लड़कियों को नाइट शिफ्ट से हटाओ
२१ जनवरी २०१९सदर्न इंडिया मिल्स एसोसिएशन की तरफ से नई आचार संहिता जारी की गई है. इसके मुताबिक 16 से 19 साल की महिला कर्मचारी पीरियड्स के दिनों में छुट्टी ले पाएंगी और किसी भी महिला से नौ घंटे से ज्यादा काम नहीं लिया जा सकता है. नई आचार संहिता जनवरी से लागू हो गई है.
एसोसिएशन के महासचिव सेल्वाराजू कुंडास्वामी कहते हैं, "हम फैक्ट्री मालिकों को यह समझने में मदद करना चाहते हैं कि कर्मचारियों के साथ कैसे पेश आएं, भर्ती से लेकर रिटायरमेंट तक." उनकी एसोसिएशन में सात सौ से ज्यादा सदस्य हैं.
कुंडास्वामी कहते हैं, "हम वैश्विक खरीददारों के मन में भी यह विश्वास जगाना चाहते हैं कि मजदूरों की जरूरतों पर ध्यान दिया जा रहा है और किसी भी तरह के शोषण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा."
बांग्लादेशी कपड़ा मजदूरों को जर्मन मदद
तेजी से बढ़ने वाले भारत के गारमेंट उद्योग में साढ़े चार करोड़ लोग काम करते हैं, जिनमें से ज्यादातर महिला ही हैं. दक्षिण भारत में तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्य इस उद्योग के बड़े केंद्र हैं. लेकिन इस उद्योग में काम करने वालों के पास बहुत ही कम कानूनी सुरक्षा है. उनकी शियाकतों पर ध्यान देने के लिए भी कोई पुख्ता व्यवस्था भी नहीं है.
बहुत से अध्ययन बताते हैं कि इन फैक्ट्रियों में कम मेहनताना, डराना-धमकाना, यौन उत्पीड़न और शोषण की शिकायतें बहुत आम हैं. ऐसी फैक्ट्रियों में मजदूरों को हफ्ते में 60 घंटे से ज्यादा काम करना पड़ता है. एक अमेरिकी समूह 'बेटर बायर' की पिछले साल की रिपोर्ट बताती है कि सप्लायरों पर जल्दी से जल्दी और कम से कम कीमत में ऑर्डर पूरा करने का दबाव होता है और ऐसे में फैक्ट्ररियों में काम करने वाले लोग ही पिसते हैं.
एसोसिएशन की नई आचार संहिता कहती है कि फैक्ट्रियां 16 साल से कम उम्र के व्यक्ति को काम पर नहीं लगाएंगी और किसी भी मजदूर से दिन में नौ घंटे से ज्यादा काम नहीं लिया जाएगा. वैसे ये संहिता स्वैच्छिक है यानी यह कानूनी रूप से बाध्य नहीं है.
संहिता में यौन उत्पीड़न के साथ साथ मातृत्व अवकाश, प्रवासी मजदूरों और न्यूनतम वेतन की बात भी की गई है. इनके मुताबिक किसी महिला को गर्भवती होने पर नौकरी से नहीं निकाला जा सकता. इस संहिता का मकसद फैक्ट्रियों की मदद करना है ताकि वे अंतरराष्ट्रीय श्रम मानकों को पूरा कर सकें.
तमिलनाडु महिला आयोग की प्रमुख कन्नागी पैकियानाथन कहती हैं, "यह संहिता बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह नियोक्ताओं को नए कानूनों के बारे में जानकारी देती है और इससे कपड़ा उद्योग में काम करने वाली हजारों महिलाओं के लिए एक सुरक्षित माहौल तैयार होगा."
वह कहती हैं, "जहां तक महिलाओं का सवाल है तो हम मिलकर उनके लिए बुनियादी नियम तय कर रहे हैं और यौन हिंसा की रोकथाम के लिए बने कानूनों को लागू करने पर भी जोर दे रहे हैं."
एके/आईबी (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)