भारत-चीन: 100 अरब कारोबार का लक्ष्य
१६ दिसम्बर २०१०वेन जियाबाओ और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पारस्परिक बातचीत के बाद दोनों देशों ने बैंकिंग, जल संसाधन, मीडिया, सांस्कृतिक आदान प्रदान और ग्रीन तकनीक के क्षेत्र में छह समझौते भी किए हैं.
साल के अंत में वेन के भारत के तीन दिनों के दौरे पर आने से पहले जम्मू कश्मीर के निवासियों के लिए नत्थी वीजा और विवादास्पद कश्मीर के पाकिस्तानी हिस्से में संरचना निर्माण में चीन की हिस्सेदारी को लेकर दोनों देशों के बीच तनाव पैदा हो गया था.
दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की बातचीत के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया है, "दुनिया में भारत और चीन के विकास के लिए पर्याप्त जगह है और निश्चित तौर पर भारत और चीन के लिए सहयोग के पर्याप्त इलाके भी."
दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के लिए एक हॉटलाइन बनाई गई है और नई दिल्ली में वेन और सिंह ने तय किया है कि वे दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर नियमित चर्चा करेंगे. संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों पक्ष सीमा पर अपने विवादों को जल्द सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इस बीच सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए साथ मिलकर काम करेंगे.
मतभेदों के बावजूद दोनों देशों का पारस्परिक व्यापार लगातार बढ़ रहा है. चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी है और इस साल उसका आयाम 2009 के 43 अरब के मुकाबले 60 अरब डॉलर हो जाने की उम्मीद है. लेकिन व्यापार चीन के पक्ष में है. दोनों देशों ने व्यापारिक मुद्दों पर चर्चा के लिए उद्यमियों का एक फोरम भी बनाया है जो व्यापार और निवेश सहयोग के लिए सुझाव देगा.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: आभा एम