खाद की बर्बादी से प्रदूषण
१८ फ़रवरी २०१३वैज्ञानिक कहते हैं कि नाइट्रोजन वाले खाद को सही तरह से इस्तेमाल करने से साल में दो करोड़ टन खाद और 17 करोड़ डॉलर बचाए जा सकेंगे. नाइट्रोजन और फॉसफोरस वाले खाद पैदावार बढ़ाते हैं. माना जाता है कि इनके इस्तेमाल से भी विश्व की आधी आबादी को खाना मिल सकेगा. 2050 तक विश्व की आबादी नौ अरब हो जाएगी.
लेकिन खाद के गलत इस्तेमाल से वातावरण को नुकसान हो सकता है. नाइट्रेट और फॉसफेट के रूप में खाद पानी से मिल जाता और प्रदूषण फैलाता है. इससे आसपास के पेड़ पौधों को भी नुकसान हो सकता है. नाइट्रोजन प्रदूषण से सालाना 800 अरब डॉलर का नुकसान होता है लेकिन अगर 2020 तक खाद के इस्तेमाल में 20 प्रतिशत तक सुधार लाया जाए तो पैसों के साथ साथ पर्यावरण की सुरक्षा भी हो सकती है. ब्रिटेन में सेंटर फॉर इकोलॉजी एंड हाइड्रोलॉजी के मार्क सटन कहते हैं कि मिट्टी में पौष्टिक पदार्थों की मात्रा को अगर संतुलन में रखा जाए तो इससे खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण, दोनों को बढ़ावा मिल सकता है. सटन संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण संगठन यूनेप के साथ मिलकर शोध कर रहे हैं.
शोध में पता चला है कि सहारा मरुस्थल के नीचे अफ्रीकी इलाकों में किसान अच्छे पैदावार के लिए जूझ रहे हैं. इस समय नाइट्रोजन का 80 प्रतिशत और फॉसफोरस का 25 से लेकर 75 प्रतिशत बर्बाद हो जाता है. यूनेप की रिपोर्ट पर सटन के साथ काम कर रहे नीदरलैंड्स में वागेनिंगेन विश्वविद्यालय के आने आनेमा कहते हैं कि खाने में एक किलो पौष्टिकता के लिए चार से लेकर 12 किलो नाइट्रोजन या फॉसफोरस की जरूरत होती है.
शोध में 14 देशों से 50 वैज्ञानिक शामिल हैं. सटन का कहना है कि अगर सरकारें मिल कर खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण पर काम करें, तो नतीजों में बेहतरी आ सकती है. यूनेप ने 1995 में खाद के इस्तेमाल के लिए कुछ नियम जारी किए थे. इन्हें पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है. रिपोर्ट में लिखा है कि मिट्टी के साथ साथ पशुओं और खाद पर भी नियंत्रण रखा जाए तो खाने में से पौष्टिक पदार्थों की बर्बादी को रोका जा सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक मांस खाने की मात्रा को भी कम करने की जरूरत है. इससे विश्व भर में जमीन के प्रदूषण को रोका जा सकेगा.
रिपोर्टः एमजी/एजेए (रॉयटर्स)