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पाकिस्तान के परमाणु भंडार पर चिंता

५ फ़रवरी २०११

यूरोपीय देश ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के प्रयास में जुटे हैं तो इस खबर ने जर्मनी में भी चिंता पैदा की है कि पिछले सालों में पाकिस्तान का परमाणु हथियारों का भंडार दोगुना हो गया है.

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तस्वीर: AP

पाकिस्तान ने पिछले चार सालों में इतनी हथियार बनाने योग्य परमाणु सामग्री तैयार की हैं जितनी दुनिया के किसी और देश ने नहीं की है और उसका परमाणु हथियार भंडार भी दोगुना हो गया हैं. वॉशिंगटन पोस्ट के अनुसार अमेरिकी जानकार इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं. जर्मनी के फ्रांकफुर्टर अल्गेमाइने त्साईटुंग ने इस बारे में लिखा हैं,

संयुक्त राष्ट्र के पूर्व हथियार निरीक्षक और वॉशिंगटन के इंस्टीच्यूट फॉर साइंस एंड इंटरनेशनल सिक्यूरिटी (आईएसआईएस) के निदेशक डेविड अल्ब्राइट का मानना है कि इस्लामाबाद ने तैनाती योग्य परमाणु हथियारों की संख्या, जो 2007 में 30 से 60 के बीच हुआ करती थी, को बढ़ाकर 110 कर लिया है. पाकिस्तान देश में दो जगहों पर भारी मात्रा में उच्च संवर्धित यूरेनियम का उत्पादन कर रहा है. साथ ही वहां प्लूटोनियम का उत्पादन भी बेहद बढ़ा है. प्लूटोनियम से बने हुए विस्फोटक शीर्ष हल्के होते हैं और पाकिस्तान की नई विकसित शाहीन-दो जैसी मिसाइलें 2400 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकती हैं. पाकिस्तान का शस्त्रीकरण न केवल वॉशिंगटन के लिए बल्कि मॉस्को के लिए भी चिंता का विषय है. वहीं बीजिंग इस्लामाबाद की बढ़ती परमाणु क्षमता को दक्षिण एशिया में भारत के खिलाफ एक बड़े शक्ति संतुलन के रूप में देख रहा है. साथ ही वह पाकिस्तान में कम से कम दो परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाएगा.

Französischer Atomtest auf dem Mururo-Atoll 1971
तस्वीर: picture-alliance / dpa

अमेरिका इसी साल परमाणु हथियार बनाने में इस्तेमाल होने वाली सामग्री के उत्पादन पर रोक लगाने की संधि के लिए वार्ता शुरू करने पर जोर डाल रहा है. इस तरह के समझौते से अत्यधिक संवर्धित यूरेनियम और प्लूटोनियम के उत्पादन पर निषेध लग सकेगा. नोए ज्यूरिषर त्साइटुंग ने इस बारे में लिखा है,

मई 2009 में संयुक्त राष्ट्र निरस्त्रीकरण सम्मेलन के 65 सदस्य देश विखंडनीय सामग्री की कटौती करने वाली संधि एफएमसीटी के लिए एक साझा प्रोग्राम पर बात करने के लिए राजी हुए थे. लेकिन पाकिस्तान ने बाद में इसमें वीटो लगा दिया और यह वार्ता वहीं रुक गई क्योंकि निरस्त्रीकरण सम्मेलन के फैसले आम सहमति से होते हैं. पाकिस्तान के संयुक्त राष्ट्र राजदूत जमीर अकरम ने इस साल के सत्र के उद्घाटन अवसर पर इस बात को दुहराया कि उनका देश इस तरह की समझौता वार्ता को अस्वीकार करता है, क्योंकि यह पाकिस्तान के सामरिक हितों को नुकसान पहुंचाते हैं. पिछली बार 1996 में निरस्त्रीकरण सम्मेलन में एक सफलता मिली थी जब देशों ने परमाणु परीक्षण प्रतिबंध तय किया था. लेकिन तब से परमाणु सत्ताओं और विकासशील देशों के बीच मतभेदों ने संयुक्त राष्ट्र संस्थाओं में गतिरोध पैदा कर रखा है.

पवन ऊर्जा टरबाइन बनाने वाली चौथी सबसे बड़ी कंपनी जर्मनी की एनेर्कोन प्राइवेट लिमिटेड भारत में अपनी भागीदारी को एक गलती के रूप में देख रही है. फ्रांकफुर्टर अल्गेमाइने त्साईटुंग के अनुसार एनेर्कोन इंडिया लिमिटेड (ईआईएल) के बहुमत शेयर वाली इस कंपनी ने बताया है कि निवेश सफल नहीं रहे हैं. अखबार ने यह भी लिखा है कि कंपनी को कई स्तरों पर ठगा, लूटा और उसके अधिकारों से वंचित किया गया है.

Windkrafträder auf einem Feld in der Eifel bei Gemünd Nordrhein-Westfalen
तस्वीर: AP

भारतीय शेयर बाजार में जाना चाहते थे, वो आक्रामक विकास चाहते थे. जबकि जर्मन ब्रेक लगा रहे थे, वे टिकाऊ विकास और सुरक्षा चाहते थे. 2005 में यह साझेदारी टूट गई. भारतीयों ने अपना गुस्सा दिखाया, साझेदार दुश्मन बन गए. तब से जर्मनी के आउरीष शहर और मुम्बई के बीच में युद्ध है. भारतीय पैटेंस अदालत ने एनर्कोन के 12 पैटेंटों को निरस्त कर दिया है. जज ने पेटेंटों में आविष्कार की कमी और नवीनता की कमी की बात कही है, जिसे अमेरिकी, यूरोप और जापान में मान्यता है. अदालत पर रिश्वतखोरी के आरोप लग रहे हैं, लेकिन एनेर्कोन इसे साबित नहीं कर पा रहा है. जर्मन इस फैसले को समझ नहीं पा रहे हैं क्योंकि इस फैसले और पेटेंट के ख़त्म होने के बाद अब भारत में हर कोई इस जर्मन तकनीक का इस्तेमाल कर सकता है.

भारत में दस लाख ब्लैकबेरी उपभोक्ताओं को यह चिंता सता रही है कि अगले महीने से उनके मोबाइल फोन काम करेंगे भी या नहीं. भारत सरकार ने कनाडा के ब्लैकबेरी निर्माता रिसर्च इन मोशन (रिम) को दूसरी बार चेतावनी दी है कि अगर कंपनी ने सरकार को अपने आंकड़ों की पूरी जानकारी नहीं दी तो उसकी ई-मेल और मेसेंजर सेवाओं को देश में बंद कर दिया जाएगा.

वास्तव में ब्लैकबेरी उपभोक्ता भारत में अपवाद हैं. रिम एकमात्र ऐसी कंपनी है जो उन्हें ऐसा डेटा संरक्षण प्रदान करती है जो भारत की और कोई कंपनी नहीं करती. इसलिए भारतीय अधिकारी लोगों की फोन पर बातचीत सुनने और उनके ई-मेल पढने के लिए सिर्फ औपनिवेशिक काल के कानून का सहारा ले सकते हैं. अब तक कोई भी भारत सरकार की निगरानी से नहीं डरता था क्योंकि पुलिस के पास इसके लिए साधनों की भारी कमी थी. लेकिन 2008 में मुम्बई में हुए आतंकवादी हमलों के बाद से यह सब बदल रहा है. दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के वकील पवन दुग्गल बताते हैं, "सरकार द्वारा निगरानी बहुत ज्यादा बढ़ गई है." राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर अब सरकार कई कंप्यूटर नेटवर्क पर रोक लगा रही है. रिम का दुर्भाग्य है कि मुम्बई में आतंकवादी हमलों की तैयारियों में ब्लैकबेरी का इस्तेमाल हुआ. तभी से ये सरकार की आंख में खटक रहा है. इसीलिए विशेषज्ञों का कहना है कि रिम शायद ही कोई समझौता कर मामले को सुलझा पाएगा.

BdT Bochumer Blackberry
तस्वीर: DPA

दुनिया भर में खाने पीने की चीजों के दामों में बढ़ोतरी ऐतिहासिक रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गई है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पहले ही महंगाई के बढ़ने से सामजिक स्थिरता बिगड़ने की चेतावनी दी थी. इसके कारण खासकर गरीब देशों में अशांति फैलने और लड़ाइयां होने की आशंका है, ऐसा लिखा है जर्मनी में फाइनेंशियल टाइम्स ने. खासतौर से भारत में, जहां चालीस करोड़ से अधिक लोग गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं और जहां पांच साल से कम की उम्र के आधे से ज्यादा बच्चे अल्पपोषित हैं, वहां इसका बड़ा असर देखा जा रहा है,

प्याज के दामों में रिकॉर्डतोड़ बढोतरी हुई है. जून से अब तक यह पांच गुणा बढ़ चुके हैं. गरीब लोगों को खाने के लिए अपनी आमदनी का अस्सी प्रतिशत खर्च करना पड़ता है. दामों में कुछ प्रतिशत बढ़ोतरी से उनके भूखे मरने की नौबत भी आ सकती है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार के लिए यह इस समय की सबसे बड़ी समस्या है. भारत की सरकार हालात काबू में लाने की कोशिश कर रही है. पुलिस कालाबाजारी रोकने के लिए गोदामों की तलाशी ले रही है और सुनिश्चित कर रही है कि लोग अवैध रूप से सब्जियों की जमाखोरी ना करें. वहीं सरकारी दुकानें बाजार से आधे दाम पर प्याज बेच रही हैं. सरकार ने निर्यात दर 150 डॉलर यानि करीब 7000 रूपए प्रति टन तय की है, जिस से निर्यात में भारी कटौती भी हुई है. सरकार के कदम अब रंग लाते दिख रहे हैं.

संकलन: आना लेमन/ईशा भाटिया

संपादन: महेश झा

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