फ्रांस का अलबेला स्कूल 42
१८ फ़रवरी २०१४यह क्रांतिकारी स्कूल कंप्यूटर प्रोग्रामरों का है और यहां कोई फीस नहीं लगती. नाम भी क्रांतिकारी है, 42. टीचर अपने लेक्चरों की वीडियो रिकॉर्डिंग कर देते हैं और आईमैक पर अपलोड कर देते हैं. जिस छात्र को चाहिए, वह डाउनलोड कर ले. कोर्स भी नेटवर्क पर अपलोड हो जाता है और किसी छात्र को टीचर के लाल कलम का डर नहीं रहता.
इस अलबेले स्कूल का विचार 46 साल के जेवियर नील के दिमाग में आया, जिन्हें फ्रांस का स्टीव जॉब्स भी कहते हैं. नील उन अरबपतियों में हैं, जिन्हें इंटरनेट ने रईस बनाया और जो रूढ़िवादी सिस्टम को ध्वस्त करने की कोशिश कर रहे हैं. नवंबर में खुले इस स्कूल का नाम डगलस एडम के साइंस फिक्शन वाली सीरीज से लिया गया है. इसमें 42 को ब्रह्मांड के सभी प्रश्नों का हल करने वाला आंकड़ा बताया गया है.
नील पेरिस के एक संभ्रांत मुहल्ले में पले बढ़े हैं. लेकिन उनके स्कूल में ज्यादातर विदेशी छात्र हैं. सलीम बेनहब्बर मैकडोनल्ड्स में मैनेजर थे. जब उन्होंने इस स्कूल के बारे में सुना, तो यहां आने को बेताब हो उठे. 17000 लोगों ने आवेदन दिया, जिनमें सिर्फ 900 को ही चुना जा सका. 24 साल के बेनहब्बर कहते हैं, "मेरे लिए स्कूल से बढ़ कर यह एक आंदोलन है."
बाहर से 42 स्कूल कम और कोई इंटरनेट कंपनी ज्यादा लगता है. स्कूल में पढ़ाई दो से पांच साल के बीच होती है. और आखिर की खास बात, यहां कोई डिग्री या डिप्लोमा नहीं मिलता है. कभी सेक्स चैट का बिजनेस करने वाले नील इसमें कुछ गलत नहीं मानते, "हम ऐसा काम करने वाले हैं, जो आम तौर पर शिक्षा उद्योग नहीं करता." उन्होंने मौजूदा शिक्षा तंत्र को सिरे से खारिज कर दिया.
फ्रांसीसी इंजीनियरों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी पूछ रही है, यहां तक कि अमेरिका के सिलिकन वैली में भी. आम तौर पर पक्की नौकरी को लेकर इंजीनियरों की राय बदल रही है. यूरोप की सबसे बड़ी फ्लैश सेल्स वेबसाइट वेन्टे-प्रीवी डॉट कॉम के जाक-आंतोआं ग्रांजों का कहना है, "इंटरनेट फ्रांसीसी सर्जनात्मकता को प्रभावित करता है." उनके इस दावे की पुष्टि होती है क्योंकि फ्रांसीसी छात्र अब एप्पल और गूगल जैसी कंपनियों में काम करना चाहते हैं. हालांकि बेनहब्बर जैसे लोग अपना काम करना चाहते हैं.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक फ्रांसीसी विकास का एक चौथाई हिस्सा डिजिटल दुनिया से आता है. पिछले 15 साल में इंटरनेट ने सात लाख लोगों को रोजगार दिया है. फ्रांस लगातार छह साल से आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है और इससे निकलने में इंटरनेट बड़ा योगदान दे सकता है. फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद जब हाल में अमेरिका दौरे पर गए, तो उन्होंने सिलिकन वैली का भी दौरा किया. उन्होंने गूगल के प्रमुख एरिक श्मिट से भी मुलाकात की और कंप्यूटर कंपनियों से फ्रांस में निवेश बढ़ाने की अपील की.
एजेए/एमजे (डीपीए)