चीन नंबर एक ऊर्जाखोर
२० जुलाई २०१०अंतररार्ष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अधिकारियों का हवाला देते हुए समाचार पत्र फ़ाइनेंशियल टाइम्स और वाल स्ट्रीट जर्नल ने रिपोर्ट दी है कि सन 2009 में ही चीन ने ऊर्जा की खपत के मामले में अमेरिका को पीछे छोड़ दिया. इस प्रकार अब वह इस मामले में विश्व तालिका में पहला स्थान बना चुका है. काफ़ी समय से इसकी उम्मीद तो की जा रही थी, लेकिन इतनी तेज़ी से हुए इस विकास से अधिकतर प्रेक्षक चकित हैं.
उर्जा एजेंसी के अनुसार 2009 में कोयले, परमाणु शक्ति, प्राकृतिक गैस व पनबिजली से चीन की ऊर्जा खपत करीब 2252 टन खनिज तेल के बराबर थी. यह अमेरिका की खपत से चार प्रतिशत अधिक है.
लेकिन चीन के राष्ट्रीय ऊर्जा विभाग की ओर से इस रिपोर्ट को ठुकरा दिया गया है.
राष्ट्रीय ऊर्जा विभाग के प्रतिनिधि झू ख़िआन ने समाचार एजेंसी शिन्हुआ को बताया कि चीन की ऊर्जा खपत के बारे में अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के आंकड़े विश्वसनीय नहीं हैं.
समाचार पत्र फ़ाइनेंशियल टाइम्स में अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के फ़ेथ बिरोल का हवाला देते हुए कहा गया है कि सन 2000 में चीन की ऊर्जा खपत अमेरिका की आधी थी. नौ सालों के अंदर वह अमेरिका से आगे निकल गया.
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रति व्यक्ति खपत के हिसाब से अमेरिका अब भी चीन से आगे है, लेकिन ऊर्जा के किफ़ायती इस्तेमाल के मामले में चीन अभी भी काफ़ी पीछे है.
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी विकसित औद्योगिक देशों की संस्था ओईसीडी के अधीन काम करने वाला एक संगठन है. एजेंसी की ओर से कहा गया है कि ये प्राथमिक आंकड़े हैं, लेकिन इनसे ऊर्जा खपत की रुझान स्पष्ट हो जाती है. इस सिलसिले में ध्यान दिलाया गया है कि पिछले दस सालों में अमेरिका में ऊर्जा के किफ़ायती इस्तेमाल में सुधार का अनुपात 2.5 के बराबर रहा है, जबकि चीन में यह आंकड़ा अभी 1.7 ही है.
चीन में ऊर्जा की 70 फ़ीसदी खपत कोयले से पूरी की जाती है. वहां कोयले का विशाल भंडार है, इसके बावजूद चीन इस बीच कोयले के आयात के मामले में भी जापान को पीछे छोड़कर दुनिया में पहले स्थान पर आ चुका है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ
संपादन: ओ सिंह