पाकिस्तान के सिंध प्रांत में बाढ़ की भयानक स्थिति
२७ अगस्त २०१०बाढ़ग्रस्त पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए वाशिंगटन में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की वैठक हो रही है. बैठक में भाग लेने के लिए पाकिस्तान के वित्त मंत्री और सेंट्रल बैंक के गवर्नर वहां गए हुए हैं. वित्तमंत्री अब्दुल हफ़ीज़ शेख ने कहा कि उनका देश अब भी मुद्रा कोष से 11 अरब डॉलर का कर्ज हासिल करने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा कि वे इसके साथ जुड़ी हुई कठिन आर्थिक शर्तों को पूरा करना चाहते हैं, क्योंकि यह एक सुधार कार्यक्रम है, जिसे वे खुद अमल में लाना चाहते हैं. इससे पहले अटकलें लगाई जा रही थीं कि पाकिस्तान इस कार्यक्रम को छोड़ सकता है.
इस बीच अमेरिकी विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि उन्हें इस आशय की सूचनाएं मिली हैं कि चरमपंथी तत्व राहत के काम में जुटे विदेशियों और सरकारी कर्मचारियों को निशाना बना सकते हैं. यह सूचना देते हुए अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता पीजे क्राउली ने कहा कि दोनों देशों की सरकारें राहतकर्मियों की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठा रही हैं. पाकिस्तान के एक सरकारी अधिकारी का कहना था कि उनकी राय में तालिबान के लड़ाके हमला नहीं करेंगे, क्योंकि इससे उन्हें जनता के क्रोध का सामना करना पड़ेगा. सेना के प्रवक्ता ने कहा है कि उनके पास ऐसी कोई सूचना नहीं है कि चरमपंथी हमला कर सकते हैं. दूसरी ओर तहरीक-ए-तालिबान के एक प्रवक्ता आजम तारिक ने समाचार एजेंसी से कहा है कि वे अमेरिकी मदद को बर्दाश्त नहीं करेंगे, क्योंकि वे अपने फायदे के लिए इसका इस्तेमाल कर रहे हैं.
सिंध प्रांत में बाढ़ की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है. स्थानीय अधिकारियों ने उत्तरी सिंध के शहादादकोट नगर को खाली कराने का आदेश दिया है. शहर की तीन लाख की आबादी में से दसियों हजार अभी तक वहां मौजूद हैं और बाढ़ का पानी शहर की ओर बढ़ रहा है. इसी प्रकार तटीय जिले थाट्टा में सुजावल, दारो और मीरपुर बटोरो शहरों को खाली कराया जा रहा है. इन शहरों की कुल आबादी 4 लाख है. इस इलाके में सिंध का पानी एक बांध को तोड़कर आगे बढ़ रहा है.
पाकिस्तानी सेना के मेजर जनरल अतहर अब्बास ने कहा है कि कुछ इलाकों तक पहुंचना मुश्किल है. यहां आठ लाख लोग फंसे हैं, जिन्हें सिर्फ हवाई खेपों के जरिये मदद दी जा सकती है. उन्होंने कहा कि अगर मदद न पहुंचाई जा सके, तो व्यापक सामाजिक अशांति फैलने का खतरा है.
संयुक्त राष्ट्र की खाद्य संस्था के अनुसार बाढ़ से कम से कम 14 फीसदी कृषिभूमि नष्ट हो गई है. जहां तक मानवीय मदद का सवाल है, तो संयुक्त राष्ट्र द्वारा मांगी गई आपात मदद का 60 फीसदी मिल चुका है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ
संपादन: एन रंजन