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भारत और चीन से सीखो: अमर्त्य सेन

४ जून २०११

अर्थसास्त्र में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले भारतीय अर्थशास्त्री डॉक्टर अमर्त्य सेन ने पश्चिमी देशों को भारत और चीन से सीख लेने की सलाह दी है. डॉक्टर सेन का कहना है कि पश्चिमी देशों को नए विचारों की जरूरत है.

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Amartya Sen, who won the Nobel Economics Prize, smiles during an interview in New York, Wednesday Oct. 14, 1998. A scholar from India, Sen's work produced a new understanding of the catastrophes that plague society's poorest people. (AP Photo/Richard Drew)
अमर्त्य सेनतस्वीर: AP

2008 से शुरू हुई विश्वव्यापी मंदी की मार अब भी पश्चिमी देशों पर पड़ रही है. उनकी आर्थिक विकास दर ठंडी पड़ी है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के बिजनेस स्कूल में इसके कारणों और इससे निकलने के उपायों पर चर्चा हो रही है. अर्थव्यवस्था के स्वरूप को लेकर छिड़ी बहस में अमर्त्य सेन ने कहा कि पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं को भारत और चीन से सीख लेनी चाहिए.

डॉक्टर सेन के मुताबिक भारत और चीन बाजारों को सुरक्षित ढंग से खोल रहे हैं. नई दिल्ली और बीजिंग के पास नए विचार हैं और उन्हें चरणबद्ध तरीके से अमल में भी लाया जा रहा है. नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री के मुताबिक पश्चिमी देशों को भी ऐसा ही करने की जरूरत है.

डॉक्टर सेन के मुताबिक भारत और चीन पर भी आर्थिक मंदी की मार पड़ी. दोनों देशों की आर्थिक विकास दर दो साल तक कुछ धीमी रही लेकिन उसके बाद यह दोनों देश तेजी से मंदी से बाहर निकले और अब अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं को भी सहारा दे रहे हैं.

जानकारों के मुताबिक पश्चिमी देशों की अर्थव्यवस्थाओं में मंदी के जोखिम से बचने के उपाय बहुत कम हैं. सारा पैसा बाजार में झोंका जा चुका है और ऐसे कई क्षेत्र हैं जो बाजार को डुबोने की ताकत रखते हैं. आर्थिक जगत के दिग्गज अखबार फाइनेंशियल टाइम्स के मार्टिन वोल्फ और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर रॉबर्ट वैड भी यही मानते हैं.

रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह़

संपादन: ईशा भाटिया

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