चांसलर के दादा पोलिश
२६ मार्च २०१३पहले विश्व युद्ध के दौरान पोलैंड जर्मनी, रूस और ऑस्ट्रिया के बीच बंट गया था. 123 साल तक एक देश के तौर पर पोलैंड की पहचान ना के बराबर हो गई थी. मैर्केल के दादा उन लोगों में से थे जिन्होंने पोलैंड के अस्तित्व की लड़ाई लड़ी थी.
पोलैंड में लोग आम तौर पर अपने नेताओं के खानदानी इतिहास में दिलचस्पी रखते हैं. जाहिर है कि कई नेताओं का इतिहास उन्हें पसंद आता भी नहीं है. आठ साल पहले, पोलिश मीडिया को पता चला कि प्रधानमंत्री डोनाल्ड टुस्क के नाना नाजी जर्मनी के दौरान वहां की सेना में थे. उनके नाना को मर्जी के खिलाफ नाजियों के साथ होना पड़ा था लेकिन इस खोज से टुस्क को नुकसान हुआ और राष्ट्रपति का पद लेख काचिंस्की हासिल कर गए. जर्मनी में खानदानी इतिहास को लेकर मामला ढीला है. मैर्केल ने खुद टुस्क से पूछा कि वह अपने नाना का नाम सही तरह से कैसे बोल सकती हैं.
मैर्केल ने दादा पोजनान शहर के थे. पोलिश मी़डिया को चांसलर का एक रिश्तेदार भी मिले जिनका नाम सिगमुंट रिचलित्सकी है और जो अकाउंटैंट रह चुके हैं. रिचलित्सकी को पता था कि जर्मनी में उनके दूर के रिश्तेदार हैं, लेकिन उन्हें इस बात से काफी हैरानी हुई कि उनमें से एक चांसलर अंगेला मैर्केल हैं.
इस साल मार्च में पोलिश मीडिया ने मैर्केल के पोलिश खानदान की खबर दी और बताया कि शादी से पहले उनका नाम अंगेला कासनर था. रिचलित्स्की को फिर मैर्केल के पिता हॉर्स्ट कासनर की चिट्ठियां मिलीं और कुछ तस्वीरें भी जिसमें मैर्केल के दादा को भी देखा जा सकता है. इन तस्वीरों ने पोलैंड में हलचल मचा दी, क्योंकि मैर्केल के दादा को वर्दी में देखा जा सकता है. इतिहासकारों ने बताया कि मैर्केल के दादा कात्समियरचाक पोलिश सेना में थे. तस्वीर 1919 में पोजनान में ली गई. इससे कुछ ही समय पहले पोलैंड ने अपनी आजादी जीती थी. कात्समियरचाक उत्तरी फ्रांस से लौटे थे जहां वे जर्मन सैनिकों के खिलाफ लड़े थे. पहले विश्व युद्ध में पोलैंड ने जर्मनी के खिलाफ फ्रांस का साथ दिया था. वे फिर अपनी मंगेतर मार्गारेथे के साथ पोजनान गए. मार्गारेथे जर्मनी में पैदा हुईं. दोनों फिर बर्लिन चले गए और कात्समियरचाक से अपना नाम कासनर कर लिया.
संपर्क बना रहा
मैर्केल के रिश्तेदार किचलित्स्की को अब भी चांसलर के दादा याद हैं. बर्लिन जाने के बाद भी कासनर परिवार अपने पोलिश रिश्तेदारों से संपर्क में रहा. लुडविग और मार्गारेथे ने 1930 की दशक में पोजनान की यात्रा की और उनसे मिलने उनके रिश्तेदार पोजनान से भी आए. नाम बदलने के बावजूद मैर्केल के दादा अपनी पोलिश संस्कृति को नहीं भूले, ऐसा कहना है रिचलित्स्की का. उन्हें याद है कि 1943 में उनकी मां की मौत हुई थी और लुडविग पोजनान आए थे. रिचलित्स्की बच्चे थे. "मुझे याद है कि लुडविग कासनर जर्मन यूनिफॉर्म में नहीं बल्कि आम कपड़ों में आए थे. युद्ध का वक्त था लेकिन वह हमसे सामान्य तरीके से पेश आए." रिचलित्स्की के मुताबिक कासनर पहले बेकरी गए थे और खसखस के रोल लेकर आए. "उस वक्त हमारे लिए ऐसा कुछ खरीदना असंभव था." लेकिन जर्मनी से आने की वजह से कासनर ऐसा कर पाए. अब भी रिचलित्स्की को उनकी खुशबू याद है.
उसके बाद अंगेला मैर्केल के पिता और लुडविग के बेटे हॉर्स्ट कासनर भी पोजनान में परिवार से संपर्क में रहे. "वह टेंपलिन से लिखते थे और उन्होंने अपने बच्चों के बारे में भी बताया." रिचलित्स्की के मुताबिक वह अंगेला के बारे में भी लिखते थे जो उस वक्त रसायन शास्त्र की पढ़ाई करती थी. मीडिया रिपोर्ट के बाद ही रिचलित्स्की को पता चला कि यही "अंगेला" दुनिया की सबसे ताकतवर महिला है.
आज उनके परिवारों के बीच कुछ खास नहीं बचा लेकिन सिगमुंट रिचलित्स्की और उनकी पत्नी डेनीस को गर्व है कि वह जर्मन चांसलर के रिश्तेदार है.
लेकिन वे कहते हैं कि चांसलर से वह संपर्क नहीं करेंगे क्योंकि उनके पास करने को बहुत सारे जरूरी काम है. लेकिन अगर मैर्केल या उनके भाई बहन रिचलित्स्की परिवार से मिलने आते हैं, तो उनका स्वागत है.
रिपोर्टः रोसालिया रोमानियेच/एमजी
संपादनः आभा मोंढे