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तालिबान की चाहत संयुक्त राष्ट्र की सभा में हिस्सा लेना

२२ सितम्बर २०२१

अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी ने संयुक्त राष्ट्र की बैठक में शामिल होने की इच्छा जाहिर की है. संयुक्त राष्ट्र की एक समिति इस अनुरोध का मूल्यांकन कर रही है.

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सुहैल शाहीनतस्वीर: Alexander Zemlianichenko/AP Photo/picture alliance

आमिर खान मुत्तकी ने इस विषय में संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश को चिट्ठी लिख कर इस समय न्यू यॉर्क में चल रही संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली की 76वीं आम बहस में अफगानिस्तान का प्रतिनिधित्व करने का अनुरोध किया है. संयुक्त राष्ट्र ने बताया कि चिट्ठी संस्था के न्यू यॉर्क स्थित मुख्यालय को "अफगानिस्तान के इस्लामिक अमीरात" के विदेश मंत्रालय द्वारा भेजी गई है.

चिट्ठी में तालिबान ने दलील दी है कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी को "हटा दिया गया है" और दूसरे देश अब उन्हें राष्ट्राध्यक्ष के रूप में मान्यता नहीं देते हैं. चिट्ठी में यह संकेत भी दिया गया है कि तालिबान संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के राजदूत को हटा कर अपने प्रवक्ता सुहैल शाहीन को वहां भेजना चाहता है.

मान्यता का सवाल

तालिबान का कहना है कि मौजूदा राजदूत गुलाम इसकजाई अब देश का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं और उनका मिशन खत्म हो चुका है. अमेरिका, जर्मनी और दूसरे कई राष्ट्र अब तालिबान को अफगानिस्तान के वास्तविक शासक के रूप में देखते हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक उसे एक वैध सरकार की मान्यता नहीं दी है.

Afghanistan Kabul | Mawlawi Amir Khan Muttaqi, Außenminister Übergangsregierung
तालिबान की सरकार के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकीतस्वीर: Bilal Guler/Anadolu Agency/picture alliance

संयुक्त राष्ट्र सचिवालय ने तालिबान की चिट्ठी को परिचय-पत्र समिति को विचार करने के लिए भेज दिया है. इस समिति में नौ देशों के प्रतिनिधि हैं, जिनमें अमेरिका, रूस, चीन, स्वीडन, नामिबिया, द बहामास, भूटान, सिएरा लियोन और चिली शामिल हैं.

संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता फरहान हक ने बताया कि इस समिति के पास यह फैसला करने की शक्ति है कि किसी भी देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए किस नेता और किस राजदूत को मान्यता दी जाए.

अफगानिस्तान का प्रतिनिधि कौन

हक ने यह भी कहा, "ऐसा नहीं है कि संयुक्त राष्ट्र सरकारों को मान्यता दे रहा है, ऐसा उसके सदस्य देश कर रहे हैं." पूर्व में ऐसे भी मामले हुए हैं जब संयुक्त राष्ट्र में किसी देश का राजदूत उस देश के शासकों से सम्बद्ध नहीं रहा है.

जैसे अफगानिस्तान पर तालिबान का 1990 के दशक के मध्य से 2001 तक नियंत्रण था, लेकिन उस समय संयुक्त राष्ट्र में देश का प्रतिनिधित्व पिछली सरकार के राजदूत ही कर रहे थे, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने तालिबान को मान्यता नहीं दी थी. फिलहाल संयुक्त राष्ट्र में आम बहस 27 सितंबर तक चलेगी, लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि बहस में अफगानिस्तान की तरफ से कौन भाग लेगा. 

सीके/एए (डीपीए)

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