कौन बना है करोड़पति?
२० अगस्त २०१०पीज़ा और पारमा के बीच आपेनीन पहाड़ी की घाटी में दो हज़ार की आबादी का गांव बान्योने. नक्शे में वह दिखाई ही नहीं देता. गांव में हर कोई हर किसी को पहचानता है. वहां अब तक अमन चैन छाया हुआ था. लेकिन साल भर पहले पता चला कि वान्नी और अना मारिया के कहवाघर में किसी ने दो यूरो का टिकट खरीदा था, और उसकी लगभग 14 करोड़ 80 लाख की लॉटरी खुल गई है. वानी सिमोनेती कहता है कि वह हमेशा की तरह टीवी देख रहा था, अचानक खबरों में बताया गया कि मास्सा-करारा प्रांत में किसी की रिकार्ड की लॉटरी खुली है. तुरंत उसके बाद टेलिफोन बजा, और 6 दिनों तक लगातार बजता ही रहा.
उस दिन की याद करते हुए अना मारिया चियांपिनी कहती है कि पांच मिनट के अंदर कहवाघर भर गए. सारे गांव के लोग आए, और आए पत्रकार. हर कोई जानना चाहता था कि कौन है वह खुशकिस्मत. लेकिन पता ही नहीं चला. लगभग वैसा ही किस्सा, जैसा मालामाल वीकली में देखने को मिला था.
और तब से अटकलें लगाई जा रही हैं. लॉटरी का टिकट तो सभी खरीदते थे, लेकिन मिला किसे? शायद आंद्रेया को? लेकिन वह तो अभी तक जंगल विभाग की अपनी नौकरी किए जा रही है. कहवाघर के मालिक वान्नी को? वह भी तो पहले की तरह मशरुम ढूंढ़ने जाता है. वान्नी कंधे उचकाकर कहता है - नहीं, नहीं. सिर्फ़ भीड़ ज्यादा होने लगी है, काम बढ़ गया है. एनरिको ने एक नई गाड़ी खरीदी है. लेकिन इतना पैसा मिलता, तो इतनी छोटी गाड़ी क्यों खरीदता?
एक बात यह भी चल पड़ी है कि कोई सैलानी आया था, टिकट खरीदकर आगे निकल गया. अब उसका कोई अता-पता नहीं. किसने फैलाई यह बात? शायद उसी को मिला हो?
यह भी पूछा जा रहा है कि वह मर्द है या औरत? बहुतों की अभी शादी नहीं हुई है. शायद बात बनती? क्या फ़र्क पड़ता है कि देखने में कैसा है या कैसी है, या उम्र क्या है? आखिर 14 करोड़ 80 लाख का मामला है.
गांव में अब लोग एक-दूसरे को घूर-घूर कर देखने लगे हैं. हर किसी को लगता है कि कहीं कोई किसी बात को छिपाने की कोशिश कर रहा है, या रही है.
सिर्फ़ पंचायत के प्रधान खुश हैं. बिना किसी खर्च के प्रचार हो रहा है. सैलानी आ रहे हैं. टीवी पर भी वे कई बार आ चुके हैं. वैसे...इसके बदले अगर 14 करोड़ 80 लाख मिलता, तो बेहतर होता.
रिपोर्ट: उज्ज्वल भट्टाचार्य
संपादन: महेश झा