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अलविदा योसेबियो

६ जनवरी २०१४

बाएं पैर का कमाल दिखाने धरती पर कई फुटबॉलर आए. लेकिन दाहिने बूट से अचूक निशाना लगाने वाला योसेबियो जैसा कोई नहीं हुआ. 'काला चीता' के नाम की किंवदंती बन चुके योसेबियो की शान में पुर्तगाल का राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका है.

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तस्वीर: F.Leon/AFP/GettyImages

वह 1966 का विश्व कप था, जब पुर्तगाल पहली बार अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल जगत पर छाया. हल्के में ली जाने वाली टीम ने अचानक पेले से सजी ब्राजीलियाई टीम को योसेबियो के दो गोल की मदद से पटक दिया और क्वार्टर फाइनल में जगह बना ली. यहां उस साल की खूंखार टीम उत्तरी कोरिया सामने थी. शुरुआती 20 मिनट के बाद पुर्तगाल की टीम तीन गोल से पीछे चल रही थी. बस यही वक्त था, जो योसेबियो को महान बनाने का इंतजार कर रहा था.

एक के बाद एक चार गोल ठोंक कर योसेबियो ने इतिहास रच दिया. मैच का नतीजा पुर्तगाल के खाते में 5-3 से गया और दुनिया भौंचक्की रह गई. उत्तर कोरिया की बेहद मजबूत टीम घर के लिए रुखसत हो गई. हालांकि अगले मैच में मेजबान इंग्लैंड से पाला पड़ा, जिसने वेंबली स्टेडियम में पुर्तगाल को 2-1 से हरा दिया. योसेबियो आखिरी वक्त तक कहते रहे, "अगर हमने इंग्लैंड को हरा दिया होता, तो हम वर्ल्ड चैंपियन बनते. किसी ने पुर्तगाल की ताकत का अंदाजा नहीं लगाया था और हम पश्चिम जर्मनी को हरा सकते थे." हालांकि नतीजा कुछ और हुआ.

Bildergalerie Fußballer Eusebio
1966 में विश्व कप के एक मैच के दौरान मैनचेस्टर में चोटिल हुए योसेबियोतस्वीर: picture-alliance / United Archives/TopFoto

पेले, बॉली और योसेबियो

फाइनल में पश्चिम जर्मनी को हरा कर मेजबान इंग्लैंड विश्व विजेता बना और बॉबी चार्लटन उसके सबसे बड़े खिलाड़ी. योसेबियो टूर्नामेंट में नौ गोल करके भी लोकप्रियता में चार्लटन से पीछे चले गए. लेकिन पुर्तगाल के लिए योसेबियो अमर हो गए. पूर्व उपनिवेश मोजांबिक से आया एक किशोर फुटबॉलर जब 71 साल की उम्र में गुजरा, तो राष्ट्रपति से लेकर आम पुर्तगाली तक की आंखें नम हो गईं.

योसेबियो ने पुर्तगाल को फुटबॉल की दुनिया में शानदार जगह दिलाई और बीच बीच में फीगो और क्रिस्टियानो रोनाल्डो जैसे सितारे भी. फीगो ने ट्वीट किया, "शहंशाह. हमारे लिए महान नुकसान. सबसे बड़ा नुकसान." मौजूदा दौर के रॉकेट फुटबॉलर यानी रोनाल्डो ने कहा, "योसेबियो हमेशा अमर रहेंगे."

मोजांबिक उस वक्त पुर्तगाल का उपनिवेश था, जब योसेबियो ने वहां की सड़कों पर नंगे पांव फुटबॉल खेलना शुरू किया. एक मुश्किल और गरीब बचपन देखने के बाद उन्होंने अपने पैर के जादू से स्थानीय क्लब में जगह पाई और बाद में पुर्तगाल कूच कर गए. यहां उनका जलवा ऐसा निखरा कि 1960 का दशक यूरोपीय फुटबॉल में उनके ही नाम हो गया. पेले के समांतर यूरोप में फुटबॉल को दिशा दे रहे योसेबियो स्ट्राइकर के तौर पर गजब की फुर्ती रखते थे, तो फ्री किक में उनके जैसा शॉट लेने वाला फुटबॉलर शायद दुनिया ने दोबारा नहीं देखा.

Eusebio Statue Lissabon
लिस्बन में लूज स्टेडियम के बाहर योसेबियो को श्रद्धांजलि देता बच्चा.तस्वीर: F.Leon/AFP/GettyImages

करामाती दायां पैर

इन सबके बीच उनकी खूबी थी, दाहिने बूट की ठोकर. अगर गोलपोस्ट के आस पास भी उनका दाहिना बूट गेंद से टकरा जाता, तो फिर जाल चूम कर ही लौटता. लिस्बन के लूज स्टेडियम के बाहर लगी उनकी मूर्ति भी उनके इस अंदाज की तसदीक करती है, जहां उनका दायां पैर शॉट लेने के लिए हवा में उठा है. उनकी तेजी और आक्रामकता की वजह से ही उन्हें ब्लैक पैंथर (काला चीता) नाम दिया गया था.

योसेबियो को ब्राजील के महान पेले के समक्ष रखा जाता है और खुद पेले भी कहते हैं कि वह योसेबियो की याद में रो पड़े, "मैं अपने भाई योसेबियो की मौत पर रो रहा हूं. हम इंग्लैंड में 1966 विश्व कप के दौरान दोस्त बने थे."

उन्हें दुनिया के 10 सबसे बड़े फुटबॉलरों में शामिल किया जाता है. दो साल पहले एक इंटरव्यू में योसेबियो ने कहा था, "मैं दुनिया और यूरोप का सबसे बड़ा खिलाड़ी था. मैंने सब कुछ किया, बस विश्व कप नहीं जीत पाया." आखिरी लाइन कहते हुए उनकी आंखों से आंसू बह निकले और आज पूरा पुर्तगाल उनकी याद में गमगीन है. राष्ट्रीय ध्वज को तीन दिन के लिए आधा झुका दिया गया है और राष्ट्रपति अनीबाल कावाको सिल्वा का कहना है, "पुर्तगाल ने आज अपने सबसे प्यारे बेटों में से एक, योसेबियो को खो दिया. पूरा राष्ट्र उनके लिए शोक में है."

एजेए/एमजे (एएफपी)

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