पाक सेना ने पाशा को भारत जाने से रोका
२ दिसम्बर २०१०विकीलीक्स के लीक हुए दस्तावेजों से पता लगता है कि ब्रिटेन के पूर्व विदेश मंत्री डेविड मिलीबैंड ने मुंबई हमलों के बाद पाकिस्तानी राष्ट्रपति जरदारी को फोन करके कहा कि खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख को भारत भेजा जाना चाहिए, जिससे दोनों देशों का तनाव कम हो सके. जरदारी इसके लिए राजी हो गए लेकिन जनरल अशफाक परवेज कियानी के नेतृत्व वाली पाकिस्तानी सेना ने उनके फैसले को दरकिनार कर दिया.
एक दिसंबर, 2008 के एक केबल संदेश के मुताबिक पाकिस्तान में ब्रिटेन के हाई कमिश्नर रॉबर्ट ब्रिंकली और पूर्व विदेश मंत्री डेविड मिलीबैंड ने पाशा पर भारत जाने का दबाव बनाया.
केबल संदेश में कहा गया है, "जरदारी ने मिलीबैंड को बताया कि किस तरह आईएसआई के कई स्तर हैं. लेकिन बाद में उन्होंने इस बात की पुष्टि कर दी कि पाकिस्तानी सेना ने उनकी बात नहीं मानी और पाशा को भारत जाने से रोक दिया. जरदारी ने मिलीबैंड को बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दुर्रानी को भेजा जा सकता है." पाशा को फौरन नहीं भेजा गया क्योंकि इससे पहले राष्ट्रपति लोगों का मन पढ़ना चाहते थे.
संदेश में कहा गया है कि जरदारी इस बात को नहीं मानते कि बोट पर बैठ कर आतंकवादी भारत में हमला कर दें और इस काम में अंदर के किसी शख्स का हाथ न हो. उन्होंने भारत के रवैये पर भी नाराजगी जताई थी.
हमले के बाद जरदारी ने मिलीबैंड से अपील की थी कि वह भारत को शांत करने में मदद करे. मिलीबैंड ने इस बात का भरोसा भी दिया लेकिन साथ ही कहा कि भारत देखना चाहता है कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है. मिलीबैंड ने कहा कि भारत कार्रवाई देखना चाहता है, किसी के शब्द नहीं.
विकीलीक्स के दस्तावेजों से इस बात का भी पता लगता है कि कियानी भारत के साथ पिछले दरवाजे से बातचीत शुरू करना चाहते थे, लेकिन इस काम में राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने अड़ंगा लगा दिया. कियानी ने अक्तूबर, 2009 में पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूत ऐन पैटरसन से बातचीत में कही.
इस बैठक में पैटरसन ने कियानी से पूछा कि क्या वे भारत के साथ पिछले दरवाजे से बातचीत शुरू करना चाहते हैं. बैठक में आईएसआई प्रमुख अहमद शुजा पाशा भी थे. यहां तक कि पूर्व विदेश सचिव रियाज खान को इस बातचीत की मध्यस्थता करने के लिए चुन भी लिया गया. लेकिन कियानी ने कहा कि इस मामले में पैटरसन को जरदारी से बात करनी चाहिए. लेकिन जरदारी इस कदम के खिलाफ थे.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः महेश झा