क्या असर दिखा रहा है नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध
२० दिसम्बर २०१९नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है. 19 दिसंबर को देशव्यापी प्रदर्शनों में लाखों लोग कानून के विरोध में सड़कों पर निकल कर आए. दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, लखनऊ, पटना समेत कम से कम 15 बड़े शहरों और 100 से भी ज्यादा छोटे शहरों और कस्बों में प्रदर्शन किए गए. अलग अलग राज्यों और अलग अलग शहरों की पुलिस ने हजारों लोगों को हिरासत में लिया. कहीं कहीं प्रदर्शनों के बीच हिंसा भी हो गई और लखनऊ और मंगलुरु में कुल मिलाकर कम से कम तीन लोगों की जान चली गई.
हर राज्य में पुलिस की कड़ी कार्रवाई के बावजूद, शुक्रवार को भी प्रदर्शनों का दौर जारी है. दिल्ली में भीम आर्मी के नेतृत्व में ऐतिहासिक जामा मस्जिद की सीढ़ियों पर ही विरोध प्रदर्शन किया गया.
पुलिस ने इस प्रदर्शन की इजाजत नहीं दी थी, इसलिए उसने भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद को मस्जिद तक पहुचने से रोकने के भरपूर प्रयास किए. लेकिन आजाद मस्जिद पहुंचे, प्रदर्शन का नेतृत्व किया और मस्जिद की सीढ़ियों पर ही संविधान की प्रस्तावना को सबके सामने पढ़ा. उसके बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया.
चंद्रशेखर आजाद के भाई भगत सिंह से डीडब्ल्यू ने बात की. भगत सिंह ने कहा, "मेरे भाई को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है. इस सरकार पर मुझे यकीन नहीं है. हम मुसलमान भाइयों का साथ देने के लिए दिल्ली में आंदोलन कर रहे थे. ये प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से किया जा रहा था. देशभर में एनआरसी लागू कर दिया गया तो मुसलमान अपने बाप-दादा का प्रमाण कहां से लेकर आएंगे. इस सरकार के पास पूर्ण बहुमत है. यह कुछ भी कर सकती है."
जब भगत सिंह से यह कहा गया कि ऐसा सीएए और एनआरसी में कहीं नहीं कहा गया है कि देश के मुसलमानों को देश छोड़ना पड़ेगा तो उन्होंने कहा, "देश के हर मुसलमान को लग रहा है कि कुछ गलत होने वाला है. वो सरकार पर यकीन नहीं करते. इसी वजह से हम इन डरे हुए लोगों के साथ हैं. वह सरकार से पूछते हैं कि अगर दूसरे देश के लोगों ने भी वहां के अल्पसंख्यकों को डराना शुरू कर दिया, उनको निकालना शुरु कर दिया, सरकार के कामों का बदला लेना शुरु कर दिया तब भारत सरकार क्या करेगी.
दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में पिछले हफ्ते से शुरु हुए विरोध प्रदर्शनों में संगीत के जरिये विरोध करने के लिए एक सभा बुलाई गई है. इन प्रदर्शनों को देखते हुए दिल्ली मेट्रो ने कम से कम पांच मेट्रो स्टेशनों के दरवाजे बंद कर दिए हैं. बताया जा रहा है कि उत्तरी पूर्वी दिली में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है. पुलिस ने फ्लैग मार्च निकाला है और घोषणा की है कि वो सोशल मीडिया पर भी नजर रखे हुए है.
अन्य शहरों की बात करें तो लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के कई शहरों में और मंगलुरु में मोबाइल इंटरनेट सेवायें बंद कर दी गई हैं. मंगलुरु में तो कर्फ्यू भी लगा दिया गया है, जो रविवार देर शाम तक रहेगा. उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में एसएमएस सेवाएं भी बंद कर दी गई हैं.
इस बीच सरकार और सत्तारूढ़ बीजेपी जनता के आक्रोश को शांत करने के लिए कुछ कदम उठा रही हैं. 19 दिसंबर को केंद्र सरकार ने अखबारों में "नागरिकता संशोधन अधिनियम के बारे में गलत सूचना" पर बड़े बड़े विज्ञापन निकाले थे. 20 दिसंबर को सरकार की तरफ से एक ऐसा बयान आया जिस से लगा कि सरकार कम से कम नागरिकों के रजिस्टर को लेकर थोड़ी नरम हो रही है. गृह राज्य मंत्री जीके रेड्डी ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर यह रजिस्टर बनाने की अभी कोई योजना नहीं है.
सरकार की नरमी का एक और संकेत असम से भी आया, जहां मुख्यमंत्री सर्बानंदा सोनोवाल ने प्रदर्शनकारियों को बातचीत के लिए आमंत्रण दिया. बीजेपी के 12 विधायकों के उनसे मिलने की भी खबर आई. विधायकों ने उनसे कहा कि वे इस संकट को समाप्त करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मनाएं.
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