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कब शुरू हो रमजान, बहस जारी

१३ जुलाई २०१२

धार्मिक त्यौहार कब शुरू होंगे, इस पर अक्सर बहस रहती है. अगले हफ्ते जब रमजान का पवित्र महीना शुरू होगा, तो जर्मनी में रोजे शुक्रवार को शुरू होंगे, लेकिन समुद्र पार ब्रिटेन में हो सकता है कि शनिवार को शुरू हों.

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तस्वीर: AP

एक मुल्क के अंदर भी अलग अलग समुदायों में अंतर होता है. कुछ लोग एक दिन रोजे शुरू करेंगे, तो दूसरे एक दिन बाद. इसी तरह कुछ की ईद एक दिन होगी तो दूसरों की एक दिन बाद. ऐसा इसलिए होता है कि वे रोजे की शुरुआत के लिए अलग अलग नियम मानते हैं या इस पर एकमत नहीं होते कि उन्होंने महीने के शुरू होने का चांद देखा है. इस्लाम का कैलेंडर लूनर सिस्टम से चलता है.

खासकर उन देशों में काफी मुश्किल होती है जहां मुस्लिम अल्पसंख्यक ऐसे समाजों में रहते हैं जहां छुट्टियां ईसाई कैलेंडर पर आधारित हैं और जिन्हें अंत समय में तय होने वाले त्यौहारों या छुट्टियों को शामिल करने में दिक्कत होती है. आम तौर पर अल्पसंख्यक मुसलमान अपने अपने देशों के अनुसार रमजान मनाते हैं. इस दुविधा से बाहर निकलने के लिए यूरोप के मुस्लिम नेता आधुनिक खगोल विद्या का सहारा ले रहे हैं, लेकिन धार्मिक मतभेद, जातीय विभाजन और परंपराओं का बोझ सहमति की राह में बाधा बन रहा है.

परंपरागत तरीका

अल्जीरिया में जन्मे खगोलशास्त्री निदाल गुसूम कहते हैं, "आधुनिक दुनिया में, खासकर पश्चिम में आप एक रात पहले दस बजे रात में पवित्र महीने के शुरू होने या समाप्त होने का फैसला नहीं कर सकते." वे लंबे समय से वैज्ञानिक समाधान की वकालत करते रहे हैं.

समस्या यह है कि परंपरागत रूप से रमजान नंगी आंखों से प्रथमा का चांद देखने की अगली सुबह शुरू होता है. यह तरीका पिछली सदियों में कामयाब रहा है जब अंतरराष्ट्रीय दौरे कम हुआ करते थे और इलाकों के बीच संपर्क कम था. यदि आसमान साफ नहीं हुआ करता था और चांद नहीं दिखता था तो मुस्लिम नेता रोजे की घोषणा करने में एक दो दिन की देरी कर दिया करते थे. इस्लामी संस्कृति इस तरह की अनिश्चितता की आदी थी.

Jama Masjid-Moschee in Delhi
तस्वीर: picture-alliance/dpa

रोजे की समाप्ति और ईद उल फित्र त्यौहार की घोषणा भी प्रथमा के अगले चांद को देखने के बाद की जाती है. मतलब यह कि मुसलमानों को एक शाम पहले पता चलता है कि वे अगले दिन साल का सबसे महत्वपूर्ण और सबसे बड़ा त्यौहार मनाएंगे. लेकिन आधुनिक संचार साधनों और सूचना के प्रसार ने परंपरागत तरीकों को पुराना बना दिया है. शरजाह के अमेरिकी यूनीवर्सिटी में एस्ट्रोफीजिक्स पढ़ाने वाले गुसूम जैसे वैज्ञानिक अब ठीक ठाक बता सकते हैं कि प्रथमा का चांद दुनिया भर में आसमान में कब निकलेगा.

कब कब दिखेगा चांद

इससे चांद को देखने में बादलों, धुंध और प्रदूषण जैसी समस्याओं से होने वाली मुश्किल मिट गई है. इस महीने पहला चांद 19 जुलाई को दक्षिण अमेरिका में दिखेगा, उसके बाद उत्तरी यूरोप और कनाडा को छोड़कर बाकी जगहों पर 20 जुलाई को और अंत में 21 जुलाई को लगभग हर जगह दिखेगा. इस देरी की वजह से गुसूम दुनिया को दो हिस्सों में बांटना चाहते हैं, पूरब जहां अधिकांश मुस्लिम देश हैं और पश्चिम, खासकर अमेरिका. यदि चांद किसी भी जगह दिखता है तो पूरे इलाके में अगले दिन रमजान शुरू हो जाएगा.

दूसरे मुस्लिम वैज्ञानिकों का कहना है कि जैसे ही खगोलशास्त्री आकलन दिखाता है कि चांद दुनिया में कहीं भी दिख रहा है, अगले दिन रमजान शुरू हो जाना चाहिए. तुर्की की धर्मनिरपेक्ष सरकार ने कुछ दशक पहले इसे लागू किया था और तब से तुर्की और जर्मनी में जहां बहुमत तुर्क मूल के मुसलमान हैं, इसे माना जाता है. अंकारा ने घोषणा कर दी है कि रमजान 20 जुलाई को शुरू होगा. फ्रांस में मुख्यतः अरब मूल के मुसलमान रहते हैं. वे सउदी अरब के फैसले को लागू करते हैं.

ब्रिटेन में अधिकांश मुसलमान पाकिस्तानी, भारतीय या बांग्लादेश मूल के हैं. यहां अधिकांश समुदाय चांद देखने वाले तरीके पर भरोसा करते हैं. लंदन के क्विलियम फाउंडेशन के उसामा हसन कहते हैं, "यह थोड़ा उलझन भरा है. यदि वे ब्रिटेन में चांद नहीं देख पाते तो देश में जो हो रहा है उसे मानते हैं. विज्ञान के लिए बहुत जहालत है."

Flash-Galerie Ramadan Eid al Fitr 31. August 2011
तस्वीर: AP

तारीख का वैज्ञानिक आकलन

इस साल यूरोप में इस्लामी संगठनों के महासंघ और फतवा और रिसर्च पर यूरोपीय परिषद ने खगोल विद्या पर आधारित रमजान के लिए अभियान तेज कर दिया है. भविष्य में तुर्क मॉडल रमजान और ईद का दिन तय करेगा. परिषद ने पिछले सप्ताह कहा है कि तारीख का वैज्ञानिक आकलन इस्लामी कानून के अनुरूप है. यूरोपीय फतलवा परिषद ने कहा है कि रमजान 20 जुलाई को शुरू होगा.

फ्रांसीसी मुस्लिम काउंसिल के अध्यक्ष मोहम्मद मूसूई ने कहा कि फ्रेंच संगठन इस साल इस पर सहमत हो जाएंगे और अगले साल से लागू कर देंगे. फ्रांस में कुछ ईसाई छुट्टियों के बदले मुस्लिम और यहूदी छुट्टी देने का प्रस्ताव है लेकिन सरकार तय तारीख की मांग कर रही है. मुसूई कहते हैं कि अधिकांश मिसलमान इन आकलनों पर आधारित कैलेंडर चाहते हैं ताकि वे समय से योजना बना सकें.

लेकिन सभी इस पर सहमत नहीं होंगे. इसका समर्थन करने वाले दो यूरोपीय संगठन अरब मूल के हैं और मुस्लिम ब्रदरहुड के साथ जुड़े हुए हैं. दक्षिण एशिया जैसी दूसरी पृष्ठभूमियों से आने वाले मुसलमानों को उनका साथ देने में परेशानी होगी. गुसूम कहते हैं, "मैं ब्रिटेन को आनेवाले सालों में इसे मानता नहीं देखता."

एमजे/आईबी (रॉयटर्स)

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