गूगल विवाद के बीच रिकॉर्ड इंटरनेट यूज़र
१५ जनवरी २०१०गूगल जहां एक तरफ़ चीन को गुड बाय कहने की तैयारी कर रहा है, वहीं चीन इस मामले पर पहली बार गंभीर दिखा. उसका कहना है कि इस मुद्दे को हल किया जा सकता है और इसकी वजह से अमेरिका के साथ रिश्ते ख़राब नहीं होंगे.
चीनी वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि गूगल मसला हल करने के कई उपाय हैं लेकिन विदेशी कंपनियों को चीनी क़ानून का पालन तो करना ही पड़ेगा. वाणिज्य मंत्रालय का कहना है कि चीन और अमेरिका के रिश्ते गूगल नहीं तय कर सकता है और हमें संपर्क के कई दूसरे रास्ते पता हैं.
चीन और अमेरिका के बीच कारोबार, हथियारों के व्यापार और मानवाधिकार जैसे मुद्दों पर तनाव पहले से ही है और अब गूगल मामले ने इसे और हवा दे दी है. दुनिया की सबसे बड़ी इंटरनेट कंपनी गूगल ने चीन में सेंसरशिप और हैकिंग को मुद्दा बनाते हुए वहां अपना कामकाज बंद करने की बात कही है. अमेरिकी सरकार गूगल के साथ खड़ी है.
अमेरिका कह चुका है कि इससे चीन के साथ रिश्ते ख़राब हो सकते हैं और कारोबार पर भी असर पड़ सकता है लेकिन गूगल का एतराज़ सही है. अमेरिका पहले भी चीन की कथित साइबर जासूसी पर विरोध जता चुका है. इस बीच गूगल के दावों के बीच कंप्यूटर की एक और दिग्गज कंपनी माइक्रोसॉफ़्ट ने कहा है कि वह चीन नहीं छोड़ रही है.
इंटरनेट से जुड़े इस बड़े विवाद के बीच चीन में इंटरनेट यूज़र्स की संख्या 2008 के मुक़ाबले 30 फ़ीसदी बढ़ गई है. देश में अब साढ़े 38 करोड़ लोग इंटरनेट इस्तेमाल कर रहे हैं. चीन ने जो आंकड़े जारी किए, उसके मुताबिक़ देश के 70 करोड़ मोबाइल कनेक्शन हैं , जिनमें से 22 करोड़ इंटरनेट ऐक्सेस कर रहे हैं.
इस बीच, जर्मनी के विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले भी चीन में हैं. उन्होंने इंटरनेट की आज़ादी के मुद्दे पर चीनी अधिकारियों से बात की. वेस्टरवेले और चीन के विदेश मंत्री यांग जेइछी ने एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस की, जेइछी ने कहा कि उनका इंटरनेट बाज़ार सबके लिए खुला है लेकिन सर्विस देने वाली कंपनियों को क़ानून का पालन करना होगा और चीन किसी तरह के साइबर हमले का विरोध करता है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ए जमाल
संपादन: एस गौड़