रखी उससे साफ है कि एक दिन पहले राष्ट्रपति ओबामा से हुई चर्चा से उनकी नाराजगी दूर नहीं हुई है. हालांकि ओबामा ने निजी तौर पर उन्हें यह भरोसा दिलाने की कोशिश की कि अमेरिकी उनकी मोबाइल फोन पर बातचीत नहीं सुन रहा है. मैर्केल ने संवाददाताओं से ब्रसेल्स में कहा, "हमें सहयोगियों और साझीदारों के बीच भरोसे की जरूरत है. यह भरोसा अब नए सिरे से बनाना होगा. अब हमें इसके बारे में सोचना होगा." जर्मन चांसलर का यह भी कहना है, "अमेरिका और यूरोप एक जैसी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, हम सहयोगी हैं. लेकिन इस तरह का सहयोग केवल भरोसे से बन सकता है, इसलिए मैं फिर दोहराती हूं, दोस्तों के बीच जासूसी नहीं हो सकती."

दूसरे यूरोपीय नेताओं ने भी मैर्केल की नाराजगी में अपना सुर मिलाया. स्वीडेन के प्रधानमंत्री फ्रेडरिक राइनफेल्ट ने सहयोगी देश के नेता की बात छिप कर सुनने को, "पूरी तरह अस्वीकार्य" बताया. नीदरलैड्स, ऑस्ट्रिया और इटली के प्रधानमंत्री की भी यही राय थी. फ्रांस तो अपनी नाराजगी पहले ही जता चुका है उसने यूरोपीय संघ के नेताओं की बातचीत के एजेंडे में इस मसले को भी शामिल करने की मांग की है. मैर्केल ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलांद ने इस मसले पर अकेले में भी बातचीत की है. ओलांद ने कहा है कि, "अमेरिका के साथ हमारे रिश्ते को बचाना अभी दांव पर लगा है. जो कुछ हुआ है उससे उन्हें बदलना नहीं चाहिए लेकिन भरोसे को कायम करना होगा उसे मजबूत करना होगा."

Symbolbild NSA Überwachung
तस्वीर: imago/Roland Mühlanger

सम्मेलन के बाद यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष हर्मन फॉन रोमपॉय ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि फ्रांस और जर्मनी अमेरिका से इस बारे में द्वीपक्षीय बातचीत करना चाहते हैं ताकि इस साल के आखिर तक इलेक्ट्रॉनिक जासूसी के विवाद को खत्म किया जा सके.

यूरोपीय नेताओं के बयानों और कार्रवाइयों से साफ जाहिर है कि वो अमेरिका से मिले जवाब से संतुष्ट नहीं हैं. बुधवार को व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जे कार्ने ने कहा कि ओबामा ने निजी तौर पर मैर्केल को भरोसा दिया है कि उनका फोन नहीं सुना गया और न ही भविष्य में सुना जाएगा. जब कार्ने से यह पूछा गया कि क्या पहले मैर्केल की बातचीत सुनी गई है तो उन्होंने इनकार नहीं किया. उनका कहना था, "हम सार्वजनिक रूप से हर कथित खुफिया गतिविधि पर प्रतिक्रिया नहीं दे सकते." ओबामा प्रशासन सार्वजनिक रूप से चुप्पी साधे हुए है, कार्ने ने बस इतना कहा कि ओबामा प्रशासन "कूटनीतिक चैनलों के जरिए शीर्ष स्तर पर बातचीत के रास्ते जर्मनी की चिंता दूर करने की कोशिश में है."

एनआर/ओएसजे (एपी)

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