भारतीय अफसरों पर जासूसी करने के आदेश
३० नवम्बर २०१०विकीलीक्स के मुताबिक 31 जुलाई 2009 में क्लिंटन ने गुप्त केबल संदेश भेजा था जिसे न्यू यॉर्क टाइम्स अखबार ने छापा है. इसमें अमेरिकी अधिकारियों से कहा गया है कि वे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधार को लेकर और अमेरिका और भारत के बीच असैन्य परमाणु समझौते पर जानकारी हासिल करें. क्लिंटन ने संयुक्त राष्ट्र में भारत के लिए स्थायी सीट की वकालत की और अमेरिकी अधिकारियों से संयुक्त राष्ट्र में भारतीय अधिकारियों के बारे में छोटी से छोटी जानकारी जुटाने को कहा.
विकीलीक्स में रिलीज किए गए दस्तावेजों में से 3,000 से ज्यादा केबल नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास से भेजे गए थे. केबलों के जरिए दूतावास एक दूसरे को या फिर अमेरिका में विदेश मंत्रालय को संदेश भेजते हैं. इनमें कई बार अफसरों को लेकर जानकारी और अमेरिकी अधिकारियों की अन्य कूटनीतिज्ञों से मुलाकात के बारे में कहा जाता है. एक केबल में अमेरिका के विदेशी अधिकारियों से कहा गया है कि वे लोगों के औपचारिक पदों, उनके टोलिफोन नंबर, सेलफोन पेजर और इस तरह की जानकारी हासिल करें. साथ ही उनके क्रेडिट कार्ड के नंबर, वेबसाइट की जानकारी, काम करने का समय और छोटी से छोटी जानकारी लाने को कहा गया है.
संदेश में अमेरिकी अधिकारियों से कहा गया है कि वे कुछ खास देशों के बारे में जानकारी हासिल करें जो अपनी तरफ से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य बनना चाहते हैं. इनमें ब्राजील, भारत, जापान और जर्मनी शामिल हैं और इन्हें ग्रुप ऑफ फोर कहा गया है. साथ ही एक युनाइटिंग फॉर कंसेंसस ग्रुप पर भी ध्यान देने को कहा गया है जिसमें पाकिस्तान, मेक्सिको और इटली मौजूद हैं. यह देश सुरक्षा परिषद में नई स्थायी सीटों के खिलाफ हैं.केबल में परमाणु आपूर्ति के लिए न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप्स, भारत और अमेरिका के बीच समझौते और परमाणु परीक्षण पर प्रतिबंध को लेकर समझौते के बारे में जानकारी हासिल करने को कहा गया है.
संदेश में इस्लामी देशों के संगठन ओआईसी, गुट निरपेक्ष देशों और जी-77 के स्थायी प्रतिनिधियों के बारे में जानकारी हासिल करने को कहा गया है. इनमें पाकिस्तान, भारत, मलेशिया, दक्षिण अफ्रीका, सेनेगल, यूगैंडा, इंडोनेशिया और सीरिया शामिल हैं. इन देशों में आपसी संबंधों के बारे में भी सूचित करने को कहा गया है. विकिलीक्स के खुलासे से पहले अमेरिका ने भारत को इन दस्तावेजों के बारे में अगाह किया था.
रिपोर्टः पीटीआई/एमजी
संपादनः एस गौड़