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कश्मीर भारत का अभिन्न अंग नहीं रहाः अरुंधती रॉय

२५ अक्टूबर २०१०

सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक अरुंधती रॉय ने कहा है कि जम्मू कश्मीर कभी भारत का अभिन्न अंग नहीं रहा है. कश्मीर की आजादी की समर्थक अरुंधती इससे पहले भारत में जम्मू कश्मीर के विलय पर सवाल उठा चुकी हैं.

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कश्मीर की आजादी की पैरोकारतस्वीर: AP

श्रीनगर में कश्मीर की आजादी पर हुए एक सेमिनार में रॉय ने कहा, "कश्मीर कभी भारत का अभिन्न अंग नहीं रहा है. यह एक ऐतिहासिक तथ्य है. यहां तक कि भारत सरकार ने भी इस बात को माना है." प्रतिष्ठित बुकर पुरस्कार जीत चुकी लेखिका ने आरोप लगाया कि ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद भारत भी एक औपनिवेशिक ताकत बन गया.

रॉय ने कहा, "साम्राज्यवादी औपनिवेश को जगह तेजी से कॉर्पोरेट औपनिवेश आ रहा है. कश्मीरी लोगों को तय करना होगा कि क्या वे भारतीय दमन की जगह भावी स्थानीय कॉर्पोरेट दमन चाहते हैं. आपके संघर्ष के कारण भारत के लोगों को पता चल रहा है कि आप कितना दमन झेल रहे हैं. लेकिन आपको तय करना होगा, जब आपको अपना भविष्य तय करने की अनुमति दी जाएगी तो आप किस तरह का समाज चाहते हो."

कश्मीरी लोगों के कथित दमन के लिए भारत सरकार की आलोचना करते हुए अरुंधती रॉय ने कहा कि भारत सेना और अर्धसैनिक बलों में भर्ती कश्मीरी लोगों को पूर्वोत्तर में विद्रोह शांत करने के लिए इस्तेमाल करता है और पूर्वोत्तर के लोगों से यही काम कश्मीर में लिया जाता है.

इस सेमिनार में अरुंधती रॉय के अलावा मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नौलखा और दिल्ली के मजदूर यूनियन नेता अशिम रॉय ने भी अपने विचार रखे और आजादी के लिए कश्मीरी लोगों के संघर्ष का समर्थन किया. जम्मू कश्मीर कोएलिशन ऑफ सिविल सोसायटी की तरफ से कराए गए इस सेमिनार में कोई मुख्यधारा या अलगाववादी राजनेता मौजूद नहीं था.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः एमजी

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