जर्मन चांसलर से मिलने के बाद पुतिन ने कहा, युद्ध नहीं चाहते
१५ फ़रवरी २०२२यूक्रेन पर रूस के हमले की आशंका के बीच शॉल्त्स मॉस्को पहुंचे और पुतिन से मुलाकात की. ये बातचीत और उसके पहले बने माहौल से तनाव घटने के संकेत मिल रहे हैं. शॉल्त्स से पुतिन की मुलाकात से ठीक पहले ही रूस ने यूक्रेन की सीमा पर से सेना की कुछ टुकड़ियों की वापसी का एलान किया.
"स्थाई सुरक्षा रूस के खिलाफ नहीं रूस के साथ"
जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात के बाद कहा है कि यूरोप में सुरक्षा बनाए रखने में रूस की भूमिका अहम है. शॉल्त्स ने कहा, "यूरोपीय लोगों के लिए यह साफ है कि स्थायी सुरक्षा रूस के खिलाफ नहीं बल्कि रूस के साथ में है."
जर्मन चांसलर से मुलाकात के बाद प्रेस कांफ्रेंस में पुतिन ने कहा कि रूस युद्ध नहीं चाहता. पुतिन का कहना है, "हम यह चाहते हैं या नहीं? निश्चित रूप से नहीं. बिल्कुल यही बात है जिसके कारण हमने बातचीत की प्रक्रिया का प्रस्ताव दिया है."
दोनों नेताओं ने बातचीत के बाद प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया.
यह भी पढ़ें: यूक्रेन ने अपने सारे परमाणु हथियार रूस को क्यों दिए
जर्मन चांसलर ने यूक्रेन की सीमा पर से फौज की कुछ टुकड़ियों की वापसी का स्वागत किया है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि युद्ध टालने के लिए कूटनीति के विकल्प अभी खत्म नहीं हुए हैं. शॉल्त्स ने कहा, "हमने सुना है कि कुछ सैनिक टुकड़ियां वापस गई हैं जो अच्छा संकेत है, हमे उम्मीद है कि और भी वापस जाएंगे."
शॉल्त्स ने कहा, "समाधान ढूंढना संभव होना चाहिए. हालात चाहे कितने भी कठिन और गंभीर हों मैं यह नहीं कहूंगा कि अब कोई उम्मीद नहीं."
रूसी राष्ट्रपति ने कहा है कि उनका देश अमेरिका और नाटो के साथ मिसाइल की तैनाती को सीमित करने और सैन्य पारदर्शिता पर बातचीत करने के लिए तैयार है. पश्चिमी देशों और रूस के बीच तनाव घटाने की दिशा में इसे एक और संकेत माना जा रहा है.
पुतिन ने कहा कि अमेरिका और नाटो ने यूक्रेन और दूसरे पूर्व सोवियत देशों को नाटो से दूर रखने, रूसी सीमा के पास हथियारों की तैनाती और पूर्वी यूरोप के देशों से सैन्य सहयोग को वापस लेने की रूस की मांगों को ठुकरा दिया है. हालांकि अमेरिका और नाटो सुरक्षा से जुड़े बहुत से दूसरे उपायों पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं जिनका प्रस्ताव रूस ने पहले दिया था.पुतिन का कहना है कि रूस यूरोप में इंटरमीडिएट रेंज की मिसाइलों की यूरोप में तैनाती, युद्धाभ्यासों में पारदर्शिता और भरोसा बढ़ाने के उपायों पर बातचीत करने के लिए तैयार है हालांकि उन्होंने जोर दिया कि इसके लिए पश्चिमी देशों को रूस की प्रमुख मांगों पर विचार करना होगा.यह भी पढ़ेंः पुतिन से जर्मन चांसलर की मुलाकात से पहले रूस ने हटाए कुछ सैनिक
सीमा पर से सैनिकों की वापसी
इसके तुरंत पहले ही रूसी रक्षा मंत्रालय ने सेना के अभ्यास के बाद उनकी आंशिक वापसी का एलान किया. इन सबसे उम्मीद जगी है कि रूस यूक्रेन पर तुरंत कोई हमला नहीं करने जा रहा है. रूसी सेना ने यह जानकारी नहीं दी है कि कहां से सेनाएं पीछे हट रही हैं और कितनी संख्या में.
रूसी सेना ने सैनिकों की तैनाती का भी कोई आंकड़ा नहीं दिया है. कुछ तस्वीरें जरूर जारी की गई हैं जिनमें टैंकों को ट्रेन पर सवार होते देखा जा सकता है. इसके अलावा टैंक पर सवार एक कमांडर की तस्वीर भी जारी की गई है जो सैनिकों से सैल्यूट ले रहा है और पीछे सेना का बैंड बज रहा है. सेना ने यह नहीं बताया कि ये सैनिक कहां जा रहे हैं. बस यही कहा गया है, "स्थाई तैनाती वाली जगह वापस जा रहे हैं."
इन घोषणाओं ने आर्थिक बाजारों पर भी असर डाला और वहां तुरंत बढ़त दिखने लगी. कई हफ्तों से युद्ध की आशंका ने दुनिया भर के बाजारों पर असर डाला है.
एक दिन पहले रूस के विदेश मंत्री ने संकेत दिए थे कि उनका देश सुरक्षा चिंताओं पर बातचीत करना चाहता है. जर्मन चांसलर से मुलाकात के बाद राष्ट्रपति पुतिन ने भी यही बात कही है. शॉल्त्स का कहना है कि रूस ने जो मुद्दे सुझाए हैं उनमें कई ऐसे हैं जिन पर बात करना जरूरी है.
यह भी पढ़ेंः बार बार झगड़े में क्यों फंसती है नॉर्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन
रूस ने मंगलवार को सेनाओं की वापसी के एलान को इस बात का सबूत कहा है कि युद्ध की कल्पना अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों के मन में थी. रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जाखारोवा ने ट्वीट किया है, "15 फरवरी 2022 को इतिहास में इस तरह से याद रखा जाएगा जब पश्चिमी जंग का दुष्प्रचार नाकाम हो गया."
हालांकि यूक्रेन अभी भी तीन तरफ से घिरा है. अगर फिलहाल के लिए यह संकट दूर हो गया हो तो भी लंबे समय में जोखिम बना हुआ है.
एनआर/एके (एपी, रॉयटर्स, एएफपी, डीपीए)