भूषण परिवार को जवाब देने के लिए एक हफ्ते का समय और
२३ अप्रैल २०११भूषण के वकील संगम अग्रवाल ने इलाहाबाद में पत्रकारों को बताया कि भूषण परिवार को पहले 28 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया था. उन्होंने कहा, "शनिवार को मैंने समय आगे बढ़ावाने के लिए आवेदन किया जिसके बाद स्टैम्प कमिश्नर केपी पाण्डेय ने जवाब दाखिल करने की तारीख 5 मई तक बढ़ा दी."
पूर्व केंद्रीय मंत्री शांति भूषण, उनके दो बेटे प्रशांत और जयंत और बेटी शेफाली को स्टैम्प शुल्क न चुकाने पर इसी साल 5 फरवरी को नोटिस जारी किया गया. 15 अप्रैल तक जवाब न मिलने पर उन्हें नोटिस की याद दिलाई गई और 28 अप्रैल तक का समय दिया गया. भूषण परिवार पर आरोप है कि उन्हेंने स्टैम्प शुल्क चुराने के लिए पॉश इलाके में खरीदी गई जमीन की कीमत कम कर के दिखाई. इस जमीन की कीमत 20 करोड़ रुपये बताई जा रही है. इन लोगों ने पिछले साल 7,818 एकड़ जमीन खरीदने के लिए जमीन के पिछले मालिक के साथ एक सौदा किया.
बंगले में किराएदार था भूषण परिवार
70 के दशक में दिल्ली आने से पहले भूषण परिवार इस जमीन पर बने बंगले में किराएदार के रूप में रहता आया था. हालांकि उन्होंने इस बंगले को नहीं छोड़ा. इसके बाद उनके और जमीन के मालिकों हरिमोहन दास टंडन, सुधीर टंडन और सतीश टंडन के बीच लंबे समय तक मुकदमेबाजी चली. बाद में दोनों पक्षों में जमीन बेचने पर समझौता करके मुकदमा वापस ले लिया गया. समझौते के मुताबिक यह जमीन महज एक लाख रुपये में खरीदी गई, जिसके लिए स्टैम्प शुल्क के रूप में 2000 रुपये चुकाए गए.
इस बीच बंगले के आउटहाउस में रह रहे लोगों ने इस समझौते के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. उन्हें डर था कि सालों से वो जिस घर में रहते आए हैं उस घर को इस सौदे के बाद छोड़ना पड़ेगा. इनमें ज्यादातर लोग गरीब हैं और छोटे मोटे काम करते हैं. इन लोगों के पास इस सौदे के खिलाफ मुकदमा दायर करने लायक भी पैसे नहीं हैं. इन लोगों ने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के पास ईमेल भेज कर फरियाद की है कि वो शांति भूषण को इस बात के लिए समझाएं कि उन्हें घर से न निकाला जाए.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः ईशा भाटिया