एकीकरण में विदेशी मूल के नागरिकों का संघटन
३ अक्टूबर २०१०जर्मन राष्ट्रपति क्रिस्टियान वुल्फ ने इस अवसर पर अपने भाषण में इस कठिन मंजर तक पहुंचने की बात तो कही है, लेकिन उन्होंने जर्मनी के एक और अहम मुद्दे के बारे में अपने मत व्यक्त किए, जर्मनी की मुख्यधारा में प्रवासियों को लाना और जर्मनी में प्रवासन.
क्रिस्टियान वुल्फ को अपना पद संभाले 100 दिन भी नहीं हुए हैं. इसलिए उनके पहले बड़े भाषण के बारे में कई अटकले लगाई जा रही थीं कि आखिर क्या कहेंगे राष्ट्रपति. क्या वे जर्मन एकता और उसके इतिहास की बात करेंगे या फिर वे कोई नया मुद्दा उठाएंगे? क्या भाषण के बाद जर्मन जनता में एक विवाद खड़ा हो जाएगा, जो पहले कभी नहीं हुआ है? पद संभालने के बाद से ही राष्ट्रपति अपने भाषण की तैयारी कर रहे हैं. और अपने वक्तव्य से वे जर्मन समाज में प्रवासियों के घुलने मिलने पर खास तौर से ज़ोर देना चाह रहे थे.
रविवार को ब्रेमन में उन्होंने जर्मन एकता को मुमकिन बनाने वालों का शुक्रिया अदा किया, विशेष रूप से पूर्व जर्मन चांसलर हेल्मुट कोल, पूर्व विदेश मंत्री डीटरिश गेंशर, उस वक्त हंगरी की सरकार और सोवियत संघ के पूर्व राष्ट्रपति मिखाएल गोर्बाचोव. लेकिन वुल्फ ने अपनी कृतज्ञता पूर्वी जर्मनी यानी जीडीआर के उन आम लोगों के नाम की, जिन्होंने इस ऐतिहासिक क्षण को कामयाब बनाया. जीडीआर के नागरिकों के बारे में उन्होंने कहा, "उन्हें अपनी ज़िंदगी बदलनी पड़ी और नए सिरे से उसे दोबारा शुरू करना पड़ा. इस बदलाव के प्रति उनकी उत्सुकता अविश्वसनीय है."
राष्ट्रपति ने कहा कि जर्मन समाज में विवधता से ही जर्मनी ज़िंदा है. लेकिन यह असमानताएं इतनी भी नहीं बढ़नी चाहिएं कि वे देश के लिए खतरा बन जाएं. जर्मनी एक राष्ट्र हैं क्योंकि जर्मनी के लिए विदेशी मूल के लोग भी उतने ही अहम हैं. इसलिए अहम सामाजिक विवादों से इन लोगों को चोट नहीं पहुंचनी चाहिए. हालांकि राष्ट्रपति वुल्फ ने कहा कि जर्मन नागरिक बनने की चाह रखने वाले हर व्यक्ति को जर्मन भाषा सीखनी होगी, कानूनों और नागरिक होने के तहत कर्तव्यों का और अच्छी तरह से पालन करना होगा. उन्होंने कहा, "जो ऐसा नहीं करता है, जो हमारे देश और हमारे उसूलों का पालन नहीं करता है, उसे हमारे देश में सबके विरोध का सामना करना पड़ेगा. यह बात कट्टरपंथियों पर ही नहीं, बल्कि वामपंथी और दक्षिणपंथी उग्रवादियों पर भी लागू होती है." वुल्फ ने कहा कि जर्मनी ने काफी कुछ हासिल किया है लेकिन एक लंबा रास्ता बाकी है, जिसके लिए लगातार कोशिशों की जरूरत है.
रिपोर्टः मिशाएल कुएक/एमजी
संपादनः ओ सिंह