एक महिला को लेकर क्यों भिड़ गए कनाडा और सऊदी अरब?
८ अगस्त २०१८2 अगस्त, 2018 को कनाडा की विदेश मंत्री क्रिस्टीया फ्रीलैंड एक ट्वीट करती हैं- ''हम बहुत चिंतित हैं कि रैफ़ बादावी की बहन समर बादावी को सऊदी अरब में कैद कर लिया गया है. इस कठिन समय में कनाडा बादावी परिवार के साथ है और हम रैफ और समर बादावी की आजादी की मांग करते हैं."
इस ट्वीट के सामने आते ही कनाडा और सऊदी अरब के बीच राजनीतिक संकट पैदा हो गया है. दोनों देशों के बीच में हवाई सेवाएं बाधित हो गई हैं और अमेरिका व यूरोपीय संघ मामले को सुलझाने की कोशिशों में लग गए हैं.
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर समर बादावी कौन है, उन्हें सऊदी अरब में क्यों कैद किया गया और इससे कनाडा को क्या परेशानी है?
समर बादावी की गिरफ्तारी से क्यों परेशान है कनाडा?
मूल रूप से सऊदी अरब की रहने वाली 37 वर्षीय समर बादावी एक अमेरिकी समाजसेविका हैं जो कि महिला अधिकारों के लिए काम करती हैं. उन्होंने अपनी मर्जी से शादी करनी चाही तो पिता का विरोध झेलना पड़ा और मामला कोर्ट तक गया. वह केस हार गईं, लेकिन सऊदी में पुरुषों के वर्चस्व का विरोध करती रहीं.
सऊदी अरब में महिलाओं को कार चलाने का अधिकार मिलने से पहले ही वह ड्राइविंग कैंपेन चला चुकी हैं. उनकी हिम्मत की दाद देते हुए साल 2012 में उन्हें इंटरनेशनल वुमन ऑफ करेज अवॉर्ड दिया गया था.
मानवाधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले उनके पति फिलहाल सऊदी की जेल में 15 साल की सजा काट रहे हैं. उनके भाई रैफ बादावी को इंटरनेट और टीवी चैनलों पर इस्लाम का विरोध करने के जुर्म में साल 2014 में एक हजार कोड़े मारे गए और 10 साल कैद की सजा सुनाई गई थी. समर की भाभी व रैफ की पत्नी इंसाफ हैदर को 1 जुलाई, 2018 को कनाडाई सरकार ने नागरिकता दी है. हैदर अपने 3 बच्चों के साथ क्यूबेक में रह रही हैं. बताया जाता है कि कनाडा का यह कदम सऊदी अरब को नागवार गुजरा था.
समर के परिवार का कनाडाई कनेक्शन होने के नाते विदेश मंत्री क्रिस्टीया फ्रीलैंड ने उनकी गिरफ्तारी का विरोध किया और अब दोनों देशों के बीच व्यापार रुकने से तत्काल बुरा असर पड़ने की अटकलें लगाई जा रही हैं.
दोनों देशों के बीच क्या बदला?
कनाडा के ट्वीट पर तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने कहा, "यह सऊदी राज्य का अपमान है और इसके लिए कड़ी प्रतिक्रिया की ज़रूरत है ताकि भविष्य में कोई सऊदी संप्रुभता में हस्तक्षेप करने की हिमाकत न कर सके."
इसके फौरन बाद सऊदी सरकार ने कनाडा के राजदूत को 24 घंटे के अंदर रियाद छोड़ने का हुक्म सुना दिया और ओटावा से अपने राजदूत को वापस बुला लिया है. इसके साथ ही सभी व्यापार और निवेश से जुड़े समझौतों को रोक दिया है. सऊदी सरकार ने कनाडा में रह रहे 15 हजार सऊदी यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स की स्कॉलरशिप रोक दी है. इसके साथ ही सात हजार परिवारों को दूसरे देशों में जाकर बसने का आदेश जारी कर दिया है. यही नहीं, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने ऐलान किया है कि वह कनाडा में सऊदी नागरिकों का मेडिकल ट्रीटमेंट बंद कर देंगे. उन्होंने सऊदी के मरीजों को दूसरे देशों में भेजने के लिए जल्द विमान भेजने की बात कही है.
राजनीति और व्यापार पर क्या होगा असर?
तेजी से बदले घटनाक्रम से कनाडा हतप्रभ है. प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो जल्द ही इसपर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले हैं. कहा जा रहा है कि वह सऊदी के करीबी देश जैसे यूएई और ब्रिटेन की मध्यस्थता की उम्मीद कर रहे हैं. दोनों देशों के बीच सालाना 4 अरब डॉलर का व्यापार होता है. कनाडा से सालाना 1.21 अरब निर्यात होता है जो कुल निर्यात का 0.2 फीसदी है.
महत्वपूर्ण दोनों देशों के बीच सैन्य ट्रकों का कॉन्ट्रेक्ट है जिसके तहत 1.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर में कनाडा को सऊदी अरब को सैन्य ट्रक बेचने थे. इस समझौते का क्या होगा, यह आने वाला वक्त बताएगा.
वहीं, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के इस मामले में आई प्रतिक्रिया से सवाल उठने लगे हैं. पूछा जा रहा है कि क्या प्रिंस वाकई अपने वादे के मुताबिक नए सोच वाले सऊदी को विकसित कर पाएंगे. उनके कदम से विदेशी निवेशकों को भी झटका लगने की आशंका जताई जा रही है.
दोनों देशों के बीच अचानक आई कड़वाहट पर अमेरिका और यूरोपीय संघ खुलकर बोलने से बच रहे हैं. यूरोपीय कमीशन की प्रवक्ता ने कहा कि महिला एक्टिविस्ट के केस की निष्पक्ष सुनवाई होनी चाहिए. अमेरिकी प्रशासन ने दोनों देशों को अपना सहयोगी बताते हुए कहा कि दोनों को कूटनीतिक हल ढूंढना चाहिए.
वीसी/एनआर(डीपीए, रॉयटर्स)
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