फुटबॉलर को मिले धमकी भरे खत की जांच
७ नवम्बर २०११बताया जाता है कि इस खत में जान से मारने की धमकी दी गई है जो पश्चिम लंदन के क्लब क्यूपीआर के घरेलू मैदान लोफ्टुस रोड पर शुक्रवार को आया. सन अखबार के मुताबिक खत में कही गई बातें इतनी स्पष्ट हैं कि क्यूपीआर के अधिकारियों ने उसे फर्डीनांड को न दिखाने का फैसला किया. फर्डीनांड का टेरी के साथ विवाद चल रहा है. स्कॉटलैंड यार्ड के प्रवक्ता ने कहा, "हम इस बात की पुष्टि करते हैं कि अफसर दुर्भावनापूर्ण संदेश के आरोप की जांच कर रहे हैं."
क्यूपीआर के लिए खेलने वाले 26 साल के जमाइकन खिलाड़ी फर्डीनांड का दो हफ्ते पहले प्रीमियर लीग के दौरान टेरी से झगड़ा हो गया. आरोप है कि टेरी ने फर्डीनांड के खिलाफ नस्ली टिप्पणी की जबकि टेरी इससे इनकार करते हैं. लेकिन इंग्लिश फुटबॉल संघ और पुलिस मामले की जांच कर रहे हैं.
पहले से आरोप
यूरोप में बेहद लोकप्रिय फुटबॉल के खेल में अकसर नस्ली टिप्पणियों के आरोप लगते रहे हैं. मसलन बेल्जियम में स्टैंडर्ड लीग क्लब के लिए खेलने वाले नाइजीरियाई मूल के अमेरिकी खिलाड़ी ओगुची ओनयेवु मुक्का और खेलप्रेमियों की नस्ली टिप्पणियां झेल चुके हैं. वह बताते हैं कि 2008-09 के दौरान जेल फान डेम जैसे खिलाड़ी उन्हें बराबर "गंदा बंदर" कहते रहे. वहीं फान ने डेम इस आरोप से इनकार किया और उल्टा ओनयेवु पर खुद को "गंदा फ्लेमिश" कहने का आरोप लगाया. इसके अलावा जोला माटुमोना ने एफसी ब्रसेल्स को यह कहते छोड़ दिया कि क्लब के अध्यक्ष योहान फरमीर्श ने एक क्लब मीटिंग के दौरान उनके खिलाफ नस्लीय टिप्पणी की. बताया जाता है कि उन्होंने माटुमोना से कहा कि वे "पेड़ और केलों के अलावा भी और चीजों पर सोचें."
जनवरी 2005 में फ्रेंच लीग में नस्लवाद विरोधी पहल के तहत पैरिस सेंट जेरमैन के खिलाड़ियों ने बिल्कुल सफेद जर्सी पहनी जबकि विरोधी आरसी लेंस टीम के सभी खिलाड़ियों ने काली जर्सी पहनी. लेकिन यह कोशिश उस वक्त नाकाम हो गई जब पीएसजी के कुछ नस्लवादी समर्थकों ने ये नारे लगाने शुरू कर दिए "कम ऑन व्हाइट्स".
जर्मनी में भी
जर्मनी में एकीकरण के बाद फुटबॉल में नस्लवाद की समस्या बढ़ी. 1992 तक नव नाजी तत्व फुटबॉल मुकाबलों को स्थानीय जातीय समुदायों और पूर्वी यूरोपियनों, खास कर तुर्क शरणार्थियों पर हमले करने और हमलों की योजना बनाने के लिए करने लगे. 1994 में बोरुसिया डॉर्टमुंड के स्टार जुलियो सेजार ने क्लब छोड़ने की धमकी दी क्योंकि उन्हें त्वचा का रंग काला होने की वजह से एक स्थानीय नाइट क्लब में जाने नहीं दिया गया. 1992 में एफसी सेंट पाउली के प्रशंकों ने जर्मन फुटबॉल में नस्लवाद के खिलाफ निर्णायक तरीके से अपनी आवाज उठाई.
जर्मनी सहित फुटबॉल के दीवाने यूरोप के कई देशों में नस्लवाद के कई मामले सामने आते रहे हैं. वैसे नस्लवाद की समस्या क्रिकेट जैसे खेलों में भी देखने को मिलती है. जनवरी 2008 में ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी एंड्र्यू साइमंडस और भारत के हरभजन सिंह का विवाद कौन भूल सकता है. साइमंड्स को कथित रूप से "मंकी" कहने के लिए हरभजन सिंह को तीन मैचों की पाबंदी झेलनी पड़ी थी.
रिपोर्टः रॉयटर्स, डीपीए/ए कुमार
सपादनः आभा एम