ब्लड मनी देकर रेमंड डेविस पाकिस्तान से छूटा
१६ मार्च २०११डेविस को लाहौर की एक अदालत ने बुधवार को हत्या के मामले में अभियुक्त बनाया लेकिन इसके कुछ घंटों बाद ही उसे बरी कर दिया गया. इस बीच कुछ नाटकीय घटनाक्रम भी हुए. इस फैसले के साथ ही पाकिस्तान और अमेरिका के बीच लंबे वक्त से चला आ रहा राजनयिक तनाव भी खत्म हो गया.
पंजाब के कानून मंत्री राना सनाउल्लाह ने बताया, "अदालत ने पहले उस पर अभियोग लगाया लेकिन बाद में परिवार वालों ने बताया कि वे पैसे लेकर उसे माफ करने के लिए तैयार हो गए हैं. इसके बाद अदालत ने उसे छोड़ने का फैसला किया."
कानून मंत्री ने बताया, "अदालत ने उसे हत्या के आरोप से मुक्त कर दिया."
रेमंड डेविस ने 27 जनवरी को लाहौर में दो पाकिस्तानी युवकों की गोली मार कर हत्या कर दी. उसका कहना था कि उन दोनों ने उसे लूटने की कोशिश की और उसने सिर्फ अपने बचाव में गोली चलाई. इस मामले के बाद अमेरिका ने दावा किया कि डेविस के पास विशेष राजनयिक अधिकार हैं और इस आधार पर उसे छोड़ दिया जाना चाहिए.
इस मामले की वजह से पाकिस्तान और अमेरिका के बीच बड़ा राजनयिक संकट भी खड़ा हो गया. अमेरिका पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ युद्ध और अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ कार्रवाई में अपना अहम साथी मानता है.
मारे गए दो युवकों में से एक के परिवार वालों के वकील असद मंजूर बट ने बताया, "हमें चार घंटे तक हिरासत में रखा गया और अपने मुवक्किलों से नहीं मिलने दिया गया. इस दौरान हमारे मुवक्किलों को अदालत में बुलाया गया."
पाकिस्तान की मीडिया का कहना है कि डेविस फौरन लंदन के लिए रवाना हो गए. हालांकि अभी इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है. अमेरिका ने अभी तक इस बारे में पुष्टि नहीं की है.
इस बात की पहले से ही चर्चा चल रही थी कि अमेरिका और मारे गए लोगों के परिवार वालों के बीच सौदेबाजी चल रही है. इस घटनाक्रम में कुल तीन लोगों की जान गई थी. दो लोग तो डेविस की गोली के शिकार हुए और जब अमेरिकी दूतावास की गाड़ी उसे घटनास्थल से ले जाने की कोशिश कर रहा था, तो तीसरा व्यक्ति इस गाड़ी से कुचल कर मारा गया. पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में पहले भी इस तरह पैसे लेकर मामले को खत्म करने की मिसालें हैं.
मारे गए युवकों के बारे में पाकिस्तान में शुरू से अटकलबाजी चल रही है. कुछ रिपोर्टों के मुताबिक वे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम करते थे और वे डेविस को पहले से जानते थे. दूसरे खेमे का कहना है कि वे हथियारबंद डाकू थे. इस घटना की वजह से अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के बीच भी तनाव पैदा हो गया था.
अमेरिका डेविस की रिहाई के बदले पीड़ित परिवारों को पैसा देगा. पाकिस्तान कानून की निगाह में इसे खूनी पैसा (ब्लड मनी) कहा जाता है. अगर पैसा दिया जाता है तो फिर इसे आत्मरक्षा का मामला माना जाएगा. इस तरह से पैसे देने की इजाजत इस्लामी कानून में दी गई है और पाकिस्तान के कुछ इलाकों में ये खूब होता है शर्त बस इतनी रहती है कि पीड़ित परिवार इसके लिए रजामंद हो जाएं.
रिपोर्टः रॉयटर्स/ए जमाल
संपादनः एन रंजन