तालिबान ने 8 विदेशी नागरिकों को कत्ल किया
७ अगस्त २०१०मरने वालों में तीन महिलाएं भी हैं. ये विदेशी नागरिक एक चैरिटी मिशन के तहत अफगानिस्तान में थे. काबुल में इनकी चैरिटी के मैनेजर ने सभी आठ लोगों की मौत की पुष्टि की है. क्रिश्चन चैरिटी इंटरनैशनल असिस्टेंस मिशन (आईएएम) के एग्जेक्यूटिव डाइरेक्टर डर्क फ्रांस ने बताया, "कुल पांच पुरुष और तीन महिलाओं की मौत हुई है. मरने वालों में छह अमेरिकी नागरिक हैं. इनमें पांच पुरुष और एक महिला है. एक ब्रिटिश और एक जर्मन महिला की भी मौत हुई है."
डर्क ने बताया, "नूरिस्तान में हमारा एक आंखों का कैंप है. इन लोगों ने वहां अपना काम पूरा किया और उसके बाद ये लोग लौट रहे थे. बुधवार को हमने सैटलाइट फोन के जरिए उनसे बात की थी. वही उनसे हमारा आखरी संपर्क था." गोलियों से छलनी इन लोगों के शव शनिवार को बरामद हुए.
तालिबान ने इनकी हत्या की जिम्मेदारी ले ली है. उसने कहा है कि ये लोग ईसाई मिशनरी थे और हाथों में बाइबल लेकर चल रहे थे. हालांकि डर्क फ्रांस ने इस इल्जाम को गलत बताया है. उन्होंने कहा, "आईएएम एक ईसाई संस्था है. हम हमेशा से ईसाई संस्था रहे हैं. हम 1966 से अफगानिस्तान में काम कर रहे हैं. लेकिन हम बाइबल कतई नहीं बांटते. यह एक झूठ है."
मिशन की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक आईएएम का मुख्यालय काबुल में है. यह अफगानिस्तान में आंखों का इलाज उपलब्ध करवाता है. काबुल, हेरात, मजार और कंधार में इसने आंखों के अस्पताल भी खोले हैं. इसके अलावा यह सामुदायिक विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की कई योजनाएं भी चला रहा है.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः उ भट्टाचार्य