कतर के शाही परिवार को खदेड़ा
१६ जनवरी २०१७इलाके के डीएसपी मुहम्मद यासेर के मुताबिक 25 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. पुलिस का कहना है कि गांव वाले शाही परिवार से मिलना चाह रहे थे. वो एक मस्जिद के लिए पैसा जुटाना चाहते थे. लेकिन जब ग्रामीणों को शाही परिवार से नहीं मिलने दिया गया तो वे हिंसक हो गए.
कतर के एक अधिकारी ने भी हमले की पुष्टि करते हुए कहा, "कतर के शिकारी सरकारी परमिट के लिए आवेदन करते हैं और फीस देते हैं. साथ ही स्थानीय समुदायों और वन्यजीव संरक्षण के लिए भी दान देते हैं. दुर्भाग्य से हथियारबंद गुटों ने हमला किया."
वन्यजीव संरक्षण से जुड़ी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के मुताबिक पाकिस्तान में मिलने वाले तिलोर पक्षी खतरे में हैं. अब दुनिया भर में ऐसी 50,000 से 1,00,000 तिलोर ही बचे हैं. अरब प्रायद्वीप में तो वह पूरी तरह लुप्त हो चुके हैं. लेकिन पाकिस्तान में उनका शिकार जारी है.
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने इस शिकार पर बैन लगा दिया था. लेकिन 2016 में सरकार ने अदालत से कहा कि प्रतिबंध से उसके खाड़ी के देशों के साथ रिश्ते खराब हो रहे हैं. सरकार की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने शिकार से प्रतिबंध हटा दिया.
अरब देशों में तिलोर के मांस को उच्च वर्ग का लजीज खाना माना जाता है. अरब जगत के अमीर लोग हर साल अपने बाजों के साथ पाकिस्तान आते हैं और सर्दियों में बाज की मदद से बटेरों और तिलोर का शिकार करते हैं.
स्थानीय लोगों को खुश रखने के लिए अरबी शिकारियों ने बलूचिस्तान में गांवों में सड़कें, स्कूल और मस्जिदें भी बनवाई हैं. रईस शिकारी कई बार अपनी महंगी फोर बाइ फोर गाड़ियां भी कबीले के सरदारों को तोहफे में दे जाते हैं.
लेकिन आलोचक कहते हैं कि अरब देशों में लोग बाज के जरिये शिकार, अपनी जान बचाने और पेट भरने के लिए करते थे. आज यह सिर्फ अमीरों का शौक भर है. कुछ आलोचक यह भी कहते हैं कि अरबी शिकारी आतंकवाद से प्रभावित इलाके में पैसा खर्च करते हैं.
दिसंबर 2015 में करीब 100 हथियारबंद लोगों ने इराक में कतर के 26 लोगों को अगवा कर लिया था. इनमें कतर के शाही परिवार का एक सदस्य भी था, जिसे अप्रैल 2016 में रिहा किया गया.
(इंसान जो दूसरे जीवों के साथ करता है, अगर वैसा ही सलूक इंसान के साथ किया जाए तो)
ओएसजे/एमजे (रॉयटर्स)