पुरखों के खेल को जिंदा करते तुर्क
तुर्की के इस्तांबुल में आयोजित होने वाले एथनिक स्पोर्ट्स कल्चरल फेस्टिवल का लक्ष्य ऑटोमन साम्राज्य के समय तुर्की के पुरखों में लोकप्रिय रहे खेलों के प्रति आज के लोगों में दिलचस्पी जगाना है.
इस्तांबुल में ऑटोमन कैम्पिंग स्थल
नंगा सीना और तेल से लतपथ शरीर वाले ये तुर्क पहलवान टूर्नामेंट में लड़ाई के लिए उतरे. इस्तांबुल में राजनीतिक रैलियों के लिए इस्तेमाल होने वाले एक बड़े मैदान में ओटोमन काल की तरह कैंप लगाये गये, जहां चार दिनों का समारोह हुआ. इसमें पहलवानों, घुड़सवारों और तीरंदाजों ने अपना कौशल दिखाया.
ऑटोमन राज के 600 साल
तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोवान के बेटे बिलाल एर्दोवान यहां इस तस्वीर में ऑटोमन काल की ड्रेस पहने प्रतिभागियों के साथ खड़े हैं. देश में 600 सालों तक चले ऑटोमन राज के बाद 1923 में जाकर आधुनिक तुर्की गणराज्य की नींव पड़ी. बिलाल एर्दोवान ने कहा, "हम अपने पारंपरिक मूल्यों को पुनर्जीवित करना चाहते हैं, शुरुआत खेलों से होगी फिर और आगे बढ़ेंगे."
'उलाक टार्टिस'
घुड़सवार सेंट्रल एशिया के पारंपरिक खेल 'उलाक टार्टिस' का अभ्यास करते हुए. 'उलाक टार्टिस' का अर्थ है बकरी पकड़ना. घुड़सवार सेना विपक्षी टीम के घुड़सवारों पर लकड़ी के भाले फेंकती है. इसे खेल प्रेमी "खेलों का राजा और तुर्क आत्मा का मूर्त रूप" बताते हैं.
पश्चिमी असर के बीच ऑटोमन परंपरा को बचाने की कोशिश
सेंट्रल एशिया और अनातोलिया के इन पुराने खेलों में 800 से भी अधिक एथलीटों ने हिस्सा लिया. खुद तुर्क राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोवान तुर्की के गौरवशाली अतीत को पुनर्जीवित कर उसका जश्न मनाना चाहते हैं. ऑटोमन साम्राज्य के ध्वस्त होने से पहले के खेलों को लोकप्रिय बनाना उसी का हिस्सा है.
पुरखों के रिवाज जिंदा रखना
ऑटोमन साम्राज्य बाल्कन से लेकर खाड़ी देशों तक फैला था. पहले विश्व युद्ध के बाद जब विश्व की नई व्यवस्था बनी तो ऑटोमन परंपरा के खेल वगैरह भुला दिये गये. आज तक वे खेल सिर्फ इसलिए बचे हैं कि कुछ परिवार उन परंपराओं को एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी को देते रहे हैं.
तुर्क सरकार का सहयोग
पारंपरिक तीरंदाजी सिखाने वाले एक इंस्ट्रक्टर याकूप बताते हैं कि हाल ही में इसमें बहुत से लोगों की दिलचस्पी जगी है. उनके आर्चरी क्लब में 1,000 से अधिक सदस्य हैं. तुर्की के खेल मंत्री आकिफ किलिच ने वादा किया है कि सरकार इस खेलों को पूरा सहयोग देगी और ऐसे क्लबों को आर्थिक मदद भी दी जाएगी.
'तुर्क ओलंपिक' जैसा सपना
तुर्की के युवा लोगों की इन खेलों में दिलचस्पी मुख्य रूप से टीवी सीरियल देख कर जागी है, जो ऑटोमन काल की कहानियों पर आधारित है. स्कूली बच्चों में भी इसे लोकप्रिय बनाने का मकसद है. और एक दिन आयोजक इन खेलों का 'तुर्क ओलंपिक' आयोजित करने का सपना देख रहे हैं. (नदीन बेर्गहाउसेन/आरपी)