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ट्रंप के प्रतिबंधों के साये में कैसा है ईरान?

७ मई २०१९

अलीरेजा पहले ईरान में बेहतर जीवन के सपने देखा करते थे, उन्हें उम्मीद थी कि अपनी गाड़ी होगा, घर होगा. एक साल पहले जब अमेरिका ने ईरान पर दोबारा से प्रतिबंध लगाए तो उनकी नौकरी छूट गई और सारे सपने बिखर गए.

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Iran Geldwechsler in Teheran
तस्वीर: AFP/A. Kenare

ईरान के कार उद्योग में 20 साल से ज्यादा काम कर चुके अलीरेजा ने बताया, "मैं कुछ खरीदने के काबिल नहीं रहा और मेरी जिंदगी तनाव में घिर गई. मैं अब खुद को मध्यमवर्ग का नहीं मानता. यह भयावह स्थिति है."

ठीक एक साल पहले अमेरिका उस ऐतिहासिक समझौते से बाहर निकल गया जिसमें ईरान को राहत देने का वादा किया गया था. बदले में ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम पर रोक लगाने का भरोसा दिया. 2015 में जब यह समझौता हुआ तब उम्मीद की गई थी कि तेहरान का दुनिया से आर्थिक अलगाव खत्म हो जाएगा.

समझौते के बाद ईरान में निवेशकों की इतनी भीड़ उमड़ने लगी थी कि होटलों में उन्हें रखने की जगह नहीं थी. ईरान के राष्ट्रपति हसन रोहानी के मुताबिक ईरान को विदेशी बैंकों और कंपनियों के करीब 100 अरब डॉलर के निवेश से बड़ा फायदा होने जा रहा था. 42 साल के अलीरेजा कहते हैं, "जब समझौता चल रहा था तब बड़ी तेजी आ गई थी. हर तरफ लोगों को नौकरियों पर रखा जा रहा था और हमारे पास सिर खुजाने के लिए भी समय नहीं था." अली रेजा के मुताबिक 8 मई 2018 को जब अमेरिका इस समझौते से बाहर हुआ तो "सब कुछ उलट गया."

Irak Staatsbesuch Hassan Rohani
तस्वीर: picture-alliance/AA/Iranian Presidency

अलीरेजा कहते हैं कि कार बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी पीएसए ग्रुप में कई सालों तक अलग अलग पदों पर काम करने के बाद उनकी और सैकड़ों दूसरे लोगों की नौकरी बीते साल अगस्त में चली गई. अलीरेजा ने कहा, "मैंने उसके बाद हर जगह नौकरी खोजने की कोशिश की लेकिन कोई सफलता नहीं मिली.

परमाणु समझौते को "सबसे खराब समझौता" बताते हुए राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने ईरान के बैंकिंग सिस्टम, तेल कारोबार और धातु व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया. 2015 के समझौते के बाद ईरान के बाजार में उतरने वाली ज्यादातर बहुराष्ट्रीय कंपनियों को प्रतिबंधों के कारण अपना कारोबार समेटने पर विवश होना पड़ा. इनमें फ्रांस की टोटल, पीएसए ग्रुप और रेनॉ से लेकर जर्मनी की सीमेंस तक शामिल हैं.

Iran Ahvaz - Iranische Arbeiter der Nationale Gruppe der Metall-Industrie Ahvaz versammeln sich
तस्वीर: IRNA

विदेशी कंपनियों में नौकरी खत्म होना, मुद्रा का भारी अवमूल्यन चारों तरफ महंगाई ने अलीरेजा और दूसरे मध्यमवर्गीय ईरानी लोगों की जिंदगी दुश्वार कर दी. अच्छे दिनों में कहां तो वो बढ़िया गाड़ी और बड़े मकान में शिफ्ट होने की सोच रहे थे वहीं अब उन्हें बेरोजगारी भत्ते पर गुजारा करना पड़ रहा है. यह भत्ता उनके वेतन के आधे से भी कम है. उन्होंने बताया, "तनख्वाह चली गई है और घरों की कीमतें आसमान पर हैं, अब तो कार खरीदना भी असंभव है."

ईरान के सेंट्रल बैंक के मुताबिक राजधानी में घरों की कीमत मार्च 2018 से अब तक 104 फीसदी बढ़ गई है. आयातित कारों की कीमत तो बहुत से लोगों की पहुंच से ही बाहर हो गई है. नौकरी के मौके कम हैं स्थानीय कार कंपनियां जैसे ईरान खोद्रो और साईपा भी अमेरिका प्रतिबंधों का सामना कर रही हैं.

अलीरेजा और उनकी बीवी तो अब भी बुनियादी जरूरतें जुटा पा रहे हैं लेकिन बहुत से लोग हैं जिनके लिए गोश्त, फल या सब्जी भी उनकी पहुंच से बाहर है. ज्यादातर ईरानियों के लिए देश परमाणु समझौते से पहले वाले प्रतिबंधों के दौर में ही पहुंच गया है और जिससे निबटने की एक ही सूरत नजर आती है कि कोई चमत्कार हो.

एनआर/ओएसजे(एएफपी)