किसने खोए और किसने पाए सबसे ज्यादा दलबदलू नेता
दलबदलू नेताओं पर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक रिपोर्ट में कई दिलचस्प तथ्य सामने आए हैं. जानिए पिछले पांच सालों में कितने विधायक और सांसद चुने गए किसी और पार्टी के टिकट पर और बाद में चले गए किस और पार्टी में.
बड़ी संख्या
एडीआर के मुताबिक पिछले पांच सालों में कम से कम 433 सांसदों और विधायकों ने चुनाव जीतने के बाद पार्टी बदल ली और अगला चुनाव इसी नई पार्टी के टिकट पर लड़ा.
गिरा देते हैं सरकार
हाल में मध्य प्रदेश, मणिपुर, गोवा, अरुणाचल प्रदेश और कर्नाटक में विधायकों के दल बदलने की वजह से सरकारें गिर गईं.
किसने खोए सबसे ज्यादा नेता
2016 से 2020 के बीच हुए चुनावों के दौरान इनमें से सबसे ज्यादा, यानी 170 (42 प्रतिशत), विधायक कांग्रेस ने गंवा दिए. बीजेपी ने सिर्फ 18 विधायक (4.4 प्रतिशत) गंवाए. बीएसपी और टीडीपी ने 17, एनपीएफ और वाईएसआरसीपी ने 15, एनसीपी ने 14, एसपी ने 12 और आरजेडी ने 10 विधायक खोए. सबसे कम विधायक सीपीआई (1), डीएमके (1) और आरएलडी (2) जैसी पार्टियों ने खोए.
सबसे लोकप्रिय ठिकाना
इन दलबदलू नेताओं में से सबसे ज्यादा नेता बीजेपी में गए. इस अवधि में इनमें से 405 विधायकों ने दोबारा चुनाव लड़ा, जिनमें 182 (44.9%) विधायक अपनी अपनी पार्टी छोड़ कर बीजेपी में शामिल हुए. कुल 38 विधायक (9.4%) कांग्रेस में गए जबकि 25 विधायक (6.2%) टीआरएस में शामिल हुए.
लोक सभा में बीजपी को नुकसान
2019 के लोक सभा चुनावों के दौरान बीजेपी के पांच लोक सभा सदस्यों ने (41.7%) ने दूसरी पार्टी का दामन थामा. कुल 12 लोक सभा सदस्यों ने अपनी पार्टी छोड़ी और उनमें से पांच (41.7%) कांग्रेस में शामिल हुए.
राज्य सभा में कांग्रेस का पलड़ा हल्का
2019 के चुनावों के दौरान कांग्रेस के सात राज्य सभा सदस्यों (43.8%) ने पार्टी को छोड़ दूसरी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा. कुल 16 राज्य सभा सदस्यों ने अपनी पार्टी छोड़ी और उनमें से 10 (62.5%) बीजेपी में शामिल हुए.
दलबदलू नेताओं का हश्र
2019 लोक सभा चुनावों में जिन 12 सांसदों ने अपनी पार्टी छोड़ दूसरी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा उनमें से एक भी सांसद चुनाव जीत नहीं पाया. पिछले पांच सालों में अलग अलग राज्यों में 357 विधायकों ने अपनी पार्टी छोड़ दी, लेकिन उनमें से सिर्फ 170 विधायक ही दोबारा चुनाव जीत पाए. विधान सभाओं के उप-चुनावों में 48 विधायकों ने पार्टी बदली, लेकिन उनमें से सिर्फ 39 जीत पाए.
राज्य सभा की कहानी अलग
मौजूदा राज्य सभा में 16 ऐसे सदस्य हैं जो इससे पहले भी राज्य सभा में थे, लेकिन दूसरी पार्टी में. पार्टी बदलने के बावजूद ये सब दोबारा चुनाव जीत गए.
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