जब दहल गया बेरूत
लेबनान की राजधानी बेरूत में दो बम धमाकों की वजह से कम से कम 78 लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोगों घायल हो गए हैं. धमाके इतने भीषण थे कि उनकी आवाज 240 किलोमीटर दूर साइप्रस तक सुनाई दी.
धमाके
धमाके शहर के बंदरगाह में गोदामों में हुए. प्रधानमंत्री हस्सन दिआब ने बताया कि 2,750 टन अमोनियम नाइट्रेट खाद में विस्फोट हो गया, जिसे पोत के पास एक गोदाम में रखा गया था. उसकी वजह से धमाका विध्वंस में बदल गया. बेरूत के बाजार और नाइटलाइफ के इलाके वहां से बस मिनटों दूर हैं और वहां काफी बर्बादी हुई है.
विध्वंस
धमाके की वजह से बेरूत में कई इमारतें ढह गईं और चारों तरफ बर्बादी फैल गई. भूकंप विज्ञानियों ने धमाकों के असर की तुलना 3.3 तीव्रता के भूकंप से की है. खून से सने, घायल और स्तब्ध लोग केंद्रीय बेरूत में इमारतों के मलबे, कांच के टुकड़ों और जलती इमारतों के बीच गिरते-पड़ते नजर आ रहे थे.
कारण
अधिकारियों ने यह नहीं बताया कि वो आग कैसे लगी जिसकी लपटों की वजह से धमाके हुए. बताया जा रहा है कि गोदामों में वेल्डिंग का काम चल रहा था और संभव है की उसकी चिंगारियों से आग लग गई हो.
लाशें
पोत पर तैनात एक सैनिक ने बताया कि अंदर बर्बादी का मंजर है. जमीन पर लाशें पड़ी हैं और एम्बुलेंस कर्मचारी अभी भी शव उठा रहे हैं.
अस्पतालों पर बोझ
कोरोना वायरस के प्रकोप की वजह से शहर के अस्पतालों पर पहले से काफी बोझ है. धमाके के बाद घायल लोगों के आने से अस्पतालों में हालात और चिंताजनक हो गए. लेबनान में रेड क्रॉस ने तुरंत रक्तदान की अपील की है.
शोक
राष्ट्रपति मिचेल आउन ने तीन दिनों के शोक की घोषणा की है और 6.6 करोड़ डॉलर की आपात राशि तुरंत देने का वादा किया है. दुनिया भर के देशों ने धमाकों पर शोक व्यक्त किया है और मदद भेजने का प्रस्ताव दिया है. इस्राएल, जो लेबनान से कई युद्ध लड़ चुका है, ने भी धमाके में शामिल होने से इनकार किया और मदद का प्रस्ताव दिया.
जवाबदेही
राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि खाद को उन गोदामों में छह सालों से पर्याप्त सुरक्षा के इंतजाम के बिना रखा गया था और ये अस्वीकार्य है. उन्होंने कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई है.
आर्थिक संकट
लेबनान पहले से एक आर्थिक संकट से गुजर रहा है जिसकी वजह से देश की आधे से भी ज्यादा आबादी गरीब हो गई है. पिछले कुछ दिनों से सरकार के खिलाफ गंभीर विरोध प्रदर्शन चल रहे थे.
त्रासदी
स्थानीय मुद्रा के मूल्य में भारी गिरावट आ चुकी है और कई व्यापार बंद हो चुके हैं. गरीबी और बेरोजगारी भयानक दर से बढ़ रही हैं. धमाकों के लिए इससे बुरा वक्त नहीं हो सकता था.
__________________________
हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore