टिक-टॉक जैसे ऐप में 10 करोड़ डॉलर का निवेश
२३ दिसम्बर २०२०ऐप का नाम है जोश और इसे लाने वाली कंपनी वर्स इनोवेशंस ने भारत सरकार द्वारा चीनी ऐप टिक-टॉक को बैन करने के तुरंत बाद ही इस ऐप को बाजार में उतार दिया था. बेंगलुरु स्थित इस कंपनी ने कहा है कि गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और फैल्कन एज के एल्फावेव जैसी कंपनियों से मिली इस रकम का इस्तेमाल वो अपने ऐप को और विकसित करने में करेगी.
ताजा निवेश से कंपनी की वैल्यूएशन एक अरब डॉलर से भी ज्यादा हो गई है. एक अरब डॉलर के मूल्य वाले स्टार्ट-अपों को यूनिकॉर्न कहा जाता है. कंपनी का दावा है कि वो भारतीय भाषाओं में सेवाएं देने वाली पहली यूनिकॉर्न बन गई है.
टिक-टॉक की मालिकाना चीनी कंपनी का नाम है बाइटडांस और उस पर भारत सरकार ने जून में 58 दूसरे चीनी ऐपों के साथ साथ प्रतिबंध लगा दिया था. सरकार ने इस कदम के पीछे डाटा सुरक्षा को लेकर चिंताओं को कारण बताया था. बैन जून में ही लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई मुठभेड़ के बाद लगाया गया था.
बैन लगने के पहले टिक-टॉक भारत में अत्यंत लोकप्रिय था और बैन के बाद से कई भारतीय कंपनियां टिक-टॉक के जाने से खाली हुई जगह को भरने की कोशिश कर रही हैं. रेडसीयर कंसल्टेंसी के अनुसार टिक-टॉक पर बैन लगने के चार महीने बाद तक भारत में बने ऐपों ने सिर्फ उसके 40 प्रतिशत बाजार पर कब्जा कर पाए थे.
रेडसीयर ने आठ दिसंबर को जारी की गई अपनी रिपोर्ट में कहा, "टिक-टॉक इस्तेमाल करने वाले उसी के जैसे दूसरे ऐपों की तरफ आकर्षित इसलिए नहीं हो रहे हैं क्योंकि उनमें उन्हें बढ़िया और अच्छी मात्रा में कॉन्टेंट नहीं मिल रहा है."
रेडसीयर के अनुसार जोश के अलावा, टाइम्स एमेक्स टकाटक और इनमोबी का रोपोसो इस समय भारत में सबसे लोकप्रिय शार्ट-फॉर्म वीडियो ऐप हैं. कंसल्टेंसी का कहना है कि इस तरह के वीडियो ऐप भारत में सबसे तेजी से बढ़ रहे कॉन्टेंट की श्रेणी बन कर उभरे हैं. कुल मिला कर इनके 18 करोड़ यूजर हैं और इनके और बढ़ने की बहुत संभावना है.
सीके/एए (डीपीए)
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