1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

गुड बाय गोल्डन प्रिंस

२१ मई २०११

आखिरी दिनों में भले ही उसने पिता की तरह राजस्थान की टीम की देख रेख की. लेकिन दिल से वह कभी जवानी पार नहीं कर पाया. मैदान में उसकी समझदारी भरी गेंदें नश्तर साबित हुईं, तो बाहर नादानियों ने उसे कभी बड़ा नहीं होने दिया.

https://p.dw.com/p/11KjU
Captain of Rajasthan Royals IPL T20 team Shane Warne along with team members, at the IPL Gala Parade *** Der Kapitän des indischen Cricket-Teams Rajasthan Royals, Shane Warne mit Mitspielern bei einer IPL Gala *** Bilder eingestellt im April 2009
तस्वीर: UNI

शेन वॉर्न क्रिकेट के बेहतरीन राजकुमार थे, जो कभी राजा नहीं बन पाए. भले ही सौरव गांगुली को कमबैक किंग कहा जाता हो लेकिन वापसी क्या होती है, यह तो कोई वॉर्न से पूछे. जिस हिस्से को दुनिया तेज गेंदों के लिए जानती है, उस हिस्से में स्पिन गेंद फेंकने की हिम्मत करना ही अपने आप में बड़ी बात थी. मोटा ताजा नौजवान जब पहली बार गेंद लेकर स्टंप्स के पास खड़ा हुआ, तो लोग परेशान हो गए कि वह चाहता क्या है. उसने बिना किसी रन अप के गेंद फेंक दी.

Rajasthan Royals Shane Warne misses a shot while batting against Kolkata Knight Riders during their 2009 Indian Premier League cricket match in Durban, South Africa, Wednesday May 20, 2009. (AP Photo/Aman Sharma)
तस्वीर: AP

पहली गेंद कोई ज्यादा चौंकाने वाली नहीं रही लेकिन साल भर के अंदर उसने माइक गैटिंग को जो सुनहरी गेंद फेंकी, क्या क्रिकेट को थोड़ा बहुत समझने वाला भी कोई भूल सकता है. वॉर्न रातों रात स्टार बन गए. अगले साल इस कलाई से पहली हैट ट्रिक निकली और अंगुलियां छोड़ कलाई से गेंद घुमाने की नई तकनीक दुनिया के सामने आई. वॉर्न की मजबूत कलाई ने साढ़े पांच औंस की गेंद को अपना गुलाम बना लिया. वह जैसे चाहते, उसे वैसे नचाते और गेंद के आगे पीछे नाचते बल्लेबाज सीधे पैवेलियन जाकर रुकते.

लेकिन वॉर्न की गेंदों की तरह उनका जीवन भी घुमावदार रहा. हर मोड़ पर दो रास्ते बन जाते. ऊंचाई पर चढ़ कर नीचे गिर जाना उनकी फितरत बन गई. कभी मैच फिक्सिंग में नाम फंसा तो कभी विजडन ने सदी का सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर चुन लिया. गम और खुशी के इस दोराहे पर पता ही नहीं चलता कि बीयर की चुस्कियों और सिगरेट के कश में कब उनका सफर किसी हसीना के बाहों में खत्म होता. अगले दिन सुर्खियों में फोटो छपते तो एक गैरमामूली क्रिकेटर शर्म से आंखें छिपा लेता.

रात रंगीनियों में बीतती लेकिन दिन में उसका असर नजर नहीं आता. सफेद कपड़ों में हरे घास के मैदान में उतरते ही वह फिर एक दो कदम चलता. फिर नीचे के ओंठ को दांतों के बीच हल्के से काटता और उसकी फेंकी गेंद फिर से बल्ले और पैड को काटती स्टंप में घुस जाती. वह फिर दोनों हाथ हवा में उठा कर एक विशाल वी बनाता. उसे विजयी होने का अहसास था.

उसकी टीम को विजयी होने का अहसास था लेकिन उससे भी कहीं ज्यादा अहसास था उसके बदनाम होने का. सबसे तजुर्बेकार खिलाड़ी होने के बाद भी उसे कप्तानी नहीं सौंपी जाती. वह टीम का गोल्डन प्रिंस था लेकिन राजकुमार को गद्दी कभी नहीं मिली. वह भले ही साल में सौ विकेट निकाल ले लेकिन उसे याद कम कपड़ों में पराई औरतों के साथ खींची गई तस्वीर के लिए ही किया जाता. ख्याति के वैभव ने विलासिता के सागर में डुबो दिया, जो आखिर विवाह की गांठ तोड़ कर ही माना.

Australia's Shane Warne bowls during the third day of the first cricket test match against India in Bangalore, India, Friday, Oct. 8, 2004. (AP Photo/Aman Sharma)
तस्वीर: AP

10 साल में अद्भुत गेंदों और अविश्वसनीय रिकॉर्डों के बीच वॉर्न सिर्फ फिक्सिंग और लड़कियों में ही नहीं फंसे, ड्रग्स की आगोश में भी आ गए. वर्ल्ड कप के खेमे से उन्हें बैरंग लौटा दिया गया और साल भर की पाबंदी. लेकिन फिर वही बात, वह तो वॉर्न थे. वापसी की जादुई क्षमता वाला लड़ाका. वह बार बार लौट आता था. पहले से कहीं खतरनाक हथियार से लैस होकर. देखते ही देखते राजकुमार ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एक हजार शिकार पूरे कर लिए. लेकिन प्रिंस कभी राजा नहीं बन पाया.

उसने ऑस्ट्रेलिया की जीत के सारे अरमान पूरे कर दिए लेकिन उसके सपने आंखों में ही रह गए. उसने क्रिकेट छोड़ दिया था. लेकिन क्या मछली जल के बिना रह पाती है. वॉर्न साल दो साल में आईपीएल से ही सही, मैदान पर लौट आए. वह राजकुमार, जो कभी राजा नहीं बन पाया था, उसने एक बाप बनने का फैसला किया. उसे मालूम था कि नाकाम पति और असफल पिता होना कितना परेशान करती है. उसने युवा खिलाड़ियों को अपने बच्चों की तरह देखा. वह टीम के कोच भी बने और कप्तान भी. मामूली खिलाड़ियों के साथ राजस्थान रॉयल्स चैंपियन बन गई. विवादों और बदनामी के साथ वॉर्न की जिन किताबों को इतिहास में डाल दिया गया था, उनकी धूल फिर पोंछी जाने लगी.

उसका कद इतना बड़ा हो गया कि जब ऑस्ट्रेलिया इंग्लैंड के खिलाफ हार पर हार झेलने लगा, तो पूरे देश में उनसे संन्यास तोड़ देने की अपील होने लगी. उनसे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में लौट आने की मान मनुहार की जाने लगी, जिसे वॉर्न ने कभी नहीं माना.

Australian batsman Shane Warne, right, follows a six, watched by South African wicketkeeper Mark Boucher, left, on the second day of the second cricket test between South Africa and Australia, played at Newlands Cricket Stadium, Cape Town, South Africa, Saturday March 9, 2002. (AP Photo/Jon Hrusa)
तस्वीर: AP

अपने सुनहरे बालों से बेइम्तिहां प्यार करने वाले इस सुनहरे क्रिकेटर की दूसरी सुनहरी पारी शुरू हो चुकी थी. लेकिन राजस्थान की टीम बाद के सालों में धक्के खाने लगी और वॉर्न एक बार फिर रंगीनियों में बसने लगे. अबकी बारी उनकी माशूका बनीं ब्रितानी अदाकारा, लिज हर्ले. लंदन के होटलों से उनकी नजदीकी इतनी बढ़ी कि हर्ले अपने पति अरुण नायर को छोड़ वॉर्न के पास भारत पहुंच गईं. इधर वॉर्न ने क्रिकेट को आखिरी सलाम कहने का फैसला कर लिया.

लेकिन कहानी इतनी सरल होती, तो वॉर्न की न होती. उन्होंने जाते जाते एक और हंगामा कर दिया. अपनी टीम को फायदा पहुंचाने के लिए एक बड़े अधिकारी से भिड़ गए और केस मुकदमों के बीच सफर खत्म हुआ. वॉर्न अब हर्ले के साथ ऑस्ट्रेलिया चले जाना चाहते हैं. देखना है कि हर्ले के साथ और क्रिकेट के बगैर वॉर्न कितना दिन गुजारते हैं.

रिपोर्टः अनवर जे अशरफ

संपादनः सचिन गौड़

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी