कश्मीर में भेजे जाएंगे 25,000 अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी
१९ नवम्बर २०२०जिला विकास परिषदों के लिए होने वाले चुनावों के पहले चरण में 28 नवंबर को 10 जिलों में मतदान होगा, जहां कुल 167 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं. दूसरे चरण के लिए 227 प्रत्याशी नामांकन भर चुके हैं. चुनावों के मद्देनजर सुरक्षा जरूरतों के लिए बीएसएफ, सीआरपीएफ, सीआईएएसएफ, आईटीबीपी और एसएसबी जैसे अर्ध-सैनिक बलों से अतिरिक्त जवान घाटी में भेजे जा रहे हैं.
घाटी में आए दिन आतंकवादी घटनाएं हो रही हैं. गुरूवार सुबह भी नगरोटा में एक मुठभेड़ हुई जिसमें चार आतंकवादियों के मारे जाने और कम से कम एक सुरक्षाकर्मी के घायल होने की खबर आई है. मुठभेड़ के बाद जम्मू-श्रीनगर राज्यमार्ग को बंद कर दिया गया है. बुधवार को पुलवामा जिले में आतंकवादियों ने एक ग्रेनेड हमला किया जिसमें कम से कम 12 आम नागरिक घायल हो गए.
ये घटनाएं दर्शाती हैं कि कश्मीर में अभूतपूर्व संख्या में सुरक्षाकर्मियों के होने और सरकार के दावों के बावजूद वहां स्थिति अभी भी चिंताजनक बनी हुई है. इन सब के बीच चुनावों का शांतिपूर्ण ढंग से आयोजन कैसे होगा, ये देखना होगा. पहले की तरह विपक्षी पार्टियां चुनावों का बहिष्कार नहीं कर रही हैं, लेकिन नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी जैसी पार्टियों ने आरोप लगाया है कि उनके उम्मीदवारों को पुलिस कैंपेन नहीं करने दे रही है.
पुलिस ने इन आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि जिन प्रत्याशियों ने पुलिस से सुरक्षा की मांग की है सिर्फ उन्हें ही सुरक्षा दी जा रही है. बीत कुछ महीनों में राज्य में कई राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है.
क्या विपक्ष एक 'गैंग' है?
इस बीच चुनावों के पहले घाटी में राजनीति भी गरमा रही है. विपक्षी पार्टियों के "गुपकार गठबंधन" को 'गैंग' कहने पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की आलोचना हो रही है. पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती द्वारा विरोध जताए जाने के बाद अब कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सैफुद्दीन सोज ने कहा है कि केंद्रीय गृह मंत्री जब इस तरह के बयान देते हैं तो उस से दुनिया में पूरे देश की छवि खराब होती है.
दो दिन पहले शाह ने ट्वीट करके कहा था कि 'गुपकार गैंग' विदेशी ताकतों से कश्मीर में हस्तक्षेप करवाना चाहता है और वो भारत के तिरंगे झंडे का भी तिरस्कार करता है.
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