1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

ब्लैकबेरी का देसी जवाब

२९ अक्टूबर २०१०

ब्लैकबेरी की मैंसेंजर सेवा के जरिए भेजे जाने वाले संदेशों की जानकारी के लिए जयपुर की एक आईटी कंपनी ने सॉफ्टवेयर बना लेने का दावा किया है. इसकी मदद से भारत के कानूनी दायरे में आने वाले लोगों के फोन पर निगाह रखी जा सकेगी.

https://p.dw.com/p/Pu6X
तस्वीर: dpa

भारत बेरी नाम से तैयार इस सॉफ्टवेयर को बनाने वाली कंपनी डाटा इंफोसिस लिमिटेड का कहना है कि इसकी मदद से ब्लैकबेरी के सभी ऑनलाइन कम्युनिकेशन की निगरानी की जा सकती है. डाटा इंफोसिस शुरू करने वाले अजय डाटा ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, "भारत में काम करने वाले ब्लैकबेरी और दूसरे सभी फोन के ऑनलाइन कम्युनिकेशन इस सॉफ्टवेयर की मदद से निगरानी के दायरे में लाए जा सकते हैं."

पिछले कुछ दिनों से भारत बेरी सेवा का परीक्षण किया जा रहा है और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जल्दी ही इस सेवा का औपचारिक उद्घाटन करेंगे. अजय ने बताया, "भारत बेरी सेवा ब्लैक बेरी के फोन पर बेहतर मेल सेवा देती है. साथी ही यह सुनिश्चित भी करती है कि यूजर ईमेल, कैलेंडर और फोनबुक से जुड़ा रहे."

Mobile World Congress in Barcelona Flash-Galerie
तस्वीर: AP

पिछले कई महीनों की कड़ी मेहनत के बाद तैयार हुई भारत बेरी सेवा एक नए ईमेल सर्वर एक्सजेनप्लस और ओपन सोर्स टेक्नोलॉजी के साथ मिल कर काम करती है. यह सर्वर भारत में मौजूद है इसलिए सुरक्षा का भी कोई खतरा नहीं. अजय ने कहा, "ब्लैकबेरी का इस्तेमाल करने वाले आतंकवादियों के ईमेल कम्युनिकेशन पर निगरानी न रख पाने की मजबूरी सुरक्षा एजेंसियों को परेशान कर रही है, हमलोग इस समस्या का हल ढूंढ लाए हैं जिसने ब्लैकबेरी का इस्तेमाल करने वाले लाखों दूसरे लोगों को उलझन में डाल रखा है."

मोबाइल फोन पर यह सेवा लेने वालों को हर महीने 100 रुपये की फीस देनी होगी. 50 रुपये और देकर वे कैलेंडर और फोन बुक के अधिकार भी पा सकते हैं. यह सॉफ्टवेयर ऑनलाइन शॉप से खरीदा जा सकता है.

भारत सरकार ने ब्लैकबेरी से संदेशों की जानकारी मुहैया कराने की व्यवस्था करने के लिए 21 जनवरी 2011 तक का समय दिया है. उससे पहले ही भारतीय सॉफ्टवेयर बाजार में उसकी काट मौजूद है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः वी कुमार

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें