पुस्तक मेले में अभिव्यक्ति की आजादी
१४ अक्टूबर २०१५इस साल फ्रैंकफर्ट मेले में सहयोगी देश इंडोनेशिया है जो कल्पना के 17,000 द्वीप नाम से अपनी प्रदर्शनी दिखा रहा है. वहां की 25 करोड़ आबादी 400 भाषाएं बोलती है. पांच दिनों तक चलने वाले मेले का पहला दिन लेखकों और प्रकाशकों के लिए सुरक्षित है, जबकि शनिवार और रविवार को मेला आम लोगों के लिए अपने दरवाजे खोल देगा. मेले में कुल मिलाकर इस साल 3 लाख लोगों के आने की उम्मीद है. दुनिया के सबसे बड़े किताब मेले पर रिपोर्ट करने के लिए दुनिया भर से 10,000 पत्रकार भी पहुंचे हैं. मंगलवार शाम एक भव्य समारोह में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के समर्थन के साथ 67वें पुस्तक मेले की औपचारिक शुरुआत हुई.
मेले के पहले दिन एक गिनीज रिकॉर्ड भी बना. 12 घंटे की मेहमत और 1 मिनट का मजा. पुस्तक मेले में दुनिया का सबसे लंबा किताबों का डोमीनो गिरा. इसके लिए 10,200 किताबों का इस्तेमाल किया गया था. इस रिकॉर्ड को अगले साल गिनी वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया जाएगा. इससे पिछला रिकॉर्ड हाल ही जापान में 9,862 किताबों से डोमीनो बनाया गया था.
उद्घाटन समारोह में जर्मन संस्कृति मंत्री मोनिका ग्रुटर्स ने सहयोगी देश इंडोनेशिया के बारे में कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम देश इस बात का सबूत है कि एक उदारवादी इस्लाम संभव है. जर्मन पुस्तक व्यापार संघ के प्रमुख हाइनरिष राइटमुलर ने कहा, "शब्दों की आजादी के बिना आजादी संभव नहीं है. अशांत विश्व में शांति लाने में किताबें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं." उन्होंने कहा कि विचारों और प्रकाशन की स्वतंत्रता पर समझौता नहीं किया जा सकता क्योंकि वे लोकतांत्रिक समाज का आधार हैं.
ईरानी फतवे की वजह से मौत के खतरे में जी रहे भारतीय मूल के लेखक सलमान रुश्दी ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए विश्वव्यापी आंदोलन का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि उसे सिर्फ धार्मिक असहिष्णुता से ही खतरा नहीं है बल्कि गलत समझे जा रहे उदारवाद से भी. रुश्दी ने कहा, "शब्दों की आजादी मानव जाति का वैश्विक अधिकार है. इस आजादी के बिना हर दूसरी आजादी विफल रहेगी."
फ्रैंकफर्ट पुस्तक मेला जर्मनी और अंतरराष्ट्रीय पुस्तक व्यापार के बारे में महत्वपूर्ण पैमाना होता है. यहां किताबों के प्रदर्शन के साथ लाइसेंस के समझौते भी होते हैं. जर्मनी में किताबों की बिक्री का कारोबार अच्छा चल रहा है हालांकि इस साल सितंबर तक बिक्री में पिछले साल के मुकाबले 2.5 प्रतिशत की कमी आई है. पिछले साल जर्मनी का पुस्तक कारोबार 9.3 अरब यूरो (650 अरब रुपये) का रहा. लेकिन सांख्यिकी कार्यालय का कहना है कि किताबों पर परिवारों का खर्च कम हो रहा है. दस साल पहले 168 यूरो के मुकाबले 2013 में जर्मन परिवारों ने 132 यूरो खर्च किए.
एमजे/आरआर (डीपीए)