"नौ मस्जिदें हिंदुओं को सौंप दें"
२ मार्च २०१८अयोध्या स्थित राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद का विवाद कई दशक पुराना है. इस विवाद ने सांप्रदायिक दंगे देखे, सरकारें बदलती देखी, देश में धार्मिक ध्रुवीकरण को देखा लेकिन विवाद अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.
वैसे इसकी सुनवाई चल रही है लेकिन फिर भी यदा कदा अदालत के बाहर इस विवाद को सुलझाने की कवायद होती रही है. ये बात अलग हैं कि किसी भी ऐसे फार्मूला को अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है. इधर बीते कुछ महीने से मुस्लिम समुदाय के कई नेता, मौलाना भी आगे आये हैं और इस विवाद को सुलझाने में पेशकश की है. इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड भी अपना फार्मूला ले कर आया.
शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैयद वसीम रिजवी ने ये कह कर सनसनी फैला दी है कि मुस्लिम समुदाय को नौ ऐसी मस्जिदें जिसमें अयोध्या भी शामिल है उसे हिंदुओं को सौप देनी चाहिए क्योंकि ये मस्जिदें मुस्लिम शासकों ने मंदिर तोड़ कर बनाईं. ऐसे ही दावे जब तब कुछ हिंदूवादी नेता भी कहते रहते हैं. मंदिर आंदोलन के समय ये नारा खूब चला था- "अयोध्या, मथुरा, विश्वनाथ-तीनों लेंगे एक साथ." इसमें अयोध्या से मतलब बाबरी मस्जिद, मथुरा में एक ईदगाह और विश्वनाथ से इशारा बनारस स्थित ज्ञानवापी मस्जिद से है. रिजवी ने ये तीनों जगह अपने पत्र में शामिल की हैं.
रिजवी खुद मुसलमानों में शिया समुदाय से सम्बन्ध रखते हैं और इसके लिए उन्होंने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष को बाकायदा एक पत्र लिखा. इस पत्र के बाद से यकायक हलचल मच गई है.
रिजवी ने अपने 27 फरवरी के अपने पत्र में जिन नौ मस्जिदों का जिक्र किया है उनमें बाबरी मस्जिद भी शामिल है. पत्र में कहा गया हैं कि सन 1528 में बाबर के सेनापति मीर बाकी ने मंदिर तोड़ कर वहां मस्जिद बनवाई. दूसरा केशव देव मंदिर, मथुरा का है जिसे औरंगजेब ने 1670 में ध्वस्त किया, तीसरा जौनपुर की अटाला मस्जिद है जिसे फिरोज शाह तुगलक ने 1377 में अटाला देव मंदिर को ध्वस्त कर के बनाया, चौथा कशी विश्वनाथ मंदिर, बनारस है जिसे मुगल बादशाह औरंगजेब ने 1699 में ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई, गुजरात के रूद्र महालय मंदिर को 1410 में अलाउद्दीन खिलजी ने तोड़ कर जामा मस्जिद बनवाई, अहमदाबाद की भद्राकाली मंदिर को 1552 में अहमद शाह ने तुड़वा कर जामा मस्जिद बनवाई, पश्चिम बंगाल की अदीना मस्जिद का उल्लेख किया है जिसे सिकंदर शाह ने 1373 में बनवाया. रिजवी के मुताबिक मध्य प्रदेश की विजय मंदिर को तोड़कर औरंगजेब ने 1669 में बीजामंडल मस्जिद में बदल दिया. आखिर में दिल्ली की कुतुब मीनार स्थित कुव्वातुल इस्लाम मस्जिद हैं जिसे 1206-1210 में कुतुबुद्दीन ऐबक ने मंदिर तोड़ कर बनवाया.
रिजवी के मुताबिक उन्होंने इतिहासकारों से अध्ययन करके ये सूची बनायी है. उनके अनुसार कब्जा करके, बलपूर्वक किसी भी ऐसी मस्जिद में नमाज पढ़ने की इजाजत इस्लाम नहीं देता है. फिर ऐसी मस्जिदों को हिंदुओं को सौप देना चाहिए. ये गैर इस्लामिक है.
रिजवी ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की काफी खिचाई भी की है. अपने पत्र में उन्होंने बोर्ड को एनजीओ कह कर सम्बोधित किया हैं. रिजवी ने ये भी लिखा कि उनका प्रस्ताव बोर्ड अपनी मीटिंग में रख कर पास करे. रिजवी के अनुसार बोर्ड में कट्टरपंथी मुल्लाओ का वर्चस्व है, लेकिन फिर भी उनके प्रस्ताव पर विचार करें.
रिजवी कहते हैं कि कम से कम उनके इस सवाल का जवाब मिलना चाहिए, क्या इस्लाम अनुमति देता है कि किसी की भी जायदाद को छीन कर अवैध कब्जा कर अपने मजहब की इबादतगाह जायज होगी?
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड रिजवी के ऐसे किसी भी तरह के पत्र मिलने से साफ इनकार कर रहा है. रिजवी ने अपना पत्र मीडिया को भी जारी कर दिया है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने पत्रकारों को बताया कि ऐसा कोई भी पत्र अभी उनको नहीं मिला है. अगर मिलता है तो बोर्ड रिजवी पर कानूनी कार्रवाई करेगा. देश में ऐसा कानून है कि 15 अगस्त 1947 के बाद से हर धार्मिक स्थल की यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी.
ये कोई पहली बार नहीं है कि रिजवी अयोध्या विवाद को लेकर सामने आये हैं. इससे पहले 11 फरवरी को एक पत्र में वह ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को आतंकवादी संगठन की एक शाखा कह चुके हैं जिस पर काफी बवाल मचा. इसके अलावा उन्होंने 13 नवम्बर 2017 को एक समझौता भी जारी किया था जिस पर हिंदू संतों के भी हस्ताक्षर का दावा किया था जिसमे उन्होंने मस्जिद को अयोध्या से बाहर लखनऊ में मस्जिद ए अमन के नाम से बनाने की बात कही थी.
वैसे रिजवी का विरोध उनके शिया समुदाय में भी होता रहता है. शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद जो लखनऊ की एतिहासिक आसफी मस्जिद के इमाम-ए-जुमा भी हैं, वह कई बार रिजवी पर भ्रष्टाचार का आरोप भी लगा चुके हैं. रिजवी आरोप साबित करने की चुनौती देते रहे हैं.