अर्थव्यस्था को बदहजमी
४ जून २०१३संयुक्त राष्ट्र के खाद्य विभाग ने दुनिया भर की सरकारों से अपील की है कि वे लोगों को अच्छा खाना मुहैया कराने में निवेश करें. इससे न सिर्फ समाज का भला होगा बल्कि अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी. संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन, एफएओ ने कहा है कि उत्पादन क्षमता का घटना और स्वास्थ्य सेवाओं का बढ़ता बिल कुपोषण से जुड़ा है. कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था पर यह बोझ करीब 26 खरब यूरो का है. यह रकम दुनिया भर की जीडीपी के पांच फीसदी हिस्से के बराबर है.
कहीं भुखमरी, कहीं मोटापा
एफएओ का कहना है कि पोषण को बेहतर बढ़ाने से आय भी बढ़ेगी. अपनी सालाना रिपोर्ट में एफएओ ने कहा है कि दुनिया के 12.5 फीसदी लोग ऊर्जा की खपत के लिहाज से कुपोषित हैं, जबकि दुनिया भर के 26 फीसदी बच्चों को भरपेट भोजन नहीं मिलता. दुनिया के करीब दो अरब लोग सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से जूझ रहे हैं, जबकि 1 अरब 40 करोड़ लोग जरूरत से ज्यादा वजनी हैं. इनमें से 50 करोड़ लोग मोटापे के शिकार हैं. कम और मध्यम आय वाले देशों में तेजी से बढ़ता मोटापा दूसरे खर्चों को बढ़ा रहा है.
एफएओ का कहना है कि बढ़ते शहरीकरण, कम शारीरिक गतिविधियों वाली जीवनशैली और डिब्बाबंद खाने की बढ़ती मौजूदगी का मतलब है कि नीतियां बनाने वालों को मोटापे की चुनौती से जूझने में बहुत सिर खपाना होगा. हालांकि संयुक्त राष्ट्र की इस एजेंसी का कहना है कि इससे होने वाला फायदा बहुत बड़ा होगा. एजेंसी के मुताबिक, "उदाहरण के लिए सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को खत्म करने में निवेश से लोगों का स्वास्थ्य बेहतर होगा, बच्चों की मौत घटेगी और भविष्य में आय बढ़ेगी." जानकारों के मुताबिक सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे कि विटामिन, आयरन और आयोडिन की कमी खासतौर से विकासशील देशों में बहुत आम है.
बीमारियों की कीमत
कुपोषण की वजह से भी हर साल दुनिया की जीडीपी पर 2-3 फीसदी का बोझ पड़ता है. मोटापे से कितना आर्थिक नुकसान है इसके बारे में आंकड़े मौजूद नहीं हैं, लेकिन गैर संक्रामक रोगों के कारण दुनिया को 2010 में कुल मिलाकर 1.4 खरब यूरो खर्च करने पड़े थे. गैरसंक्रामक रोगों का शिकार बनने में मोटापा सबसे अहम भूमिका निभाता है.
संयुक्त राष्ट्र की इस एजेंसी ने दुनिया के नेताओं से अपील की है कि भोजन के तंत्र में पोषण के स्तर को बेहतर करें. इसमें कृषि की नीतियों को सुधारने के साथ ही लोगों को शिक्षा के जरिए जागरूक करने की जरूरत है. एजेंसी ने कहा है, "कृषि पर शोध और विकास की प्राथमिकताओं में पोषण का भी ध्यान रखना चाहिए जिसमें पोषक तत्वों से भरे खाने जैसे कि फल, सब्जियां, फलीदार पौधे और पशुओं से मिलने वाली खाने पीने की चीजें ज्यादा होनी चाहिए."
सरकार इसमें सब्सिडी, और खास तौर बच्चों और बुजर्गों के खाने पर विशेष ध्यान दे कर मदद कर सकती है. इसके लिए खाने के सामानों पर उसके पोषक तत्वों के बारे में ज्यादा जानकारी मुहैया कराने और कुछ दूसरे उपाय सुझाए गए हैं.
एनआर/आईबी (एएफपी)