क्या सौरमंडल के बाहर पहला चांद मिल गया है?
६ अक्टूबर २०१८हमारे सौरमंडल के बाहर सैकड़ों ग्रह मौजूह हैं लेकिन इनमें कोई चांद है कि नहीं, इसकी पुष्टि अभी तक नहीं हो सकी है. कोलंबिया यूनिवर्सिटी के दो रिसर्चरों ने एक चांद की मौजूदगी का प्रमाण पेश किया है. यह चांद पृथ्वी से बड़ा है और इसका आकार शनि या वरुण ग्रह के बराबर हो सकता है. जाहिर है कि इसका आकार काफी विशाल है. यह जिस ग्रह का चक्कर लगाता है उसका आकार भी लगभग बृहस्पति के बराबर है. यह पृथ्वी से करीब 8000 प्रकाश वर्ष दूर है. हमारे सौरमंडल के बाहर के चंद्रमा को एक्सोमून कहा जाता है.
रिसर्चर आलेक्स टीचे और डेविड किपिंग ने हमारे सौर मंडल के बाहर 284 ग्रहों का मूल्यांकन किया है. ये ग्रह पहले से ही उन ग्रहों में शामिल हैं जिन्हें नासा की केपलर दूरबीन के जरिए खोजा गया है. इनमें से सिर्फ एक ही ग्रह है जिसके इर्द गिर्द चांद चक्कर लगाता है. इसका आकार सूरज से बड़ा है और यह उससे पुराना भी है.
पिछले साल अक्टूबर में इन दोनों वैज्ञानकों ने हब्बल स्पेस टेलिस्कोप का निर्देशन किया था ताकि यह पता लगाया जा सके कि केपलर 1625 के चारों ओर कोई चंद्रमा चक्कर लगा रहा है या नहीं. वैज्ञानिक इस सितारे की चमक में कुछ देर के लिए होने वाली दूसरी कमी ढूंढ रहे थे. आमतौर पर चमक में कमी एक तो तब होती है, जब ग्रह उस सितारे के सामने आता है जिसका वो चक्कर लगा रहा हो और दूसरा तब जब उसके चक्कर लगा रहा उपग्रह उसके सामने आए. दूसरी कमी का एक मतलब यह हो सकता है कि इस ग्रह के पास कोई चंद्रमा है.
ज्यादा शक्तिशाली और सटीक हब्बल दूरबीन ने करीब साढ़े तीन घंटे बाद सितारे की चमक में दूसरी बार कमी को देख लिया. चमक में यह कमी पहली बार की तुलना में थोड़ी कम थी. हालांकि जब तक चांद अपना चक्कर पूरा करता, उससे पहले ही उसकी निगरानी का समय पूरा हो गया और यही वजह था कि वैज्ञानिकों को अगला चक्कर पूरा होने का इंतजार करना पड़ेगा, शायद अगले पतझड़ का मौसम आने तक.
सबूत होने के बावजूद वैज्ञानिक सावधानी बरतने का अनुरोध कर रहे हैं. टीके ने कहा, "पहला एक्सोमून जाहिर है कि एक असाधारण दावा होगा और इसके लिए असाधारण सबूत भी चाहिए. इसके साथ ही इस चांद का जो आकार हमने गणना कर निकाला वह वरूण के बराबर है, और अब तक इसके इस हद तक होने की भी कल्पना नहीं की गई थी. यही वजह है कि ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है." वैज्ञानिकों का कहना है कि एक और बात जो उन्होंने दर्ज की वह यह थी कि चांद की वजह से ग्रह की चमक में कमी का समय एक घंटे पहले था. यह एक और बात है जो चांद होने की पुष्टि करती है क्योंकि चांद का पथ ढुलमुल होने के कारण यह संभव हो सकता है.
अगर यह सचमुच चांद हुआ तो अपने ग्रह से करीब 20 लाख किलोमीटर दूर होगा और हमारी धरती से जितना बड़ा चांद दिखता है, यह अपने ग्रह से उसके दुगुने आकार का दिखेगा. वैज्ञानिकों का कहना है कि इसकी पुष्टि से हमारे पास अभी जो चांद के निर्माण की समझ है उसमें उथल पुथल मच जाएगी. जैसे कि चांद कैसे बनता है या फिर किन चीजों से मिल कर बना है, इन सबके बारे में हमारी जानकारी में बहुत बदल जाएगी.
हमारे सौरमंडल में करीब 200 चांद हैं. बुध और शुक्र ग्रह को छोड़ कर बाकी सभी ग्रहों के पास चांद हैं.
एनआर/एके (एपी)