जर्मन सेना का विदेशी मिशन
जर्मन सरकार ने 2 अप्रैल 1993 को फैसला लिया कि नाटो के युगोस्लाविया मिशन में जर्मन सैनिक भाग लेंगे. विदेश में जर्मन सेना की तैनाती का दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह पहला मौका था.
विदेश में जर्मन सेना
जर्मन सरकार ने 2 अप्रैल 1993 को फैसला लिया कि नाटो के युगोस्लाविया मिशन में जर्मन सेना बुंडेसवेयर के सैनिक भाग लेंगे. विदेशों में युद्ध क्षेत्रों में जर्मन सेना की तैनाती का दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह पहला मौका था. तब से वह कई अंतरराष्ट्रीय अभियानों में भाग ले चुकी है.
मानवीय सहायता
गठन के पांच साल बाद बुंडेसवेयर की पहली विदेशी तैनाती मानवीय सहायता अभियान के लिए हुई. 29 फरवरी 1960 को मोरक्को में आए भूकंप के बाद जर्मन सैनिकों ने तहस नहस हो चुके शहर अहादीर में मदद दी. उसके बाद उन्होंने अल्जीरिया, इटली, इथियोपिया और ईरान में राहत कार्य किया.
संसद की प्रमुखता
जर्मन संवैधानिक अदालत ने 12 जुलाई 1994 के अपने फैसले में कहा कि जर्मनी संयुक्त राष्ट्र और नाटो का सदस्य है और वह इन संगठनों के अभियानों में अपने हथियारबंद सैनिकों के साथ हिस्सा ले सकता है. अदालत ने कहा तैनाती का अंतिम फैसला संसद के हाथों होगा. इसलिए जर्मन सेना की संसदीय सेना कहते हैं.
बिना संयुक्त राष्ट्र के
1999 में बुंडेसवेयर ने कोसोवो में नाटो के "अलायड फोर्स" मिशन में पहली बार अपने इतिहास के सबसे बड़े युद्धक अभियान में भाग लिया. जर्मनी के टोरनैडो विमानों ने टोही उड़ाने भरीं और सर्बिया के एयर डिफेंस पर हमले किए. मिशन विवादास्पद था क्योंकि यह संयुक्त राष्ट्र का फैसला नहीं था.
कोसोवो तैनाती पर विवाद
कोसोवो में जर्मनी की एसपीडी और ग्रीन सरकार ने पहली बार राजनीति के साधन के रूप में हथियार का सहारा लिया. यह फैसला देश में राजनीतिक तनाव का कारण बना. तैनाती के विरोधियों ने इसे असंवैधानिक युद्ध बताया. खासकर ग्रीन पार्टी बंट सी गई. पार्टी सम्मेलन में विदेश मंत्री योश्का फिशर पर रंग भरा बैलून फेंका गया.
आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष
नाटो संधि के अनुसार साथी पर हमला होने की सूरत में साथ देना जरूरी था. जर्मन सरकार ने अमेरिका को आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में समर्थन का वचन दिया. एंड्योरिंग फ्रीडम मिशन के तहत जर्मन सैनिक अफगानिस्तान में अंतरराष्ट्रीय सहबंध के साथ लड़े.
संसद में विश्वास का मत
आतंकवाद विरोधी संघर्ष में बुंडेसवेयर की भागीदारी सत्ताधारी मोर्चे में भी विवादों में घेरे में थी. एसपीडी के चांसलर गेरहार्ड श्रोएडर ने अमेरिका को असीमित एकजुटता का भरोसा दिया था. अफगानिस्तान में जर्मन सेना की तैनाती के फैसले को उन्होंने संसद में विश्वास के साथ जोड़ दिया और मामूली बहुमत से जीते.
अफगानिस्तान में बुंडेसवेयर
2002 से जर्मन सेना अफगानिस्तान में अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा सहायता टुकड़ी आईसैफ के अभियानों का हिस्सा है. इस समय अफगानिस्तान में जर्मनी के 4,628 सैनिक तैनात हैं. 11 साल से चल रहे मिशन में जर्मनी के 52 सैनिक मारे गए हैं. 2014 के अंत तक सभी विदेशी सैनिक अफगानिस्तान से वापस हो जाएंगे.
कुंदूस में हवाई हमला
उत्तरी अफगानिस्तान के शहर कुंदूस के निकट तालिबान द्वारा पकड़े गए दो टैंकर पर जर्मन कर्नल गियॉर्ग क्लाइन ने बमबारी का आदेश दिया. 4 सितंबर 2009 को हुई बमबारी में 100 से ज्यादा लोग मारे गए. उनमें बच्चे भी थे. जर्मन सेना के किसी हमले में मारे गए आम लोगों की यह सबसे बड़ी तादाद है.
तुर्की में पैट्रियट रॉकेट
दिसंबर 2012 से जर्मनी के पैट्रियट रॉकेट तुर्की के दक्षिण पूर्व में तैनात हैं. तुर्की ने गृहयुद्ध में फंसे सीरिया के रॉकेट हमलों के डर से नाटो के अपने साथियों से मदद मांगी थी.298 जर्मन सैनिक सीरिया की सीमा से 100 किलोमीटर दूर अनाटोलिया के शहर कारामानमारास में तैनात हैं.
शहीदों की याद
1992 से बुंडेसवेयर के 100 सैनिक विदेशी मिशन पर मारे गए हैं. शहीदों की याद में 27 नवम्बर 2008 को बर्लिन में जर्मन सेना का स्मारक बना.