चार जर्मन राज्यों में विवादास्पद जासूसी सॉफ्टवेयर
११ अक्टूबर २०११तीन जर्मन राज्यों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने गंभीर आपराधिक मामलों की जांच के लिए जासूसी सॉफ्टवेयर इस्तेमाल किया. यह जानकारी स्थानीय मीडिया ने दी है. बाडेन वुर्टेमबर्ग और ब्रांडेनबर्ग के गृहमंत्रियों ने माना है कि क्षेत्रीय पुलिस ने कानूनी दायरे में जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया है. स्थानीय रेडियो एनडीआर का कहना है कि लोअर सेक्सनी में यह सॉफ्टवेयर दो साल से इस्तेमाल किया जा रहा है.
जबकि ब्रांडेनबर्ग के अधिकारियों ने बर्लिनर मॉर्गनपोस्ट अखबार से बातचीत में बताया कि वे फिलहाल जारी एक जांच के लिए इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रहे हैं. बाडिशे त्साइटुंग के मुताबिक बाडेन वुर्टेमबर्ग ने भी इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल एकल मामलों की जांच के लिए किया है.
बवेरिया की पुष्टि
दक्षिणी राज्य बवेरिया पहला राज्य था जिन्होंने सोमवार को इस बात की पुष्टि की थी कि वह 2009 से इस जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रहा है. हालांकि अभी भी यह साफ नहीं है कि क्या चारों राज्य एक ही जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रहे थे या अलग अलग सॉफ्टवेयरों का.
बवेरिया के गृह मंत्री योआखिम हेरमान ने बयान में कहा कि उन्होंने कानूनी दायरे में कार्रवाई की है, और वादा किया है कि वह इसके इस्तेमाल की समीक्षा करेंगे. कंप्यूटर सुरक्षा के जानकारों और जर्मन नेताओं का कहना है कि इस तरह के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल संविधान के उल्लंघन के दायरे में आ सकता है.
शनिवार को एक हैकर ग्रुप ने जर्मन सरकार पर आरोप लगाया कि उसने अपने ही नागरिकों के खिलाफ और उनकी जासूसी करने के लिए एक स्पाई सॉफ्टवेयर बनाया है. केंद्रीय न्यायमंत्री सबीने लॉएटहॉएजर श्नारेनबैर्गर ने राज्य और केंद्र सरकारों से मामले की संयुक्त जांच करने की मांग की है. उन्होंने कहा, "मामले को हल्का करने की कोशिश से काम नहीं चलेगा. निजी और सार्वजनिक स्तर पर नागरिकों को राज्य की नियंत्रण प्रणाली के जरिए जासूसी से बचाना जरूरी है." जर्मनी के गृह मंत्रालय ने कहा कि इस तरह के जासूसी सॉफ्टवेयर राज्य स्तर पर इस्तेमाल हो रहे हैं.
हैकरों का आरोप
कैऑस कंप्यूटर क्लब (सीसीसी) नाम के हैकर ग्रुप ने शनिवार को अपना विश्लेषण प्रस्तुत किया जिसे फेडरल ट्रोजन कहा गया है. इसमें बताया गया कि लॉफुल इंटरसेप्शन नाम का सॉफ्टवेयर जर्मन कानून के दायरे का व्यापक उल्लंघन करता है. "यह मालवेयर न केवल निजी डेटा ले लेता है बल्कि रिमोट कंट्रोल से या बैकडोर तरीके से दूसरे प्रोग्राम भी अपलोड कर देता है."
सीसीसी का आरोप है कि निजी डेटा पर नजर रखने के लिए यह सॉफ्टवेयर जर्मन पुलिस सर्विस ने खास तौर पर बनाया है. सोमवार सुबह सीसीसी ने रेडियो से बातचीत के दौरान कहा कि "ग्रुप को पूरा यकीन है" कि जर्मन सरकार ने इस सॉफ्टवेयर को बनाया है.
सीसीसी का विश्लेषण दिखाता है कि यह ट्रोजन स्क्रीनशॉट ले सकता है, स्काइप की बातचीत रिकॉर्ड कर सकता है, वेबकैम या माइक्रोफोन एक्टिवेट कर सकता है और घर में होने वाली सब बातों पर नजर रख सकता है. लेकिन इससे बड़ी हानिकारक बात यह है कि यह ट्रोजन सॉफ्टवेयर कोई तीसरा व्यक्ति भी इस्तेमाल कर सकता है. ट्रोजन सोर्स कोड के सार्वजनिक होने के बाद कई इंटरनेट सुरक्षा कंपनियों ने सीसीसी के विश्लेषण की पुष्टि की. हेलसिंकी में इंटरनेट सुरक्षा कंपनी एफ सिक्यूर में मुख्य शोध अधिकारी ने कहा, "सीसीसी के नतीजे पर शंका करने का कोई कारण ही नहीं है. सीसीसी लंबे समय से भरोसेमंद शोध करता रहा है. इस कोड में ऐसी कुछ विस्तृत जानकारी है जो इसे आपराधिक मामलों के लिए इस्तेमाल होने वाले सॉफ्टवेयर से अलग करती है."
संविधान का उल्लंघन
जर्मनी की संवैधानिक अदालत ने 2008 में इस तरह के सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल में बाधाएं डाल दी थीं. कोर्ट ने कहा था कि इंटरनेट से किए जाने वाले फोन पर नजर रखने के लिए वारंट या अदालत के आदेश की जरूरत होगी. चूंकि यह नया सॉफ्टवेयर बहुत सक्षम है इसलिए इससे जर्मन संविधान का उल्लंघन होने की आशंका है.
रिपोर्टः सोन्या अंगेलिका डीन, जोआना इंपी, स्पेंसर किंबॉल/आभा एम
संपादनः महेश झा