अमेरिका से उलझ रहे चीन को ब्रिक्स से आस
१३ जुलाई २०१८चीन के अलावा ब्रिक्स देशों के संगठन में ब्राजील, रूस, भारत और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं. 25 से 27 जुलाई के बीच दक्षिण अफ्रीका के शहर जोहानेसबर्ग में ब्रिक्स का 10वां शिखर सम्मेलन होगा जिसमें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी हिस्सा लेंगे.
यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब अमेरिका और चीन के बीच कारोबार के मुद्दे पर खाई लगातार चौड़ी होती जा रही है. अमेरिका की तरफ से यूरोपीय संघ और चीन समेत कई देशों के उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाने से पैदा हुए तनाव को अब ट्रेड वार यानी कारोबारी युद्ध का नाम दिया जा रहा है, क्योंकि भारत सहित इन देशों ने भी पलटवार करते हुए अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क बढ़ा दिया है.
हालात से निपटने के लिए चीन ब्रिक्स को मजबूत बनाने की वकालत कर रहा है. चीनी विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी चांग चुन ने कहा कि ब्रिक्स देशों के साथ सूक्ष्म आर्थिक नीतियों पर सहयोग को बढ़ाएगा, ताकि "कुछ विकसित देशों की नीतियों में बदलाव से पैदा चुनौतियों" का सामना किया जा सके.
ट्रेड वार का क्या होगा असर, जानिए
साफ तौर पर उनका इशारा अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की तरफ था जिनके फैसले की वजह से अमेरिका और चीन के बीच होने वाला सैकड़ों अरबों डॉलर का कारोबार अधर में लटक गया है. चांग ने कहा, "अमेरिका की नजरों में अंतरराष्ट्रीय कानून का कोई सम्मान नहीं है, लेकिन ब्रिक्स देश वैश्विक बाजार को लेकर एक स्पष्ट और साझा रुख रखते हैं."
चीनी अधिकारी ने अपने देश को मुक्त व्यापार का हितैषी बताया. उन्होंने कहा, "हम पूरी तरह बहुपक्षवाद और बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था का समर्थन करते हैं. हम एकपक्षवाद और व्यापार संरक्षण का विरोध करते हैं." हालांकि अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश कई बार चीन पर संरक्षणवादी व्यापार नीतियां अपनाने का इल्जाम लगाते हैं.
इस बीच, चीन ने अपनी कंपनियों से कहा है कि वे अमेरिका की बजाय अन्य देशों से सामान आयात करने के बारे में सोचें. चीन यूरोप और अन्य देशों के साथ नजदीकी व्यापारिक संबंध चाहता है ताकि नई अमेरिकी शुल्क व्यवस्था की वजह से होने वाले नुकसान को कम से कम किया जा सके.
एके/एमजे (एएफपी)
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