कैंप में सर्दी से मरते बच्चे
२७ दिसम्बर २०१३हालांकि राज्य सरकार के गृह सचिव एके गुप्ता ने प्रशासनिक नाकामी की बातों से इनकार किया है और कहा है कि सर्दी से वहां कोई मौत नहीं हुई है, "जो हमारे पास रिपोर्टेड केसेज हैं, दो तीन, चार केसेज उन्होंने निमोनिया बताया है. ठंड से मरा कोई नहीं बताया है. ठंड से कभी कोई मरता नहीं. अगर ठंड से मरते, तो साइबेरिया में कोई नहीं बचता."
संवेदनशील मुद्दे पर सरकारी प्रतिनिधि के इस बयान के बाद आम लोगों में भी नाराजगी है और राजनीतिक हलकों में भी. जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने तीखी नाराजगी जाहिर करते हुए ट्वीट किया, "क्या सर्दी से कोई नहीं मरता!!! जनाब को कम कपड़ों में भेजो और देखो कितनी जल्दी दूसरी सुर में गाने लगेंगे."
उत्तर प्रदेश सरकार के मुताबिक 34 बच्चों की जान चली गई है और इन सबकी उम्र 12 साल से कम है. राज्य सरकार की एक उच्च समिति ने रिपोर्ट दी है कि मुजफ्फरनगर और शामली जिलों में अभी भी करीब 5000 लोग शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं. राहत शिविरों में काम कर रहे गैर सरकारी संगठन अस्तित्व की शाहदाब जहां कहती हैं कि यहां सर्दी बड़ी समस्या हो गई है, "43 बच्चों की मौत हुई है, जो दोनों जिलों को मिला कर है. परेशानी है कि एक तो ठंड से बच्चे मर रहे हैं, दूसरा साफ सफाई और जलनिकासी की बातें भी हैं."
भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले में संज्ञान ले लिया है और उत्तर प्रदेश सरकार से रिपोर्ट मांगी है. आयोग की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि उन्होंने मीडिया रिपोर्टों के आधार पर यह कदम उठाया है, "ऐसी भी रिपोर्टें हैं कि वहां रहने वालों के लिए पर्याप्त कंबल नहीं हैं, जिससे शामली जिले के मलकपुर, सुनीति और मुजफ्फरनगर के लोई, जौला में बच्चों की मौत हो रही है."
आयोग का कहना है कि अगर ये रिपोर्टें सही हैं तो उन जगहों पर मानवाधिकार का उल्लंघन हो रहा है. इस मामले में दोनों जिलों के अधिकारियों को चार हफ्ते में रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है.
अगस्त में हुए दंगों के बाद हजारों लोग अब भी घर नहीं लौटे हैं और खानाबदोश की तरह इन कैंपों में रह रहे हैं. रिपोर्टें हैं कि कैंप तिरपाल के दो तीन परतों से बनाए गए हैं, जबकि इनके ऊपर कंबलों को बांधा गया है. लेकिन इनके बावजूद छोटे बच्चे सर्दी नहीं झेल पा रहे हैं.
इस बीच यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने अधिकारियों को संयम बरतने को कहा है. यादव का कहना है, "पार्टी कार्यकर्ताओं या अधिकारियों के शब्दों का इस्तेमाल ऐसा नहीं होना चाहिए कि किसी की भावना को ठेस पहुंचे. चाहे वह सरकार की कमी हो या फिर उसकी उपलब्धि." हालांकि खुद अखिलेश के पिता और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव टेंट में रहने वालों के बारे में कह चुके हैं, "कैंपों में कोई भी दंगा पीड़ित नहीं रह रहा है."
रिपोर्ट: अनवर जे अशरफ(पीटीआई)
संपादन: महेश झा