भारत और चीन से सीखो: अमर्त्य सेन
४ जून २०११2008 से शुरू हुई विश्वव्यापी मंदी की मार अब भी पश्चिमी देशों पर पड़ रही है. उनकी आर्थिक विकास दर ठंडी पड़ी है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के बिजनेस स्कूल में इसके कारणों और इससे निकलने के उपायों पर चर्चा हो रही है. अर्थव्यवस्था के स्वरूप को लेकर छिड़ी बहस में अमर्त्य सेन ने कहा कि पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं को भारत और चीन से सीख लेनी चाहिए.
डॉक्टर सेन के मुताबिक भारत और चीन बाजारों को सुरक्षित ढंग से खोल रहे हैं. नई दिल्ली और बीजिंग के पास नए विचार हैं और उन्हें चरणबद्ध तरीके से अमल में भी लाया जा रहा है. नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री के मुताबिक पश्चिमी देशों को भी ऐसा ही करने की जरूरत है.
डॉक्टर सेन के मुताबिक भारत और चीन पर भी आर्थिक मंदी की मार पड़ी. दोनों देशों की आर्थिक विकास दर दो साल तक कुछ धीमी रही लेकिन उसके बाद यह दोनों देश तेजी से मंदी से बाहर निकले और अब अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं को भी सहारा दे रहे हैं.
जानकारों के मुताबिक पश्चिमी देशों की अर्थव्यवस्थाओं में मंदी के जोखिम से बचने के उपाय बहुत कम हैं. सारा पैसा बाजार में झोंका जा चुका है और ऐसे कई क्षेत्र हैं जो बाजार को डुबोने की ताकत रखते हैं. आर्थिक जगत के दिग्गज अखबार फाइनेंशियल टाइम्स के मार्टिन वोल्फ और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर रॉबर्ट वैड भी यही मानते हैं.
रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह़
संपादन: ईशा भाटिया