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क्वार्टर फाइनल में मजेदार मुलाकात

२२ जून २०१२

आज यूरोपियन चैंपियनशिप में क्वार्टर फाइनल में जर्मनी और ग्रीस का मुकाबला है. मैदान पर जर्मन कोच योआखिम लोएव की मुलाकात उस आदमी से होगी, जिसकी वजह से उन्हें 2008 में रेड कार्ड दिखा दिया गया था.

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तस्वीर: AP

रेड कार्ड आम तौर पर खिलाड़ियों को दिया जाता है, लेकिन ठीक चार साल पहले 2008 में वियना में ऑस्ट्रिया के साथ हो रहे मैच के दौरान बाउंड्री लाइन के बाहर बुरे बर्ताव के लिए उन्हें मैदान से बाहर निकाल दिया गया था. यूरोपीय चैंपियनशिप का वह मैच जर्मनी 1-0 से जीत गया था, लेकिन जर्मन कोच लोएव और ऑस्ट्रिया के कोच जोसेफ हिकर्सबर्गर के लिए 40 मिनट बाद ही मैच का नेतृत्व खत्म हो गया था.

कोच पर प्रतिबंध

दोनों कोच साइड लाइन पर कई बार चिल्लाए. यूरोपीय फुटबॉल संघ यूएफा के फैसले के अनुसार दोनों ने संघ के चौथे अधिकारी डमीर श्कोमीना पर भी शब्द बाण छोड़े थे. जब स्पेनी रेफरी मानुएल मेखुतो गोंजालेज को बर्दाश्त नहीं हुआ तो  उन्होंने दोनों कोच को मैदान से बाहर निकाल दिया. जर्मन कोच पर एक मैच के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया था और पुर्तगाल के खिलाफ मैच में उन्हें दर्शक दीर्घा में बैठना पड़ा था. लोएव को श्कोमीना की याद है या नहीं पता नहीं, लेकिन आज दोनों का सामना मैदान पर होगा. स्लोवेनिया के 35 वर्षीय श्कोमीना ग्दांस्क में हो रहे क्वार्टर फाइनल मुकाबले में रेफरी होंगे.

उस घटना के बारे में लोएव ने सजा दिए जाने से पहले वियना की पृष्ठभूमि में बनी फिल्म 'द थर्ड मैन' की ओर इशारा करते हुए मजाक में कहा था, "आप सब फिल्म तीसरा आदमी के बारे में जानते हैं, कल हमारी मुलाकात चौथे आदमी से हुई." उन्होंने कहा, मैंने इस सीन से पहले कई भाषाओं में बताने की कोशिश की कि मैं एकाग्र रहना चाहता हूं, और जब मैं एकदम आगे जाऊं तो वह हर बात पर टिप्पणी न करे. 40वें मिनट में मैं थोड़ा बेबाक हो गया."

UEFA EURO 2012 Dänemark Deutschland
मैच के दौरान जर्मन कोच लोएवतस्वीर: picture-alliance/dpa

यूएफा का फैसला

उस समय लोएव ने भरोसा दिलाया था कि उन्होंने यूएफा अधिकारी का कतई अपमान नहीं किया, बल्कि उन्हें सिर्फ कोचिंग जोन में अपने अधिकारों के बारे में बताया. ऑस्ट्रिया के कोच हिकर्सबर्गर ने भी जर्मन कोच का पक्ष लिया. उन्होंने कहा कि यूएफा को लोएव पर प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए. लेकिन यूरोपीय फुटबॉल संघ ने उनकी नहीं सुनी, अपने अधिकारी की मानी. बाजेल में पुर्तगाल को जब उनकी टीम ने 3-2 से हराया तो सारा समय वे शीशे की दीवार के पीछे पवेलियन में बैठे रहे और कॉफी तथा सिगरेट में अपना तनाव बुझाते रहे.

श्कोमीना 2003 से यूएफा और फीफा की रेफरियों की सूची पर हैं. पोलैंड और यूक्रेन में हो रहा टूर्नामेंट उनका पहला बड़ा टूर्नामेंट है. वे 2010 में दक्षिण अफ्रीका में हुए विश्व चैंपियनशिप में भी रेफरी के उम्मीदवारों की सूची में थे, लेकिन अंत में उनका चयन नहीं हुआ. ग्दांस्क का मैच उनके लिए यूरोपीय चैंपियनशिप का तीसरा मैच होगा. इससे पहले वे स्वीडन-इंगलैंड और नीदरलैंड-डेनमार्क मैच में रेफरी रह चुके हैं.

एमजे/ओएसजे (डीपीए)

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