भगदड़ मनोवैज्ञानिक नहीं, भौतिक घटना
२५ सितम्बर २०१५भीड़ और भगदड़ के मनोविज्ञान पर शोध करने वाले इटीएच ज्यूरिष के प्रोफेसर डिर्क हेलबिंग कहते हैं, "यह बहुत हद तक भौतिक घटना है, मनोवैज्ञानिक नहीं." उनका कहना है कि जब छोटी जगह में लोगों का घनत्व बहुत ज्यादा होता है तो शरीर की गति से दूसरे शरीरों को बल का ट्रांसफर होता है. यह बल एक साथ मिलकर भीड़ में नियंत्रित नहीं की जाने वाले गति पैदा कर सकता है. डिर्क हेलबिंग कहते हैं, "नतीजतन लोग जमीन पर गिर सकते हैं और दूसरों द्वारा कुचले जा सकते हैं या अपने ऊपर दूसरे लोगों के गिरने से दम घुटने का शिकार हो सकते हैं."
और यह सब बहुत जल्दी हो सकता है. दो लोगों का झगड़ना, या दो लोगों का भीड़ की उल्टी दिशा में चलना आराम से चल रही भीड़ को जाम में बदल दे सकता है. और लोगों के आने से घनत्व बढ़ता जाता है और उसका नतीजा जानलेवा हंगामे के रूप में सामने आ सकता है. हेलबिंग के अनुसार एक छोटी सी समस्या बहुत जल्द एक बड़ी समस्या बन सकती है जिस पर नियंत्रण करना अब आसान नहीं. "बड़ी भीड़ कभी भी काबू से बाहर हो सकती है."
इंगलैंड के मैनटेस्टर मेट्रोपोलिटन यूनिवर्सिटी में भीड़ विज्ञान के प्रोफेसर कीथ स्टील ने अतीत में सऊदी अरब के सुरक्षा अधिकारियों के साथ भीड़ नियंत्रण के कदमों पर काम किया है. मीना में हुई घटना के बारे में उनका कहना है कि दुर्घटना इस बात का नतीजा लगती है कि बहुत कम जगह में बहुत ज्यादा लोग थे. वे कहते हैं कि उन लोगों के लिए भी जो अपने पैरों पर खड़े होते हैं, दबाव बनना शुरू होता है और लोग सांस नहीं ले सकते, "लोग घबराने की वजह से नहीं मरते. वे घबरा जाते हैं क्योंकि वे मर रहे होते हैं."
कीथ स्टील का कहना है कि हर सिस्टम की अपनी सीमाएं होती हैं. जब वह संख्या पार हो जाती है तो जोखिम बहुत बढ़ जाता है. उनका कहना है कि हज में ऐसा लगता है कि सिस्टम सुरक्षित क्षमता की सीमा को पार कर गया था. सऊदी अधिकारियों ने कहा है कि दुर्घटना की शुरुआत श्रद्धालुओं की दो लहरों के एक जगह मिलने से हुई लगती है. कारणों की जांच चल रही है लेकिन कीथ स्टील का कहना है कि हाजियों की सुरक्षा का एक विकल्प भीड़ को रोको और छोड़ो की नीति हो सकती है. इससे जगह पैदा होगी और भगदड़ की संभावना कम होगी.
एमजे/आईबी (एपी)