जर्मन सेना को पहली बार हथियारबंद ड्रोन मिलेंगे
७ अप्रैल २०२२बुधवार को संसद की रक्षा समिति ने इस्राएल से हेरॉन टीपी ड्रोन के लिए 140 मिसाइल खरीदने की मंजूरी दे दी. इसके लिए करीब 15.26 करोड़ यूरो का करार होगा. ये मिसाइलें दो साल के भीतर जर्मनी को मिल जाएंगी. इनमें से 60 का इस्तेमाल ट्रेनिंग के लिए होगा जबकि 80 मिसाइलें इस्तेमाल के लिए तैनात की जाएंगी.
रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, "यूक्रेन पर रूसी हमले ने यूरोप में सुरक्षा स्थिति को बुनियादी रूप से बदल दिया है और एक बार फिर जर्मन सेना को पूरी तरह से सुसज्जित करने की जरूरत बढ़ा दी है. इसमें हमलों का जवाब देने के साथ ही सैनिकों और मिशन सहयोगियों और मिशन से जुड़ी प्रतिबद्धताओं को बेहतर सुरक्षा देना शामिल है."
जर्मनी की सेना को अब तक सिर्फ बिना हथियार वाले ड्रोन रखने की ही इजाजत थी. इनका मकसद टोह लेना होता था. हालांकि जर्मनी के दूसरे सहयोगी देश हथियारों वाले मानवरहित युद्धक ड्रोन का इस्तेमाल पहले से ही कर रहे हैं. 2018 में संसद ने जर्मन सेना को बिना हथियार वाले ड्रोन के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी. उस वक्त गठबंधन सरकार में जूनियर पार्टनर रही सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी के कड़े विरोध के कारण हथियार वाले ड्रोन को मंजूरी नहीं दी गई.
सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी अब गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रही है और उसी पार्टी के ओलाफ शॉल्त्स अब जर्मनी के चांसलर हैं. यूक्रेन पर हमला होने के बाद जर्मनी ने सेना के खर्च में भारी बढ़ोत्तरी करने का फैसला किया है. सेना के लिए हथियार और देश की रक्षा के लिए कई तरह के उपकरण खरीदे जाने की योजना बन रही है. इसमें मिसाइल डिफेंस सिस्टम और एफ-35 लड़ाकू विमानों के बाद अब हथियारबंद ड्रोन भी शामिल हो गए हैं.
समिति के सामने रखे दस्तावेजों में जर्मन रक्षा मंत्रालय ने साफ तौर पर कहा है कि बुंडसवेयर (जर्मन सेना) के उपकरणों को अपग्रेड करना, "बेहद जरूरी है क्योंकि ऐसा नहीं होने पर देश के गंभीर हितों और राजनीतिक प्रकृति को नुकसान होगा जो स्वीकार्य नहीं है."
जर्मनी की सेना लंबे समय से निवेश की कमी देख रही है. रक्षा आयुक्त एफा होएगल की सेना की हालत के बारे में ताजा रिपोर्ट बताती है कि उनके पास जो युद्धक वाहन, नौसेना के जहाज और लड़ाकू विमान हैं उनमें नई पीढ़ी के हथियारों की भारी कमी है यहां तकि राइफल और पैराशूट भी पुरानी पीढ़ी के ही हैं.
यूक्रेन पर रूस के हमले के तीन दिन बाद शॉल्त्स ने भाषण में कहा था कि बदली परिस्थितियों में रक्षा जरूरतों को देखते हुए जर्मनी 100 अरब यूरो का एक विशेष बजट सेना के लिए निकालेगा. इसके साथ ही हर साल सेना पर होने वाले खर्च को बढ़ा कर जीडीपी के दो फीसदी से ज्यादा किया जाएगा.
इसके बाद से ही बड़े रक्षा सौदों के लिए बातचीत चल रही है. इसमें अमेरिका से 35 एफ-35 लड़ाकू विमान और एयरबस वाले कंसोर्टियम से 15 यूरोफाइटर की खरीदारी भी शामिल है. इसी कड़ी में जर्मनी इस्राएल से एरो थ्री मिसाइल डिफेंस सिस्टम भी खरीदने की सोच रहा है. इसकी कीमत करीब 2 अरब यूरो है और यह जर्मनी के पड़ोसी यूरोपीय देशों को भी सुरक्षा देने में सक्षम है.
मौजूदा दौर में ड्रोन युद्ध में इस्तेमाल होने वाले सबसे कारगर हथियारों में शामिल हो गए हैं. अमेरिका ने अफगानिस्तान में इनका खूब इस्तेमाल किया था. यूक्रेन युद्ध में भी यूक्रेन की सेना रूसी सैनिकों के खिलाफ इनका जम कर इस्तेमाल कर रही है. यूक्रेन ने तुर्की से ड्रोन खरीदे हैं और रूसी सेना को इन ड्रोनों की वजह से काफी नुकसान उठाना पड़ा है.
एनआर/आरपी (एएफपी, डीपीए)