भारतीय अर्थव्यवस्था में छह साल में सबसे कम विकास दर दर्ज
२९ नवम्बर २०१९केंद्र सरकार द्वारा जारी किये गए नए आंकड़ों के अनुसार इस साल की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी की विकास दर 4.5 रही. ये जुलाई-सितंबर समयावधि में दर्ज हुई छह साल में सबसे धीमी विकास दर है. पिछली तिमाही में ये पांच प्रतिशत थी और एक साल पहले इसी अवधि में सात प्रतिशत थी.
इस तिमाही की वृद्धि दर पिछले 26 तिमाहियों में सब से कम है. पिछली बार इससे कम विकास दर 2013 की जनवरी-मार्च तिमाही में 4.3 प्रतिशत के आस पास दर्ज की गई थी. इस तिमाही की गिरावट अर्थशास्त्रियों की अपेक्षा से भी ज्यादा बुरी है. समाचार एजेंसी रायटर्स के एक पोल में अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया था कि विकास दर 4.7 के आस पास रहेगी.
इस पोल में अर्थशास्त्रियों ने यह भी पूर्वानुमान किया कि रिजर्व बैंक अपनी होने वाली बैठक में रेपो दर में लगातार छठी बार कटौती करेगा. उनका मानना है कि 3 से 5 दिसंबर के बीच होने वाली इस बैठक में, आरबीआई रेपो दर में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर उसे 4.90 प्रतिशत पर ले आएगा.
इसी सप्ताह संसद में आर्थिक मंदी से उपजे बेरोजगारी के संकट पर एक चर्चा के दौरान विपक्षी दलों ने कहा था कि लाखों लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं और देश एक "आर्थिक आपातकाल" का सामना कर रहा है. अपने जवाब में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती आई है लेकिन मंदी नहीं आई है. उन्होंने आर्थिक वृद्धि के लिए उठाये गए कई सरकारी कदम भी गिनवाए.
बृहस्पतिवार को उन्होंने 2019/20 वित्तीय वर्ष में बजट द्वारा अधिकृत कुल राशि, यानी दो अरब 78 करोड़ रुपये के अलावा, 21 हजार करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च करने की इजाजत मांगी है. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के सही हाल में आने में और वक्त लग सकता है और तब भी वो क्षमता के नीचे ही रहेगी.
भारत में जो करोड़ों लोग हर साल रोजगार बाजार में आते हैं उन सब को नौकरियां उपलब्ध कराने के लिए भारत को आठ प्रतिशत के आस पास की दर से बढ़ने की जरुरत है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) के अनुसार, अक्तूबर में बेरोजगारी दर बढ़ कर 8.5 प्रतिशत पर आ गई थी.
सीके/आरपी (रायटर्स)
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