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खसरा इतना घातक क्यों होता है?

८ मार्च २०१९

खसरे (मीजल्स) के टीके का ऑटिज्म का कोई संबंध नहीं है. कुछ पैरेंट्स का आरोप था कि खसरे के बचाव के लिए लगाए जा रहे टीकों से उनके बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण दिखाई दे रहे हैं. लेकिन ये खसरा रोग है क्या, आइए जानते हैं.

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junges Mädchen mit Masern
तस्वीर: picture-alliance/dpa/fit-for-travel

किसी को खसरा होने का पहला संकेत होता है शरीर पर खुजली वाले लाल चकत्ते होना. ये चकते या निशान पहले कानों के पीछे, गर्दन या सिर पर दिखाई देते हैं. इन चकत्तों के दिखाई देने से तीन दिन पहले ही इसका वायरस शरीर में पहुंच चुका होता है.  इसके सही उपचार के लिए संदिग्ध रोगी के खून में एंटीबॉडीज का होना जरूरी है.

खसरे का वायरस अक्सर छींकने या खांसने से हवा में लार या बलगम के द्वारा फैलता है. यह किसी संक्रमित व्यक्ति के बेहद नजदीक खड़ा होकर बात करने से भी फैल सकता है.

खसरा बेहद संक्रामक बीमारी है. हर संक्रमित व्यक्ति करीब 15 स्वस्थ व्यक्तियों को संक्रमित कर देता है. खसरा सिर्फ इंसानों में ही फैलता है.

संक्रमण शुरू होने के करीब 14 दिन बाद मरीज को खांसी और बुखार आता है. इसके साथ ही शरीर पर लाल चकत्ते होने शुरू होते हैं. इन लक्षणों को कम करने के लिए डॉक्टर आम तौर पर दवाएं देते हैं. इसके साथ ही मरीज को कान में इंफेक्शन, न्यूमोनिया और खतरनाक डायरिया हो सकता है. सबसे बुरी स्थिति में डायरिया से डिहाइड्रेशन होता है और मौत तक हो सकती है. खसरे का कोई खास इलाज मौजूद नहीं है. शरीर को खुद ही इस संक्रमण से लड़ना होता है.

Masern-Virus
वायरस शरीर में दाखिल होने के बाद ही दिखते हैं खसरे के लक्षणतस्वीर: Imago/Science Photo Library

खसरा से मेनिनजाइटिस (मस्तिष्कावरण शोथ) भी हो सकता है जिससे ब्रैन डैमेज और मानसिक अक्षमता हो सकती है. जर्मनी के मुख्य सार्वजनिक स्वास्थ्य निकाय रोबर्ट कोच इंस्टीट्यूट के मुताबिक 1,000 में से एक मामले में मीजल्स इंसेफ्लाटिस भी होता है. ऐसे पांच में से एक मामला खतरनाक होता है. और जरूरी नहीं कि ऐसी परेशानियां बीमारी के दौरान ही हों, ये बीमारी होने के सालों बाद भी हो सकता है.

टीकाकरण ही बचाव है

अधिकतर पैरेंट्स टीके के साइड इफेक्ट्स के डर के चलते इसको लगवाने से मना कर देते हैं. कुछ का मानना होता है कि उनके बच्चे को संक्रमण होना ही ठीक है जिससे उसके शरीर में एंटीबॉडी विकसित हो जाएंगे. कुछ समय के लिए तो खसरा पार्टियां भी मशहूर थीं.

लोग अपने बच्चों को संक्रमित बच्चे के साथ खेलने के लिए भेजते थे जिससे उनके बच्चे को भी संक्रमण हो जाए. ऐसा करने वाले पैरेंट्स को लगता था कि इस वायरस के संपर्क में आने से खसरा होने परिस्थिति में उनके बच्चे की प्रतिरोधकता अच्छी हो जाएगी.

हालांकि, विशेषज्ञ इससे सहमत नहीं हैं. ऐसे गलत दावे और विश्वास टीकाकरण कार्यक्रम के कमजोर होने की वजह बनते हैं. खसरे के टीके और ऑटिज्म के बारे में चलने वाली बात एक दम असत्य है. इस बात को डॉक्टरों ने कई बार बताया है.

Symbolbild Masern
प्रतिरोधी टीका ही खसरे से बचाव कर पाता हैतस्वीर: picture-alliance/Xinhua News Agency/R. Umali

खसरे के टीके में खसरा वायरस के दो तनुकृत शॉट होते हैं. रॉबर्ट कोख इंस्टीट्यूट के स्थायी टीकाकरण आयोग के मुताबिक खसरा के टीके को मंप्स और रुबेला के टीके के साथ लगाया जाना चाहिए. ये टीकाकरण बच्चे के एक साल का होते ही किया जाना चाहिए. तब जाकर ही पैरेंट्स आश्वस्त हो सकेंगे कि उनका बच्चा बीमारी से सुरक्षित है.

टीकाकरण का लक्ष्य पूरा नहीं हुआ

विश्व स्वास्थ्य संगठन खसरे को दुनियाभर से 2020 तक खत्म करना चाहता है. चेक रिपब्लिक, एस्टोनिया, फिनलैंड, पुर्तगास, स्लोवाकिया और स्लोवेनिया ही अब तक इस लक्ष्य को पूरा कर सके हैं.

गुड्रुन हाइसे/आरकेएस

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